क्या पाक जायरीन का भी भाजपा विरोध करेगी?

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारत विरोधी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाने का विवाद चरम पर होने के चलते जैसे ही अजमेर लिटरेरी सोसायटी के बेनर तले गत दिनों लाहौर-पाकिस्तान के शायर प्रो. अब्बास ताबिश के कार्यक्रम शायरी सरहद से परे को भाजपा सहित अन्य हिंदूवादी संगठनों के विरोध की वजह से रद्द करना पड़ा, यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि कहीं इसी प्रकार का विरोध ख्वाजा साहब के आगामी सालाना उर्स के दौरान पाक जायरीन के आगमन को लेकर न खड़ा हो जाए। हालांकि अब तक भाजपा व हिंदूवादी संगठनों की ओर से इस प्रकार के संकेत नहीं आए हैं, मगर प्रशासन और गुप्तचर पुलिस इस मामले में सतर्क है।
असल में ये आशंका इस कारण उत्पन्न होती है क्योंकि इससे पहले भी भारत-पाक संबंधों में तनाव के चलते लगातार दो साल तक पाकिस्तानी जायरीन उर्स मेले में नहीं आए थे। ज्ञातव्य है कि पाक जेल में वर्ष 2013 में सरबजीत की हत्या के बाद भारत-पाक के संबंधों में तनाव हो गया था। देशभर में पाक का विरोध हुआ। उर्स मेले में पाक जत्थे के आने की सूचना जैसे ही सार्वजनिक हुई, यह विरोध चरम पर पहुंच गया। इसी विरोध के चलते पाक जत्था भारत नहीं आ सका। वर्ष 2014 में भी कई अन्य कारणों से भारत-पाक संबंधों में तनाव बरकरार था, इस वजह से पाक जत्था नहीं आया। विरोध का मसला केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि सरकार के स्तर तक जा पहुंचा था। भारत सरकार की ओर से कहा गया था कि द्विपक्षीय घटनाओं के मद्देनजर भारत में जो सुरक्षा माहौल बना है, उसकी वजह से सरकार पाकिस्तानी जायरीनों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने की स्थिति में नहीं होगी। सरकार ने पाकिस्तान सरकार से बाकायदा सिफारिश भी की कि जायरीनों के अजमेर दौरे को रद्द किया जाए।
यहां बता दें कि हर उर्स में पाकिस्तान से जायरीन भारत सरकार के खास मेहमान बन कर जियारत के लिए अजमेर आते हैं। अटारी से उनके लिए स्पेशल ट्रेन चलती है, जो आईबी और विशेष सुरक्षा बलों की निगरानी में दिल्ली होते हुए अजमेर आती है। यहां अमूमन वे तीन-चार दिन ठहरते हैं तब तक ट्रेन विशेष सुरक्षा निगरानी में रहती है। उन्हें स्थानीय सेंट्रल गल्र्स स्कूल में ठहराया जाता है। कलेक्टर समेत राज्य के कई अफसर उनकी तीमारदारी में रहते हैं।
इस बार भी चूंकि जेएनयू का मसला बेहद गरम है, इस कारण आशंका है कि कहीं भाजपा व उसके सहयोगी संगठन फिर से विरोध के स्वर ऊंचे न कर दें। चूंकि पाक शायर प्रो. अब्बास ताबिश के मामले में तो भाजपा ने कार्यक्रम होने से ऐन पहले पूर्व संध्या पर ही विरोध किया, इस कारण आनन फानन में आयोजकों ने कदम पीछे कर लिए, मगर वीजा की औपचारिक मंजूरी होने सहित कार्यक्रम की अनुमति तक की औपचारिकता पूरी हो चुकी थी। यह दीगर बात है कि जवाहर रंगमंच के किराये से मुक्ति के लिए पंजीयन अन्य संस्था ने करवाया था।
बहरहाल, उर्स मेले में ज्यादा दिन शेष नहीं हैं। आगामी अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही मेला शुरू होने वाला है। इसकी प्रशासनिक तैयारी बैठक भी हो चुकी है। यह कहना अभी मुश्किल है कि उर्स मेला शुरू होने तक माहौल में कुछ सुधार आ ही जाएगा। मगर यदि भाजपा अथवा सहयोगी संगठनों से अभी से इस मुद्दे को उठाया तो संभव है कि प्रशासन व सरकार को इस पर विचार करना पड़ जाए।
-तेजवानी गिरधर
7742067000, 8094767000

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