गिलास से नहीं, लोटे से पीयें पानी

हाल ही सोशल मीडिया पर एक रोचक पोस्ट देखी, जिसमें गिलास की बजाय लोटे से पानी पीने की सलाह दी गई है। हालांकि उसमें वैज्ञानिक तथ्यों को आधार बनाया गया है, जिनकी प्रमाणिकता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, मगर प्रस्तावना में स्वदेशी की पैरवी और विदेशी का परित्याग करने का भाव अधिक … Read more

अकेले ओम पर ध्यान खतरनाक हो सकता है

ओम् की बड़ी महिमा है। इस शब्द, जो कि मूलतः ध्वनि मात्र है, के बारे में दुनिया भर के विद्वानों ने भिन्न-भिन्न व्याख्याएं की हैं। जहां तक मेरी समझ है, ओम् के बारे में जितना कहा या लिखा गया है, शायद की किसी अन्य शब्द के बारे में कहा गया हो। चाहे इसकी खोज के … Read more

हमारा छाया पुरुष या हमजाद हमसे भी अधिक ताकतवर होता है?

क्या आपको पता है कि हमारी ही फोटोकॉपी, हमारा ही प्रतिरूप, हमारा ही प्रतिबिंब, हमारी ही छाया या उसे क्लोन की भी संज्ञा दे सकते हैं, हमारे साथ हर वक्त मौजूद है? इतना ही नहीं, वह हमसे भी अधिक ताकतवर होता है। हम चूंकि शरीर में कैद हैं, इस कारण हमारी सीमा है, मगर हमारा … Read more

सत्ता के साथ रहिये, खुश रहेंगे

बुद्धिजीवियों में कबीर व उनके पुत्र कमाल का एक प्रसंग खूब चर्चा में रहा है। पहले उस पर बात करते हैं कि वह क्या था और फिर उसके निहितार्थ पर गुफ्तगू करेंगे। एक बार कबीर व उनके पुत्र कमाल एक चक्की के पास बैठे थे। संसार पर बातचीत कर रहे थे। कबीर ने जो कहा, … Read more

कुत्ते की पूंछ सा है आदमी?

धरती पर अब तक न जाने कितने भगवान, ऋषि-मुनि, महापुरुष, युग पुरुष, चिंतक, दार्शनिक, ज्ञानी, संत-महात्मा आदि अवतरित हुए हैं। हम उत्तरोत्तर बुद्धिमान व सभ्य भी होते जा रहे हैं, मगर आदमी दिन ब दिन और बदमाश, कुटिल व स्वार्थी होता जा रहा है। तो सवाल ये उठता है कि उनके अवतरण का आखिर लाभ … Read more

क्यों जरूरी है इष्ट देवता?

यह सर्वविदित है कि इस्लाम एकेश्वरवाद के तहत केवल खुदा में ही यकीन रखता है। हिंदू दर्शन में भी एके साधे, सब सधे की मान्यता है, मगर बहुदेववाद चलन में है। हिंदू मान्यता के अनुसार देवी-देवता तैंतीस करोड़ हैं। कुछ मानते हैं कि देवी-देवता तैंतीस करोड नहीं बल्कि तैंतीस कोटि अर्थात प्रकार के हैं। उनमें … Read more

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