आरबीआइ की निगरानी में आए कुछ और विदेशी बैंक

विदेशी बैंकों द्वारा मनी लाड्रिंग और आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण की जाच कर रहे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने अपना दायरा बढ़ा दिया है। आरबीआइ की निगरानी में अब कुछ और विदेशी बैंक आ गए हैं। इन बैंकों के कार्यकारियों से केंद्रीय बैंक ने पूछताछ की है। ब्रिटिश बैंकिंग समूह स्टैंडर्ड चार्टर्ड (स्टैनचार्ट) और एचएसबीसी के खिलाफ इस मामले में अमेरिका में पहले से जाच चल रही है। इनके अवैध लेनदेन की रिपोर्ट आने के बाद ही आरबाआइ ने भी जाच शुरू की है।

विदेशी बैंकों द्वारा मनी लाड्रिंग के जरिये काले धन को शेयर बाजार में लगाए जाने की आशका के चलते अब पूंजी बाजार नियामक सेबी भी इस जाच में शामिल हो सकता है। स्टैनचार्ट बैंक भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध है। आरबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ग्लोबल स्तर पर सामने आई कुछ घटनाओं के कारण इस बात की जाच शुरू की गई है कि ये बैंक नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। कुछ बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने माना कि बैंकिंग नियामक ने जो सवाल पूछे हैं वह काफी गंभीर हैं। ये सवाल मनी लाड्रिंग के अलावा आतंकियों को धन की आपूर्ति रोकने के लिए अपनाए जाने वाले प्रावधानों से जुड़े हैं। आरबीआइ के अलावा वित्तीय खुफिया इकाई भी एचएसबीसी के कारोबार में नियमों के उल्लंघन को लेकर जाच कर रही है।

मनी लाड्रिंग और आतंक के वित्त पोषण के लिए अमेरिकी वित्तीय तंत्र का इस्तेमाल किए जाने के आरोप में अमेरिका ने स्टैनचार्ट और एचएसबीसी के अलावा कुछ अन्य यूरोपीय बैंकों के खिलाफ जाच शुरू की है। सूत्रों का कहना है कि भारत में जाच की कार्रवाई अमेरिकी प्रशासन के साथ स्टैनचार्ट के हाल ही में हुए समझौते से प्रभावित नहीं होगी। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के साथ 250 अरब डॉलर के धन हस्तातरण के मामले में स्टैनचार्ट 34 करोड़ डॉलर का जुर्माना देने को राजी हुआ है। यह समझौता केवल न्यूयार्क के वित्तीय सेवा विभाग से हुआ है। इस मामले में अभी भी अमेरिका के संघीय नियामकों और वित्त विभाग की जाच जारी है।

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