ढाई लाख का रावण जल गया, 10 रुपए रोटी के ना मिले…

arvind apoorva
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आज दशहरा था…। लो आज फिर रावण जल गया। कई दिन से तैयार हो रहा था। प्रशासन ने भी बाहर से कारीगरों को बुलाया, कहा पैसे कितने भी ले लो, रावण शानदार होना चाहिए। ढाई लाख रुपए लगे… रावण तैयार हो गया। अहं से भरा… अट्टहास करता। तीन घंटे पहले से लोग उसके दहन को देखने के लिए मैदान पर आ जुटे। और जब जला… दो मिनट भी नहीं लगे। रावण अट्टहास करते हुए धूं-धूं कर जल गया। लेकिन उसकी अट्टहास का गहरा राज समझने में काफी वक्त लग गया। जब समझ आया… तो फिर दिमाग को कुछ और समझ नहीं आया। रावण कह गया… दो मिनट में खाक होने वाले रावण पर ढाई लाख खर्च कर दिए…। बाहर एक बच्चे को रोटी के लिए दस रुपए तक न दे सके। अट्टहास हमारी अज्ञानता पर था, हमारी झूठी शान पर था, हमारी नादानी पर था। वो बच्चा रातभर भूखा सोया। उसे आतिशबाजी नहीं, उसे चाहिए थी रोटी। पैसे न देते… बस दो रोटी प्यार से खिला देते। वो अब भी भूखा सो रहा है। वो रोज भूखा सोता है…। कभी फुटपाथ पे… कभी पब्लिक पार्क में… कभी मंदिर के बाहर… तो कभी दरगाह-मस्जिद के पास। इसी उम्मीद से कि रावण जलाने वालों में कहीं तो उसे कोई इंसान मिल जाए…।

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