क़लम उठ जाती है
दिलों से मैल की ‘काई ‘ हटाने की ज़रूरत है । लगी जो आग बस्ती में, बुझाने की जरूरत है । दिवाली, ईद या होली , जहाँ तक़रार बनती है । फ़क़त हठ की दीवारों को, ढहाने की जरूरत है । वतन को गालियाँ देकर, जो गाए गीत औरों के । सबक़ , ऐसे अधर्मी … Read more