जशोदा बेन को अपनाएँ मोदी, तो मैं भाजपा को वोट दूंगी: नूतन ठाकुर

सेवा में, श्री नरेन्द्र मोदी, संभावित प्रधानमंत्री, भारत, (वर्तमान में मुख्यमंत्री, गुजरात सरकार), अहमदाबाद। महोदय, मैं डॉ नूतन ठाकुर[/B] निवासी लखनऊ, उत्तर प्रदेश एक सामाजिक कार्यकर्ता हूँ और अन्य विषयों के साथ महिला अधिकार के क्षेत्र में भी कार्य करती हूँ, साथ ही मैं एक आम भारतीय नारी भी हूँ. मुझे भी इस बात पर अपार … Read more

चौ॰ कुलदीप बिश्नोई : बेदाग राजनेता समर्पित समाजसेवी

चौ॰ कुलदीप बिश्नोई हरियाणा ही नही बल्कि सम्पूर्ण उत्तर भारत के युवाओँ के प्रेरणा स्रोत हैँ। इनका जन्म 22 सितम्बर 1968 को चौ॰ भजनलाल जी के घर हुआ। राजनीति और समाज सेवा की प्रेरणा इन्हे विरासत मेँ मिली इनके पिता स्व॰ भजनलाल जी चतुर राजनेता और कर्मठ समाज सेवी थे। अपने पिता के पदचिन्होँ पर … Read more

कहां गई सुब्रत सहारा की ‘सेलीब्रिटी ब्रिगेड’…!!

-तारकेश कुमार ओझा-  आसाराम बापू और सुब्रत राय सहारा के मामले में एक गजब की समानता देखी गई। वह यह कि अपने – अपने क्षेत्र के इन दोनों दिग्गजों पर जब कानून का शिकंजा कसना शुरू हुआ , तो दोनों ने पहले इसे काफी हल्के में लिया। उनके हाव – भाव से यही लगता रहा कि इनकी नजर … Read more

अंकों का गणित भी है मोदी के पक्ष में

-दानसिंह देवांगन- रायपुर। कहते हैं दिल से अगर किसी को चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उनसे मिलाने की साजिश रचती है। इस चुनाव में शायद भाजपा के साथ- साथ अंकों का गणित भी भी नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम में जुट गया है। खबर चौकाने वाली है, पर अंकों की जादुगरी जानने … Read more

आइए, सारे सांसद सम्पूर्ण सैनिटेशन का अभियान चलाएं

सन् 2013 मे योजना आयोग ने राष्ट्रव्यापी सम्पूर्ण सैनिटेशन अभियान का आकलन अध्ययन किया था। इस अध्ययन में 27 राज्यों के 11519 घरों का सर्वेक्षण किया गया था यानी यह एक विस्तृत सर्वेक्षण था। इस अध्ययन का सर्वाधिक सदमा पहुंचाने वाला एक निष्कर्ष यह है कि सभी ग्रामीण परिवारों का72.63 प्रतिशत हिस्सा अभी भी ‘खुले में परिवार शौच‘ करता है – इसका अर्थ यह … Read more

अनुराग शर्मा की लघुकथा ‘गन्जा’ मेरी नज़र में

साहित्य के बेपनाह विस्तार में कविता, लेख, लघुकथाएं, आलोचनाएँ सब हिन्दी भाषा की धाराए है. शीर्षक ‘लघुकथा’ सिर्फ़ शीर्षक नहीं एक सूत्र भी है , वह तो सागर की गागर में एक प्रविष्ट है: “लघु और कथा एक दूसरे के पूरक है लघुता ही उसकी पूर्णता है, लघुता ही उसकी प्रभुता है. लघुकथा जीवन का … Read more

वही अर्जुन वही बाण….

सीन – वन  चुनावी महाभारत छिड़ चुका है। कौरव-पांडव से अलग होकर भी कई सेनाएं युद्ध मैदान में डटी हैं। कुछ अनुभवी हैं और कुछ बिलकुल कच्ची। मगर युद्ध जीत लेने का भरोसा सभी खेमों को है। देश-काल-परिस्थितयों के अनुरूप सभी सेनाओं के सेनापति कभी पगड़ी लगाकर दूसरे कि पगड़ी उछालते हैं और कभी बिना … Read more

यानी मोदी को प्रधानमंत्री बना कर रहेंगे मुलायम- आजम …!!

-तारकेश कुमार ओझा- भारतीय जनता पार्टी को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में लालकृष्ण आडवाणी,  अटल विहारी वाजपेयी व उनकी टीम का जितना योगदान रहा, उससे जरा भी कम योगदान लालू प्रसाद  यादव, मुलायम सिंह यादव , आजम खान , बुखारी और उन वामपंथियों का नहीं रहा, जिन्होंने सांप्रदायिकता के नाम पर हठधर्मिता और एकतरफा राग … Read more

चुनाव यात्रा : दलों का हिसाब-किताब और हताशा

वह पंजाब मेल थी। हावड़ा से अमृतसर तक जाने वाली। इस पर रायबरेली से सवार हुआ। यात्रा छोटी और थकान बड़ी थी। सो, बर्थ पर सो गया। नीचे यूपी और पंजाब के यात्री  सोचते और देखते यात्रा पूरी कर रहे थे। नींद टूटी और स्टेशन जानने के लिए उठकर बैठा। तभी दाढ़ी  वाले सरदार जी ने यूपी के हाल समझने के … Read more

सिन्धी समाज कि हर बार अनदेखी क्यो?

-दीपक पारीक, अधिवक्ता, शाहपुरा- चेटीचण्ड के अवसर पर सिन्धी समाज के कार्यक्रम मे जान हुआ। तो मुझे हमारे पेशवानी जी पत्रकार की माता जी कि बात को सुनकर दिल को काफी आघात पहुँचा की देश के बटवारे में बंगालियों का आधा बंगाल, पंजाबियों को आधा बंगाल दिया गया। किन्‍तु सिन्धियों को क्‍या मिला? हमें हमारी मातृभूमि … Read more

चुनावी फसल से खलिहान भरने की चाहत…!!

-तारकेश कुमार ओझा- गांव – देहात से थोड़ा भी संबंध रखने वाले भलीभांति जानते हैं कि खेतीबारी कितना झंझट भरा, श्रमसाध्य और जोखिम भरा कार्य है। यदा – कदा गांव जाने पर उन मुर्झाए चेहरों वाले रिश्तेदारों से मुलाकात होती है, जो अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताते हैं कि बेटा .. खेतीबारी से गुजारा मुश्किल है। … Read more

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