स्वच्छता कितनी ज़रूरी है

स्वच्छता अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मतलब रखती है। उदाहरण के लिए, जब एक माँ अपने छोटे बच्चे को हाथ-मुँह धोने को कहती है तो वह सोच सकता है कि बहते पानी में अपनी उँगलियाँ भिगो लेना और होंठ चिपड़ लेना ही काफी है। लेकिन माँ उससे बेहतर जानती है कि उसके हाथ-मुँह कैसे धोने … Read more

खुश्बू

-खेमचन्द्र रैकवार- अपने पसीने की बूंदों से उठने वाली दुर्गन्ध को ही खुष्बू बना लिया था।सारा सारा दिन मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरणपोसण करता रहा वह। न उसने दिन देखा न रात देखी। बच्चों की परवरिष में कभी भी कोई कमी न रह जाये…….इसलिये उसने पसीने को अपना मित्र बना लिया था। पसीनें की … Read more

गोबर को ‘गोबर’ ही ना समझो

लेखक: ‪#‎पंकज_चतुर्वेदी‬ (साभार: indiawaterportal.org) कृत्रिम उर्वरक यानी रासायनिक खादें मिट्टी में मौजूद प्राकृतिक खनिज लवणों का भारी मात्रा में शोषण करते हैं। इसके कारण कुछ समय बाद जमीन में जरूरी खनिज लवणों की कमी आ जाती है। जैसे कि नाईट्रोजन के उपयोग से भूमि में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पोटेशियम का तेजी से क्षरण होता … Read more

भींगे सिर सरकारी तेल…!

-तारकेश कुमार ओझा- कॉमर्स का छात्र होने के बावजूद शेयर मार्केट का उतार – चढ़ाव कभी अपने पल्ले नहीं पड़ा। सेंसेक्स में एक उछाल से कैसे किसी कारोबारी को लाखों का फायदा हो सकता है, वहीं गिरावट से नुकसान , यह बात समझ में नहीं आती। अर्थ – व्यवस्था की यह पेचीदगी राजनीति में भी … Read more

मोहन थानवी की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

मूल: मोहन थानवी खोखली कर दी संगमरमर के मकां में दरार ढूंढ कर बस गई चींटी चींटी नगर बना खोखली कर दी तराशे हुए पत्थरों के तले नींव से भी नीचे धूप बरसात हवा और तुम्हारी यादों से भीगी जमीं ! श्रीलक्ष्मी विश्वास वाचनालय, 82A, शार्दूल कालोनी बीकानेर, 334001 संस्थापक अध्यक्ष – मोहन थानवी 9460001255 … Read more

हिंदुस्तान मे सिन्ध प्रान्त (राज्य) बनाने हेतू एक मुहिम

मेरी आवाज सुनो सिन्धी समाज के निर्देशन मे देश विदेश में बदलाव हुआ यह एक सचाई है समाज के उज्वल भविष्य हेतु हमारे बुजुर्गो द्वारा किये गए सराहनीय प्रयासों को निर्वाह करते हुए हमने देश विदेश मे सकारातमक सोच और विकास के विजिन को आगे बढ़ाने के लिए हम सब ने प्रयास किया ताकि भावी … Read more

आखिर कहां …..गई हमारी सामाजिक समरसता

आज जहां देखों वहां पर लडाई झगडा हो रहा है। छोटी छोटी बातों से उपजा बिवाद बडा रूप लेकर जान लेवा साबित हो रहा है। आखिर क्या कारण हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है। क्या हम आज के इस आधुनिक युग में इतने अंधें हो गये है कि हमें अपने माता पिता ,घर परिवार, … Read more

मेरी ‘तीन अनुभूतियाँ ‘

एक ……… मेरे करीब से, उसका- यों गुजर जाना, तोड़कर- रख देता है, मेरी उन यादों को ही, और फिर- शेष रह जाता हूँ, जैसे कि- मैं नहीं था। ××××××××××××××××××××××××××××××× दो……. पानी, मर गया है, शायद इसीसे- उन बिलखते, परिजनों के प्रति- कुछ भी क्यूँ , नहीं उगता- जहन मे । दो चार , या- … Read more

वो धूप ही अच्छी थी इस छांव सुहानी से

आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस है! तो इसी बहाने प्रेस की आज़ादी पर थोड़ी सी चर्चा क्यों न कर ली जाय? रिवाज भी पूरा हो जाय और फैशन तो आजकल ये है ही ! आज़ादी एक बहु आयामी शब्द है, लेकिन कुल मिला कर आज़ादी तो आज़ादी ही है और इसका कोई विकल्प नहीं होता! इसी … Read more

मोदी का अहंकार उन्हें ले गया अन्धकार में

-आमिर अंसारी- बिहार से जिस तरह का फैसला आया है उससे यह प्रतीत होता है कि मोदी के घमंड और अहंकार पर उसी बिहार ने मज़बूत हथोड़ा मार दिया है जिसने इन्द्रा के तकब्बुर को चूर चूर किया था लेकिन लोकतांत्रिक परम्पराओं के चलते यह भी बताता चलू की कल जिस शरद यादव के भाषण … Read more

सूखे नदियोें के घाट, कार्तिक स्नान कैसे हो

हमारे बुन्देलखंड में कार्तिेक मास का बहुत ही महत्व होता है। इस मास में हमारी बुन्देली संस्कृति के अनुसार महिलायें एक मास तक पूरे धार्मिक श्रद्वा भाव से भगवान श्रीेकृष्ण की उपासना में लीन रहती है। महिलाए सुबह से उठकर समूह बनाकर भगवान श्रीक्ष्ण के गीत गाती हुई नदी, तालाबों में नहान के लिये जाती … Read more

error: Content is protected !!