-सुमित सारस्वत- ब्यावर नगर परिषद में ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा का बोर्ड बनवाने में विधायक शंकर सिंह रावत के बाद अगर किसी शख्स की भूमिका रही तो वो हैं रमेश बंसल। भाजपा में मंडल महामंत्री के पद पर नियुक्त बंसल चुनाव के दौरान हर गतिविधि और कार्यक्रम में नजर आए। टिकट आवंटन से लेकर उपसभापति चुनाव की हर कमान इनके हाथ में रही मगर शनिवार को पदग्रहण समारोह में बंसल नजर नहीं आए। इनकी गैर मौजूदगी शहर में चर्चा का विषय बन गई। आखिर ऐसी क्या वजह रही कि बंसल ने अचानक पार्टी से दूरी बना ली।
सारस्वत-पदग्रहण समारोह में क्यों नहीं आए?
बंसल-मुझे आना ही नहीं था।
सारस्वत-कोई खास वजह?
बंसल-मुझे तो परिषद में भाजपा का बोर्ड बनवाना था, बनवा दिया।
सारस्वत-सभापति के चयन को लेकर कोई विवाद?
बंसल-मेरा किसी से कोई विवाद नहीं। जैसा पार्टी ने आदेश दिया मैंने वही किया।
सारस्वत-सुना है कोई अनबन हो गई?
बंसल-विचारों की लड़ाई है। पार्टी के कुछ लोगों ने मेरी निष्ठा पर उंगली उठाई। जबकि विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए अपनी जान झोंकी। फिर भी उन लोगों के मन में संदेह है कि मैं किसी और को सभापति बनवाना चाहता था। अगर मन में एक प्रतिशत भी ऐसी कोई इच्छा होती तो जीत के बाद सारे पार्षद मेरे हवाले थे। मेरा मकसद सिर्फ भाजपा का बोर्ड बनवाना था। मुझे किसी सम्मान की चाह नहीं है लेकिन झूठे आरोपों से दिल दुखता है। इसीलिए कल आने का मन नहीं किया। मैं पार्टी के लिए समर्पित हूं। पार्टी की सेवा आगे भी करता रहूंगा।
सारस्वत-कार्यकर्ताओं को धक्के मारना कहां तक उचित है?
बंसल-26 नवंबर वाली घटना की बात कर रहे हो। वो वाकई दुर्भाग्यपूर्ण थी। पार्टी का हर निष्ठावान कार्यकर्ता मेरे लिए सम्मानीय है। मैंने कभी नहीं चाहा किसी कार्यकर्ता का अपमान हो। मैं बेवजह राजनीति का शिकार हो गया।
(सारस्वत मीडिया…सबसे पहले, सबसे तेज)