सिंधी समुदाय हर माह चांद उत्सव क्यों मनाता है?

सिंधी समुदाय नव हिंदू वर्श के आरंभ में चैत्र माह की प्रतिपदा यानि चेटीचंड को इस्ट देव झूलेलाल जी की जयंती बडे उत्साह के साथ मनाता है। इसके अतिरिक्त सिंधी समुदाय हर माह की अमावस्या के बाद पहली चांद रात यानि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या द्वितीया को चांद उत्सव मनाता है। इसी दिन माह … Read more

जप करते समय माला को ढ़कते क्यों हैं?

आपने देखा होगा कि अनेक श्रद्धालु जप करते समय हाथ में फेरी जा रही माला को कपड़े अथवा गौमुखी से ढ़क कर रखते हैं। गौमुखी अर्थात गौमुख की आकृति में सिला हुआ कपड़ा, जिसमें माला सहित हाथ डाल कर जप किया जाता है। इसकी वजह क्या है? वस्तुतः हमारे यहां मान्यता है कि योग व … Read more

क्या फ्रिज में आटे का लोया रखने पर उसे भूत खाने को आते हैं?

आजकल की व्यस्त जिंदगी में आमतौर पर गृहणियां आटे को गूंथ कर उसका लोया फ्रिज में रख देती हैं, ताकि जब खाने का वक्त हो तो उसे तुरंत निकाल कर गरम रोटी बनाई जा सके। यह आम बात है। इसको लेकर संस्कृति की दुहाई देते हुए सोशल मीडिया में यह जानकारी फैलाई रही है कि … Read more

क्या मोक्ष प्राप्त संत की समाधि फल दे सकती है?

हम संत-महात्माओं की समाधियां बनाते हैं। वहां अपना सिर झुकाते हैं। हर साल उन समाधियों पर मेले लगते हैं। उनकी महिमा गाई जाती है। अपनी किसी मनोकामना को लेकर हम भी अरदास करते हैं। बिना किसी स्वार्थ के केवल श्रद्धा भाव से किसी समाधि पर मत्था टेकने वाले भी होंगे, मगर अमूमन किसी इच्छा की … Read more

मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर क्यों बैठते हैं?

मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है? यह सवाल मेरे जेहन में अरसे से है। इसका जवाब जानने की बहुत कोशिश की, मगर अब तक उसका ठीक ठीक कारण नहीं जान पाया हूं। भले ही आज वास्तविक कारण का हमें पता न हो, मगर यह परंपरा जरूर कोई … Read more

चौराहे, तिराहे व मार्ग के भी देवता होते हैं?

हिंदू धर्म में तैंतीस कोटी अर्थात करोड़ देवी-देवता माने जाते हैं। हालांकि इसको लेकर मतभिन्नता भी है। कुछ जानकारों का कहना है कि कोटि का अर्थ करोड़ तो होता है, मगर कोटि का अर्थ प्रकार भी होता है। उनका कहना है कि देवता तैंतीस कोटि अथवा प्रकार के होते हैं। जो कुछ भी हो, मगर … Read more

रोना आए तो उसे रोकें नहीं

दोस्तो, नमस्कार। अमूमन कई ऐसे मौके आते हैं, जब हमारे भीतर संवदेना जाग जाती है। हम किसी के प्रति संवेदना से भर जाते हैं। कोई घटना देख कर, किसी की दर्दभरी दास्तान सुन कर, फिल्म में कोई दृष्य देख कर हमारा मन द्रवित होने लगता है, करूणा का झरना बहने लगता है, लेकिन हम हठात … Read more

सांस में छिपे हैं चमत्कारिक प्रयोग

भारतीय सनातन संस्कृति में शिव स्वरोदय एक ऐसा विज्ञान है, जिसका प्रयोग हर आम-ओ-खास कर सकता है, मगर अफसोसनाक पहलु ये है कि इसके बारे में चंद लोगों को ही जानकारी है। हालांकि विस्तार में जाने पर यह बहुत गूढ़ भी है, पूरे ब्रह्मांड का रहस्य इसमें छिपा है, जिसे योगाभ्यास करने वाला ही जान-समझ … Read more

जाहि विधि राखे राम

दोस्तो, नमस्कार। जब भी हम कोई संकल्प करते हैं तो तत्काल दो या अधिक विकल्प उत्पन्न हो जाते हैं। हम अपनी पसंद के अनुसार उसमें से एक चुनते हैं और उसे पूरा करने का जतन करते हैं, लेकिन होता वह है तो प्रकृति चाहती है। वह कभी हमारे मन के अनुकूल और कभी प्रतिकूल। अनुकूल … Read more

सत्य का विपरीत भी सत्य ही है

दोस्तों, सुप्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियस का यह कथन बहुत कीमती है कि द अपोसिट आफ truth इस आलसो true। अर्थात सत्य का विपरीत भी सत्य है। इसके बहुत गहरे अर्थ हैं। आइये, जानने की कोशिश करते हैंः- वस्तुतः जिसे हम सत्य मानते हैं या जानते हैं, वह कभी पूर्ण नहीं होता। सदैव अपूर्ण ही होता है। … Read more

इसलिए कई लोग नहीं जलाते अगरबत्ती

हमारे यहां धर्म स्थलों व घर के मंदिरों में अगरबत्ती जलाने का चलन है। यह आम बात है। मगर कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि ऐसा करना अनुचित है। आइये, जानते हैं कि उसकी क्या वजह है? वे शास्त्रों के हवाले से सवाल खड़ा करते हैं कि जिस बांस की लकड़ी को चिता में भी … Read more

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