रसोई गैस कनेक्शन लेने वाले ग्राहकों को अब जबरन इसके साथ चूल्हा खरीदने से मुक्ति मिलेगी। प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (कॉम्पैट) ने सार्वजनिक क्षेत्र की आइओसी, एचपीसीएल व बीपीसीएल को निर्देश दिया है कि वे अपने डीलरों के जरिए ग्राहकों को इस तरह की खरीद के लिए बाध्य न करें। तीनों तेल विपणन कंपनियां रसोई गैस सिलेंडर की भी बिक्री करती हैं।
पांच साल पुराने एक मामले में न्यायाधिकरण ने यह फैसला सुनाया है। कॉम्पैट ने कहा है कि इस मामले में एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार गतिविधि आयोग (एमआरटीपीसी) की ओर से 19 फरवरी, 2009 को जारी अंतरिम आदेश को ही अंतिम माना जाए। कंपनियों ने भी आश्वस्त किया है कि वह अपने उत्पादों के साथ गैस चूल्हा जैसे उत्पाद बेचने वाले वितरकों के साथ कारोबार जारी नहीं रखेंगी। इस मामले में वर्ष 2007 में जांच एवं पंजीयक महानिदेशालय द्वारा जांच शुरू किए जाने के बाद एमआरटीपीसी ने अंतरिम आदेश जारी किया था। सात कंपनियों ने एमआरटीपीसी से शिकायत की थी कि सरकारी कंपनियां बाजार में अपने एकाधिकार का बेजा फायदा उठा रही हैं। वे अपने डीलरों को इस बात के लिए दबाव डालती हैं कि उनके साझेदारों के उत्पाद ही ग्राहकों को बेचे। मई 2009 में एमआरटीपीसी को खत्म कर उसकी जगह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) का गठन किया गया है।