भारत में उत्पाद बेचने के मौके कम: ऐपल

कंप्यूटर कंपनी ऐपल के मुख्य कार्यकारी टिम कुक का कहना है कि वे भारत से प्यार तो करते हैं लेकिन यहाँ उनकी कंपनी के उत्पाद बेचने के मौके बहुत कम हैं.

कुक ने कहा,”मैं भारत से प्यार करता हूं लेकिन मैं मानता हूं कि आने वाले कुछ समय में ऐपल के लिए कुछ और देशों में ज़्यादा संभावनाएं हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “इसका ये मतलब नहीं है कि हमारा ध्यान भारत पर नहीं है. हम वहाँ कारोबार करते हैं और वो बढ़ रहा है. लेकिन मेरी सोच ये है कि आने वाले कुछ समय में (हमारे लिए) भारत के बाहर ज़्यादा बड़े मौके होंगे.”

ऐपल के सीईओ ने ये बात मंगलवार को कंपनी की तीसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा के बाद निवेशकों और विश्लेषकों के साथ की गई कॉन्फ़्रेंस कॉल के दौरान कही.

कॉन्फ़्रेंस कॉल में एक निवेशक के कुक से सवाल पूछा था कि कंपनी भारत में सफल क्यों नहीं है.

उम्मीद से कम मुनाफ़ा

ऐपल को तीसरी तिमाही में आठ अरब 80 करोड़ डॉलर का मुनाफ़ा हुआ है.

जून में ख़त्म हुई तिमाही में हुआ ये मुनाफ़ा हालांकि पिछले साल इस अवधि में हुए मुनाफ़े से 21 प्रतिशत ज़्यादा है लेकिन कंपनी के पूर्वानुमान से कम है.

इस अवधि में ऐपल के उत्पादों की 35 अरब डॉलर की बिक्री हुई जो 2011 के मुकाबले साढ़े 28 अरब डॉलर अधिक है.

कंपनी के टैबलेट, आईपैड, की बिक्री में 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई. अप्रैल से जून की अवधि में एक करोड़ 70 लाख आईपैड और दो करोड़ 60 लाख आईफ़ोन बिके. लेकिन आईपॉड यानी कंपनी के डिजिटल म्यूज़िक प्लेयर की बिक्री में 10 प्रतिशत की गिरावट आई और मैक कंप्यूटरों की बिक्री में महज़ दो प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ.

इसके बावजूद कंपनी अपने शेयरधारकों को 16 अगस्त को 2.65 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से डिविडेंड देगी.

वजह

पिछले दो साल में ये कंपनी की सबसे धीमी विकास दर है और ये विश्लेषकों की उम्मीदों से कम थी.

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक इसकी एक वजह उपभोक्ताओं का ऐपल के सबसे सस्ते आईफ़ोन और आईपैड खरीदना है. हालांकि कंपनी ने इस वर्ष मार्च आईपैड का नया संस्करण लॉन्च किया था लेकिन साथ ही पुराने मॉडल को भी कीमत घटाकर बाज़ार में रखा.

अमरीकी डॉलर की यूरो और बाकी मुद्राओं की अपेक्षा मज़बूती की वजह से अमरीकी उत्पाद विदेश में ज़्यादा महंगे हो रहे हैं.

इसके अलावा अमरीकी अर्थव्यवस्था में बहाली की धीमी गति और यूरोप जैसे दुनिया के मुख्य बाज़ारों में आर्थिक मंदी का असर भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री पड़ रहा है.

साथ ही ऐपल को सैमसंग का गैलेक्सी एस3 और एचटीसी का वन एक्स स्मार्टफ़ोन भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं.

हालांकि ऐपल के आईफ़ोन का पांचवा संस्करण इस साल बाज़ार में आ रहा है लेकिन प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी जगह बनाए रखने के लिए कंपनी पर बाज़ार में नए उत्पाद लाने का दबाव है.

कंपनी के मुख्य कार्यकारी टिम कुक का कहना था, “हमने अभी सारे मैकबुक उत्पादों का नवीनीकरण किया है. बुधवार को हम अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम, माउंटेन लायन, लॉन्च कर रहे हैं और अगले कुछ महीनों में आईओएस 6 बाज़ार में लाने वाले हैं.”

भारत बनाम चीन

भारत में कारोबार के मौकों के बारे में टिम कुक ने ये भी कहा भारत में वितरण प्रणाली भी एक मुद्दा है. उन्होंने कहा, “भारत में बहुस्तरीय वितरण प्रणाली है यानी उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले उत्पाद बहुत सारे हाथों और स्तरों से गुज़रता है जिससे उत्पाद को बाज़ार तक लाने का खर्चा बढ़ जाता है.”

इससे ठीक विपरीत चीन में ऐपल की संभावनाओं के बारे में कुक बेहद उत्साहित थे. उन्होंने कहा, “हम चीन पर बहुत ध्यान दे रहे हैं क्योंकि हम मानते हैं कि हमारे लिये वहां काफ़ी अधिक संभावनाएँ हैं.”

 

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