हिम्मत कैसे होती है पाक समर्थित पोस्टर लगाने की?

स्वतंत्रता दिवस पर दरगाह के निजाम गेट पर पाक समर्थित पोस्टर लगाने पर बिहार स्थित पुरनिया के 26 बांसवाड़ी आयल बाइसी निवासी मोहम्मद इस्माइल (42) पुत्र मोहम्मद ताहिर को देशद्रोह के आरोप में रंगे हाथ गिरफ्तार करने पर भले ही पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही हो, मगर सवाल ये उठता है कि इस तरह की हरकत करने की किसी की हिम्मत होती ही कैसे है? वो भी चौड़े-धाड़े? चौड़े-धाड़े ही इस्माइल ने पोस्टर लगाने की भूल की, इसी कारण वह तुरंत पकड़ा गया, वरना पुलिस को आज तक पता नहीं लगता कि पोस्टर कौन लगा गया?
हालांकि यह अभी जांच का विषय है कि इस्माइल का मकसद क्या था और किसके कहने पर उसने ऐसा किया, मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि उसकी हिम्मत खुले-आम पोस्टर लगाने की कैसे हो गई? यदि उसका मकसद अपनी मर्जी से अथवा किसी के इशारे पर पोस्टर लगाना ही था तो वह चोरी-छुपे भी लगा सकता था। उसकी इस हरकत से इस बात की आशंका भी होती है कि कहीं वह मानसिक रूप से अस्वस्थ तो नहीं था? जैसा कि खुद उसका बयान है कि उसे ख्वाजा साहब ने सपने में कहा था कि यह पोस्टर लगाना है, इस आशंका को बल प्रदान करता है कि उसने धर्म भीरुता के चलते ऐसा किया हो। जहां तक पोस्टर में लिखे मजमून का सवाल है, उसमें भी पूरी दुनिया का मालिक गरीब नवाज लिखा है, न कि पूरी दुनिया का मालिक पाकिस्तान, जैसा कि पुलिस व मीडिया बयान कर रहा है।

बेशक उसमें पाकिस्तान भी लिखा है, वह ऊपर अलग से लिखा है। पूरी दुनिया का मालिक गरीब नवाज वाक्य की फोंट साइज एक ही है, इससे साफ झलकता है कि उसका ज्यादा जोर गरीब नवाज पर है, न कि पाकिस्तान पर। अकेला पाकिस्तान शब्द उसे देशद्रोह की श्रेणी में गिनवा रहा है, जबकि न तो भारत के खिलाफ कुछ लिखा है और न ही पाकिस्तान के समर्थन में कोई बात लिखी है। फिर भी पाकिस्तान लिख कर वह क्या जताना चाहता था, इसकी छानबीन होने पर ही सच सामने आएगा। दूसरी अहम बात ये है कि आखिर उसने 15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना? इस दिन का हमारी स्वतंत्रता, संप्रभुता, एकता, अखंडता से सीधा भावनात्मक संबंध है। ऐसे मौके पर यदि कोई मुस्लिम दरगाह जैसे पवित्र स्थान पर पाकिस्तान का जिक्र करता हुआ पोस्टर लगाएगा तो जाहिर तौर पर यह उसके पाक परस्त होने की इशारा करता है। ऐसा पाक परस्त यदि स्वाधीनता दिवस के मौके पर घटिया हरकत करता है तो यह इस बात का सबूत भी है कि उसे पुलिस तंत्र की कोई परवाह नहीं थी। और यदि वह किसी दहशतगर्द गिरोह से संबद्ध है तो यह और भी गंभीर बात है। वस्तुत: यह पुलिस और सीआईडी को खुली चुनौती है, जिसका तोड़ पुलिस को ही निकालना है। खुफिया एजेंसियों को इस्माइल के अतिरिक्त पकड़े गए आरोपियों के स्लीपर सेल के लिए काम करने की भी आशंका जाहिर है। ज्ञातव्य है कि दहशतगर्दों की स्लीपर सेल में शामिल होने वाले शातिरों के बैंक खातों में संगठन पैसा जमा करवाता है। इसका खुलासा तो पूरी जांच होने पर हो पाएगा।
कुल मिला कर इस प्रकार की हरकतें हमारे शांतिप्रिय शहर के वसियों के लिए भी सोचनीय हैं। विशेष रूप से इस कारण कि दरगाह में एक बार बम विस्फोट हो चुका है और आतंकी व तस्करी वारदातों के अनेक मामले सामने आ चुके हैं।
-तेजवानी गिरधर

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