जैन स्थानक भवन ढ़हने के लिए जिम्मेदार कौन?

अजमेर में रामद्वारा गली, पुरानी मंडी स्थित मसूदा की हवेली नाम से ख्यात जैन स्थानक भवन का एक हिस्सा पर्यूषण पर्व पर बाल संस्कार शिविर एवं महिला चौपी के दौरान गिरने से एक बुजुर्ग की मौत हो गई और जैन संत राजेश मुनि सहित सात अन्य धर्मावलंबियों के घायल हो गए। मौका ए वारदात पर राहत पहुंचाना आसान भी नहीं था, इस कारण हादसा काफी भीषण होने की आशंका थी, मगर सौभाग्य से टल गया। बात आई गई हो गई, मगर ऐसे में सवाल ये तो उठता है कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार किसे माना जाना चाहिए?
असल में इस भवन का संचालन श्री स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से किया जाता रहा है। जैसा कि संघ के सचिव पारसमल विनायका का कहना है, उन्हें यह तो पता है कि मेंटीनेंस समाज की ओर से समय-समय पर किया जाता रहा है और वर्तमान में भवन की स्थिति ठीक ही थी, लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं कि पिछली बार मैंटीनेंस कब हुआ। भवन गिरने क्या कारण रहा, इसके बारे में हालांकि उनका कहना है कि दिन में अचानक बिजली गिरी थी, जो सीधे भवन पर आई थी। यह सब अचानक हुआ। इसका सीधा सा अर्थ है कि वे भवन को गिरने की वजह बिजली को मान रहे हैं, मगर इसकी पुष्टि आसपास के लोगों ने नहीं की। सीधी सी बात है कि वे इस पुराने भवन की हालत खराब होने को नकार रहे हैं।
ऐसा अमूमन होता है। जब भी कोई हादसा होता है तो संबंधित लोग जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते ही हैं। विशेष रूप से समाज का भवन होने पर सीधे तौर पर किसी व्यक्ति विशेष पर जिम्मेदारी आयद की भी नहीं जा सकती। और फिर सामाजिक मामला होने के कारण मामले को दबाने की कोशिश ही की जाती है, अगर समाज में ही दूसरा गुट सक्रिय न हो। जो कुछ भी हो, कहीं न कहीं त्रुटि तो हुई ही है। या तो भवन के रखरखाव में चूक हुई है, या लापरवाही बरती गई है। भले ही इस हादसे के लिए फौरी तौर पर संघ को इसके लिए जिम्मेदार मान भी लिया जाए, मगर उससे होना जाना क्या है? उसे साबित करना न तो संभव है और न ही कार्यवाही की कोई उम्मीद। सांप मरने के बाद लकीर पीटने से होना क्या है? बेहतर यही है कि हम इस दुर्घटना को एक सबक के रूप में लें।
असल में शहर के घने इलाकों में अनेक भवन काफी पुराने हैं। जर्जरावस्था की दृष्टि से तकरीबन पचास भवनों को चिन्हित भी किया गया है। वे कभी भी गिर सकते हैं। हर बार बारिश आने से पहले नगर निगम एक ढर्ऱे के रूप में जर्जर भवनों के मालिकों को भवन गिराने अथवा मरम्मत कराने के लिए नोटिस जारी करता है। इस बार भी मार्च माह में यह दस्तूर निभाया गया, ताकि बाद में हादसा हो तो निगम को जिम्मेदार न ठहराया जाए, मगर उनका फॉलोअप आज तक नहीं किया। नतीजतन दो जर्जर भवन गिर चुके हैं। ये दीगर बात है कि हादसे बड़े नहीं हुए, इस कारण निगम के अफसर चैन की नींद सो रहे हैं। जानकार लोगों का मानना है कि जर्जर भवनों की हालत को लेकर निगम तभी चेतता है, जब तक कोई ऐसा भवन ही न हो, जो कि बस गिरने ही वाला हो। इस मामले में कई बार निगम मजबूर भी होता है। कई भवनों में मकान मालिक और किरायेदारों के बीच कोर्ट में विवाद चल रहे हैं, इस वजह से निगम के हाथ बंधे रहते हैं।
बहरहाल, जो भी हालात हों, जो भी अड़चनें हों, उनके बीच से ही निगम को रास्ता निकालना है। चाहे वह संबंधित मालिकों को भवन गिराने को विवश न कर पाए, मगर कम से कम उनकी मरम्मत करवाने को तो मजबूर कर ही सकता है।
इस बार जिस तरह से लगातार दो दिन तक कभी रिमझिम तो कभी तेज बारिश हुई है, धूप खिलने पर कुछ और भवन धराशायी हो सकते हैं। निगम को चाहिए कि वे पहले से चिन्हित भवनों की सुध ले और उनमें से जिनको बेहद जरूरी हो गिराने की कार्यवाही तुरंत करे, वरना कोई बड़ा हादसा होगा और हमारे पास सियापा करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा।
-तेजवानी गिरधर

1 thought on “जैन स्थानक भवन ढ़हने के लिए जिम्मेदार कौन?”

  1. तीन साल पहले दरगाह बाजार में दो भवन ज़मिंदोशहो गए मगर नगर निगम सोता रहा, पुनः एक वर्ष पूर्व ही दरगाह बाजार में दो भंवन फिर से गिर गए ” http://www.youtube.com/watch?v=RwfCqAXksYU&feature=related” मगर नगर निगम फिर भी सोता रहा आज इसी जगह पर फिर से छ मंजिला गेस्ट हाउस बन कर खड़ा हो गया जबकि नगर निगम दरगाह बाज़ार में G+2 से अधिक कि इजाज़त नहीं है , ठीक एक वर्ष पूर्व ही कमानी गेट से पहले एक माकन का छज्जा गिर गया और एक जायरीन कि मौत हो गई मगर नगर निगम सोता रहा……. लंगर खाना गली में दरगाह कि ज़मीन पर कब्ज़ा करते हुवे एक खादिम ने अवेध रेस्टोरेंट बना दिया खूब हंगामा हुवा पुलिश ने भी अतिक्रमी खादिम का पक्ष लिया और नगर निगम हाथ पर हाथ रखे बैठा रहा, दैनिक भास्कर में 10-08-2012 प्रकाशित एक खबर के अनुसार ” स्वायत्त शासन मंत्री ने विधानसभा में दी जानकारी

    स्वायत्त शासन विभाग ने नगर निगम और नगर सुधार न्यास प्रशासन की सूचना के आधार पर विधानसभा में जानकारी दी है कि अजमेर में कुल 351 होटल, गेस्ट हाउस और रेस्त्रां संचालित हैं। इनमें से सिर्फ खाइलैंड मार्केट स्थित नौ होटल, गेस्ट हाउस और रेस्त्रां व्यवसायिक भूखंड पर निर्मित है। यह होटल नगर सुधार न्यास की व्यवसायिक, सह आवासीय योजना के तहत स्थापित हैं। इन इलाकों में नियम विरुद्ध होटल, गेस्ट हाउस

    नगर निगम और नगर सुधार न्यास की स्वीकृति और भू उपयोग परिवर्तन के बगैर सबसे ज्यादा मामले देहली गेट, दरगाह बाजार, कवंडसपुरा मदारगेट, गंज, धानमंडी, त्रिपोलिया गेट, मोती कटला, लाखन कोटड़ी, खारी कुई, हिंदू मोची मोहल्ला, नला बाजार, डिग्गी चौक, पन्नी ग्रान चौक और अन्य संकरे इलाकों में संचालित होटल, गेस्ट हाउस और रेस्त्रां की है। इन इलाकों में करीब 341 ऐसे भवन आवासीय परिसर में संचालित है।
    परकोटे के भीतर के हैं मामले : मेयर बाकोलिया का कहना है कि भू उपयोग परिवर्तन के होटल, गेस्ट हाउस और रेस्त्रां संचालित होने के ज्यादातर मामले में परकोटे के भीतर संकरे इलाकों में पुराने भवनों में संचालित है। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार से दिशा-निर्देश मांगे जाएंगे। इन्हें नियमित भी नहीं किया जा सकता क्योंकि यह भवन होटल, गेस्ट हाऊस मापदंडों के अनुरूप नहीं है। ” ………फिर भी सरकार और नगर निगम सो रहा है …

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