अजमेर के मन में क्या है ?

ashok mittalजब से अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की खबर आई है तबसे अजमेर वासी बहुत खुश हैं। आजकल हर कहीं चर्चाओं का सिलसिला जारी है।  अजमेर की युया पीड़ी से लेकर सीनियर सिटीजन्स तक सभी नागरिक कुछ न कुछ राय मश्विरा कर रहे हैं।  पहले अजमेर ऐसा था – अब अजमेर कैसा होगया है? . बुद्धिजीवीयों, महिलाओं, युवाओं में सबसे ज्यादा वाद विवाद के विषय हैं – सफाई, यातायात व्यवस्था, पानी, बिजली, पब्लिक पार्क, वाहनों की पार्किंग, चिकित्सा सुविधाएँ, नेताओं व् सरकारी अफसरों की लाचारी और नगर निगम सहित अन्य संस्थाओं में में व्याप्त घोर भ्रष्टाचार। मीडिया में भी बड़े बड़े आर्टिकल्स छप रहे है।

समस्यों की लम्बी लिस्ट है, सुधारों के अनगिनत सुझाव हैं, अजमेर को लेकर सबके मन में पीड़ा है, दर्द है, चुभन है, बचपन की यादें है, स्कूल कॉलेज के दिनों का नव-आज़ाद अजमेर है, लहलहाता सुभाष उध्यान है, आनासागर की झील का प्राकर्तिक मनोरम दृश्य है, बारादरी की छतरियाँ हैं और शिक्षा के क्षेत्र में, बास्केट बॉल, फुटबॉल आदि  में राष्ट्रीय स्तर की पहचान के स्मरण मात्र की गुद्गुदियां हैं  तो मन में वो पुराने दिग्गज भी है जिन्हों ने मुनिसिपल्टी के सभापति पद को गौरव प्रदान किया, ईमानदारी व निष्ठा से शहर के भले के लिए, विकास के लिए कार्य किया। और ये सब उन्होंने पैसा बनाने के लिए नहीं बल्कि उल्टा अपने अमूल्य समय में से समय निकालकर अपना योगदान दिया। कहने की ज़रूरत नहीं की आज इन पदों के क्या मायने हैँ?

चूँकि सफाई एक बहुत बड़ी चुनौती है तो क्यों न हम जागरूक मित्र इस विषय पर चर्चा करने के बजाय कुछ ठोस कार्य करने का बीड़ा उठायें?
डॉ अशोक मित्तल

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