इधर कुँवा उधर खाई, किधर जाये भाई…?

Beawar 1जापान में आई सुनामी  के बाद जापान फिर से खड़ा हुआ । ठीक वेसे ही ब्यावर की राजनीति में आई सुनामी , क्या फिर से विकसित ब्यावर की तकदीर लिखेगी ? ये सवाल आवाम की तरफ से मेरे जेहन में अब भी उठ रहा है । जवाब ढूंढ रहा हु। बस डर ये है की जवाब मिल जाये तो कई ये राजनिति सवाल न बदल दे क्योकि यहाँ की राजनीति को मेने करीब से देखा है, दीये के साथ तो चलते है पर साथ हवा का देते है, यहाँ मेने कही चेहरों के मिजाज बदलते देखे है, जो काजल लगाकर काली नजर से तो बचाते है पर काला मुह करवाने से नहीं कतराते। वर्तमान में एक बैनर के पर्दे पर लगे दो दाग…जिनसे आप वाकिफ होंगे…सत्ता का नशा है जो सर चढ़कर भी नहीं चढ़ रहा और संगठन है जो सत्ता की चाबी हाथ में लेकर भी ताला नहीं खोल पा रहा ? ब्यावर मंडल और विधायक के बीच दिखती नाराजगी जगजाहिर है, अलग अलग कार्यक्रम इसका सबूत। ऐसे में पार्टी को सींचने वाला कार्यकर्ता पेड़ की दो डाल के बीच लटक गया है ।  हर कार्यकर्ता खुद पशोपेश में है की खाई में गिरे या फिर कुवे में, जिधर भी गिरे पतन का ड़र सता रहा है, कही राजनितिक जीवन में दी आहुतिया बर्बाद ना चली जाये। जिस पार्टी के लिए अपनी सहभागिता दी, परिवार के तानो को दरकिनार कर आकाओ के सामने नतमस्तक हुए, आज वहीँ आंका उनका फिर से इम्तेहान ले रहे है। ये तो ऐसी मौत है जो जहर खाकर भी असर नहीं कर रही….खेर पिछला 5 साल पुराना इतिहास फिर दोहराया है, हल तो निकलेगा लेकिन ब्यावर को ले डूबेगा ! फिर से राजनीती के शहंशाह आएंगे, जिले के नाम पे लुभावनी गोलिया दागेंगे और हम फिर से घुट पीकर सितम की ढ़कार मारेंगे, क्योकि ये सितम ही है जो वादों को ढाल बनाकर हम पर ढहाया जा रहा है, आखिर ओर कब तक..? इस कलयुग में किसे भी मसीहा समझने की भूल मत करना,  क्योकि भगवान् खुद राजनीति का शिकार हो चूका है साथियो..

कुलभूषण

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