तीन साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंची विकास दर

नई दिल्ली: कल-कारखानों और कृषि क्षेत्रों की गतिविधियों में नरमी के चलते चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि गिरकर 5.3 प्रतिशत रही। पिछले वित्तवर्ष में इसी दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.7 प्रतिशत बढ़ा था।

चालू वित्तवर्ष की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून) में आर्थिक वृद्धि 5.5 प्रतिशत थी। इस वित्तवर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2012) में आर्थिक वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले की इसी अवधि की 7.3 प्रतिशत के मुकाबले कम है।

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर को समाप्त तिमाही के दौरान विनिर्माण (कारखाना) क्षेत्र में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.9 प्रतिशत के मुकाबले मात्र 0.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। कृषि क्षेत्र में वृद्धि 1.2 प्रतिशत रही, जबकि एक साल पहले इसी दौरान कृषि वृद्धि 3.1 प्रतिशत थी।

खनन क्षेत्र में पिछले वर्ष 5.4 प्रतिशत की गिरावट के विपरीत इस बार 1.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान व्यापार, होटल, परिवहन और संचार क्षेत्रों की वृद्धि दर में भी गिरावट दर्ज की गई और यह 9.5 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत रह गई। इस दौरान बिजली, गैस और जल आपूर्ति क्षेत्र की वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रही, जो कि एक साल पहले 9.8 प्रतिशत थी।

समीक्षाधीन अवधि के दौरान निर्माण क्षेत्र में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो कि एक साल पहले की 6.3 प्रतिशत के मुकाबले कुछ अधिक है। इस दौरान सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 9.4 प्रतिशत रही, जो कि पिछले साल की इसी अवधि के 9.9 प्रतिशत के मुकाबले कम है। इसके तहत बीमा, रीयल एस्टेट आदि आते हैं।

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