चंद माह में ही अजमेर से रुखसत कैसे हो गईं पुष्पा सत्यानी?

इसी साल अजमेर नगर सुधार न्यास में सचिव पद पर नियुक्त हुईं श्रीमती पुष्पा सत्यानी चंद माह में ही अजमेर से रुखसत हो गईं। जाहिर है यह सवाल तो उठना ही है कि क्या सरकार को उनका कामकाज पसंद नहीं आया या वे स्वयं यहां नहीं रहना चाहती थीं।
जैसी कि जानकारी है, न्यास सदर नरेन शहाणी भगत अपनी सुविधा के लिए उन्हें यहां ले कर आए थे। उन्हें सुविधा हुई या नहीं, ये तो पता नहीं, मगर पुष्पा सत्यानी को जरूर असुविधा हो गई। अंदरखाने की खबर यही है कि वे खुद ही यहां नहीं रहना चाहती थीं। कार्यभार संभाले दो-तीन माह ही हुए थे कि वे आए दिन की राजनीतिक घोचेबाजी व मीडिया की तीखी नजर के चलते परेशान हो गईं। उन्होंने कहना शुरू कर दिया था कि अजमेर में तो काम करना संभव ही नहीं है। यहां के लोग कुछ करने ही नहीं देना चाहते। केवल हर काम में बाधा डालने लगते हैं। असल में एक ओर तो भाजपा की विधायक श्रीमती अनिता भदेल न्यास को टारगेट पर ले रखा था। सच ये भी है कि इसमें मीडिया का भी पूरा हाथ था। ये मीडिया का ही दबाव था कि स्वायत्त शासन विभाग व नगरीय विकास विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव जी. एस. संधु ने अजमेर नगर सुधार सचिव श्रीमती पुष्पा सत्यानी को नसीहत दे दी कि वे आवासीय योजनाओं में मकानों के व्यावसायिक भू उपयोग परिवर्तन नहीं करें। सीधी सी बात है कि भू उपयोग परिवर्तन के मामलों में आवेदक कुछ ले दे कर अपना काम करवाना चाहता है। यानि कि संधु के निर्देश के बाद खाने-कमाने का यह जरिया तो बंद हो गया। पत्रकार संजय माथुर की रिपोर्ट पर ही भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने अफोर्डेबल स्कीम के तहत आवास बनाने की योजना में की जा रही नियमों की अनदेखी का मसला सरकार के सामने उठाया और उसे बंद करने के आदेश हो गए। इसमें भी अच्छी खासी आमदमी होने की उम्मीद थी, जिस पर पानी फिर गया। इसके अतिरिक्त श्रीमती अनिता भदेल ने भगवान गंज सैकंडरी विद्यालय के ठीक पीछे स्थित पहाड़ी का गलत नियमन करने पर हंगामा किया, जिसकी जांच करवानी पड़ी और नियमन गलत पाए जाने पर उसे रद्द भी करना पड़ा। इस मामले में न्यास की बड़ी भारी फजीहत हुई।
ये रही उपलब्धियां
जहां तक उनके संक्षिप्त कार्यकाल में हुए कामों का सवाल है कि न्यास की महत्वाकांक्षी डीडी पुरम आवासीय योजना सिलसिले में भूमि के बदले में भूमि के न्यास के प्रस्ताव को राज्य सरकार स्वीकृति प्राप्त हुई है। उनके कार्यकाल में ही चन्दवरदायी नगर में राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ हॉकी सिंथेटिक टर्फ स्टेडियम का शुभारंभ हुआ। इसी प्रकार अफोर्डेबल आवासीय नीति 2009 के अंतर्गत आवासहीन आर्थिक दृष्टि से कमजोर एवं अल्प आय वर्ग के लिए आवासों का निर्माण की योजना ने गति पकड़ी। इंडिया मोटर्स से आनासागर स्केप चैनल तक कचहरी रोड पर क्षेत्रपाल आई हॉस्पिटल के सामने नाले को कवर कर पार्किंग स्पेस तैयार हुआ। साथ ही हाथीभाटा गली से ब्रह्मपुरी नाले तक नाले को कवर कर पार्किंग स्पेस भी पूर्ण हुआ। उनकी इच्छा थी कि कचहरी रोड से तोपदड़ा पुलिया तक नाले को कवर किया जाए, किंतु रेलवे ने अभी तक स्वीकृति नहीं दी। इसी प्रकार मुख्य नसीराबाद रोड पर 9 नंबर पेट्रोल पम्प से डी.ए.वी. शताब्दी स्कूल तक, सी.आर.पी. ओवरब्रिज से रोडवेज बस स्टैंड तक तथा नाका मदार से नारेली चौराहा बाईपास की सड़क को फोरलेन में परिवर्तित करने तीनों सड़कों के मध्य डिवाइडर बनाकर स्ट्रीट लाइटें लगाने का कार्य भी आरंभ कराया। उन्हीं के कार्यकाल में माकड़वाली मुख्य मार्ग एवं प्रस्तावित पुष्कर बाईपास के जंक्शन पर आधुनिक सुख-सुविधाओं सहित सीमेंट कन्क्रीट सड़कें, ड्रेनेज, बिजली, पानी, सीवर एवं प्लान्टेशन आदि का प्रावधान कर एन.आर.आई. आवासीय योजना इको फे्रण्डली तर्ज पर बनाने की योजना बनी। जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे एवं वन भूमि पर अतिक्रमण कर बच्ची बस्ती में रह रहे परिवारों 664 आवासों का निर्माण हो चुका है तथा योजना की क्रियान्विति भी अतिशीघ्र ही की जाएगी। उन्हीं के कार्यकाल में हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार में नौसर घाटी प्राइवेट बस स्टेण्ड का शुभारंभ हुआ।
आइये जानें, पुष्पा सत्यानी के निजी जीवन के बारे में
चार भाइयों एवं पांच बहनों में सबसे छोटी पुष्पा सत्यानी का जन्म जोधपुर में पाकिस्तान से निर्वासित होकर आए श्री चांदूमल सत्यानी, जो एक साधारण व्यवसायी थे, के घर हुआ। प्रारंभिक शिक्षा बी.जे.एस. स्कूल जोधपुर प्राप्त करने के बाद बड़े भाई श्री किशनचंद का स्थानान्तरण बीकानेर में हो जाने के कारण सोफिया स्कूल से हायर सेकंडरी उत्तीर्ण कर सोफिया कॉलेज, अजमेर से प्रथम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ग्रेजुएशन तक की शिक्षा महारानी सुदर्शन कॉलेज, बीकानेर से ली। 1989-91 में रामपुरिया कॉलेज, बीकानेर से एमबीए उत्तीर्ण कर सीधे राजस्थान प्रशासनिक सेवा प्री एंड मेन परीक्षा उत्तीर्ण कर, राजस्थान लोक सेवा आयोग में इन्टरव्यू में राज्य में 13वां रैंक प्राप्त कर राज्य प्रशासनिक सेवा में प्रवेश किया। ओ.टी.एस. जयपुर में प्रशिक्षण के बाद सर्वप्रथम बीकानेर में सहायक आयुक्त कोलोनाइजेशन पद पर कार्य आरंभ कर अनूपगढ़ में सहायक जिला मजिस्टे्रट, जयपुर में एस.डी.ओ. लैंड कन्वर्जन, अजमेर में सहायक जिलाधीश, राजस्थान कर बोर्ड अजमेर में सहायक रजिस्ट्रार, जयपुर में माडा में डिप्टी प्रोजेक्ट अधिकारी, जयपुर में ही जे.डी.ए. के जोन में उप आयुक्त, जयपुर में परिवहन विभाग में उप आयुक्त, जयपुर नगर निगम में आयुक्त तथा बाद में सहायक जिला मजिस्ट्रेट संख्या चार व ओ.टी.एस., जयपुर में कार्य किया। बाद में राजस्थान मेडीकल सर्विसेज कॉरपोरेशन जयपुर में कार्यकारी निदेशक के रूप में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना में डॉ. सुमित शर्मा के मार्गदर्शन में कार्य किया। इसके बाद इसी साल नगर सुधार न्यास, अजमेर में सचिव पद पर स्थानान्तरण हुआ। श्रीमती सत्यानी के पति अजमेर के जे.एल.एन. अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर विजय वसन्दानी हैं। उनके एक पुत्र व एक पुत्री है।
-तेजवानी गिरधर

error: Content is protected !!