अजमेर निगम के सीईओ सी.आर. मीणा के एक पत्र से प्रतीत होता है कि पुलिस विभाग अजमेर को स्मार्ट और हेरिटेज सिटी नहीं बनाने दे रहा है। मीणा ने 11 मार्च को एक पत्र जिला कलेक्टर डॉ.आरूषी मलिक और पुलिस अधीक्षक महेन्द्र चौधरी को लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर अजमेर को हेरिटेज और स्मार्ट सिटी बनाना है। इसके अन्तर्गत शहर की सड़कों को चौड़ा कर सौन्दर्यीकरण किया जाना है। लेकिन इस काम में अस्थाई अतिक्रमण अनेक डेयरी के बूथ, गन्ने की मशीन के थैले आदि बाधक बने हुए हैं। इन सब को हटाने के लिए पुलिस की इमदाद चाहिए। असल में इस तरह के पत्र निगम प्रशासन पहले भी कलेक्टर, एसपी को लिख चुका है लेकिन निगम को पर्याप्त संख्या में पुलिस की मदद उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। लोगों के विरोध के कारण निगम के कर्मचारियों को कई बार बैरंग भी लौटना पड़ता है, लेकिन इस बार देश के प्रधानमंत्री की दुहाई देकर निगम प्रशासन ने कलेक्टर, एसपी पर जिम्मेदारी डाल दी है। अब यदि निगम प्रशासन को पुलिस और प्रशासन की मदद नहीं मिलती है तो यह माना जाएगा कि पुलिस और जिला प्रशासन ही अजमेर को स्मार्ट और हाईटेक सिटी नहीं बनने दे रहे हैं। यह सही भी है कि निगम प्रशासन पुलिस की मदद के बिना अस्थाई अतिक्रमण नहीं हटा सकता। इस संबंध में पूर्व में संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने भी अस्थाई अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे लेकिन भटनागर के निर्देशों की जिला प्रशासन ने कोई परवाह नहीं की। अब देखना है कि सीईओ मीणा के पत्र का कलेक्टर, एसपी पर कितना असर होता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511