अवैध रूप से उड़ रहे थे हॉट एयर बैलून

अफसरों ने की मुफ्त सैर
balun 3अजेमर, (एस. पी. मित्तल) : अजमेर सेंट्रल जेल में हॉट एयर बैलून के अचानक उतरने का मामला चाहे जितना भी गंभीर हो, लेकिन दोषी निजी कंपनी के मालिकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी, क्योंकि कार्यवाही होती है, तो जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी ही फंसेंगे। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी निजी कंपनी अवैध तरीके से पुष्कर-अजमेर में एयर बैलून उड़ा रही थी।
हॉट एयर बैलून की अनुमति का संबंध केन्द्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्रालय से होता है। मंत्रालय के विशेषज्ञ ही बता सकते हैं कि एयर बैलून कहां उड़ेंगे तथा उनके उडऩे का दायरा क्या होगा। इतना ही नहीं विशेषज्ञ ही हॉट एयर बैलून की तकनीकी जांच भी करते हैं। लेकिन पुष्कर मेले में जिला प्रशासन ने ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई। प्रशासन ने मेला विकास समिति की मात्र 21 हजार रुपए की रसीद काट कर चार-पांच हॉट एयर बैलून उड़ाने की अनुमति दे दी। कायदे से प्रशासन की यह अनुमति कोई मायने नहीं रखती है। आरोपी कंपनी को अनुमति नागरिक एवं उड्डयन मंत्रालय से ही लेनी चाहिए थी। कंपनी के मालिक को पता था कि मंत्रालय से अनुमति आसानी से नहीं मिलेगी, इसलिए कंपनी ने 21 हजार रुपए की पुष्कर मेले को मदद के साथ-साथ जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को मुफ्त में सैर कराई। शायद ही ऐसा कोई अधिकारी होग, जिसने अपने परिवार के सदस्यों के साथ पुष्कर मेले में हॉट एयर बैलून की सवारी नहीं की हो। यदि आम पर्यटक इस बैलून की सवारी करें, तो उससे तीन हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। अफसरों को मुफ्त में सैर इसलिए कराई ताकि बैलून का अवैध संचालन होता रहे। मुफ्त सैर के लालच में जिला और पुलिस प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने आरोपी कंपनी से यह भी जानने की कोशिश नहीं कि हॉट एयर बैलून के पायलट प्रशिक्षित हैं भी या नहीं। सेन्ट्रल जेल के हादसे के बाद जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक ने कहा कि आरोपी कंपनी की अनुमति निरस्त कर दी गई है। यानि अब पुष्कर मेले के शेष दिनों में बैलून नहीं उड़ेंगे। सवाल उठता है कि जब प्रशासन को तकनीकी दृष्टि से अनुमति देने का अधिकार ही नहीं था, तो फिर अनुमति निरस्त करने के क्या मायने हैं। असल में राज्य सरकार को प्रशासन के उन अफसरों पर कार्यवाही करनी चािहए, जिन्होंने केन्द्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर एक निजी कंपनी के हॉट एयर बैलून कई दिनों तक उडऩे दिए। हालांकि कि अब पूरे मामले की जांच एडीएम सिटी हरफूल सिंह यादव कर रहे हैं, लेकिन यादव वो ही रिपोर्ट तैयार करेंगे जो जिला प्रशासन के अफसर कहेंगे।
तथ्यों से परे हैं कंपनी का बयान:
सेन्ट्रल जेल के हादसे के बाद आरोपी ई-फेक्टर एडवेंचर ट्यूरिज्म कंपनी नोएडा के मैनेजर कपिल शर्मा का कहना है कि विपरित और तेज हवा के कारण बैलून रास्ता भटक गया। इसलिए मजबूरी में बैलून को सेंट्रल जेल में उतरना पड़ा। कंपनी का यह बयान पूरी तरह तथ्यों से परे है, क्योंकि मंगलवार की शाम एक नहीं तीन हॉट एयर बैलून पुष्कर से अजमेर पहुंचे। दो अन्य बैलूनों को वैशाली नगर और कोटड़ा क्षेत्र में उतारा गया। तीनों बैलूनों को अजेमर शहर में उतारने से पहले बैलून के पायलट ने कंपनी के अधिकारियों से वायर लैस सैट से बात की है। जमीन से अधिकारियों के निर्देश मिलने पर ही पायलट ने बैलून को सेंट्रल जेल में उतारा। बैलून जेल में उतरने से पहले ही कंपनी के अधिकारी जेल के अंदर पहुंच गए थे। कंपनी के अधिकारियों ने पुलिस के बड़े अधिकारियों से दबाव डालवाकर जेल अधिकारियों को सहयोग करने के लिए कहलवा दिया था। यदि बैलून विदेशी नागरिकों के साथ शाम के वक्त अचानक उतरता तो हो सकता था कि जेले के सुरक्षा गार्ड गोली चला देते। जेल में किसी के जबरन घुसने पर गोली चलाने के स्थायी आदेश हैं। चूंकि जेल और कंपनी के अधिकारी तो बैलून का स्वागत करने के लिए पहले से तैयार खड़े थे, इसलिए जेल में कोई हंगामा नहीं हुआ। जानकारी के मुताबिक बैलून को पहले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की छत पर उतारने की योजना थी, लेकिन ऐन मौके पर बैलून के पायलट ने विदेशी महिला पर्यटकों की जान को खतरा बता दिया। पायलट का कहना रहा कि यदि बैलून सात मंजिला वाले बोर्ड भवन की छत पर सही नहीं उतरा तो पर्यटक नीचे गिर सकते हंै। इसके बाद बैलून को बोर्ड भवन के निकट सेन्ट्रल जेल के खाली मैदान पर ही उतराने का निर्णय लिया। इस पूरे घटनाक्रम से प्रतीत होता है कि सेंट्रल जेल में एयर बैलून को योजनाबद्ध तरीके से उतारा गया।
कंपनी को बचाने की कोशिश:
सिविल लाइन पुलिस स्टेशन पर इस मामले मे ंजो मुकदमा दर्ज किया गया है। उसमें भी आरोपी कंपनी को बचाने की कोशिश की गई है। खानापूर्ति के लिए बैलून के ऑपरेटर को गिरफ्तार कर बैलून जप्त किया गया है। जांच करने वालों को अभी तक भी कंपनी के मालिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जबकि इस पूरे प्रकरण में सबसे पहले कंपनी के मालिकों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। कंपनी के मैनेजर कपिल शर्मा ही सारी कार्यवाही को अंजाम दे रहे हैं।

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