युवा – श्री – ओर सेना

कितना भयानक होता यह “कुमावत भवन” हादसा यदि “युवा – श्री” ओर सेना नही होती
दुर्घटना के शुरुआती समय मे शहर के युवाओं ने दिखाई सक्रियता
राहत कार्य का अंतिम अभियान चलाया सेना ने

हेमेन्द्र सोनी
इस ना भूलने वाले हादसे में ब्यावर के कुमावत भवन में घटित गेस टंकी के विस्फोट की घटना में व्यावर के सरकारी तंत्र और प्रशासन के साथ साथ शहर की फायर ब्रिगेड ओर उनके अधिकारियों ओर फायर फाइटर की मुस्तेदी जनता ने अपनी आंखों से देख ली, की कितनी निष्क्रिय ओर लाचार है हमारे शहर की फायर ब्रिगेड व्यवस्था ओर सरकारी तंत्र, घटना के 35 -40 मिनट देर से पहुची ओर उसके बावजूद फायर ब्रिगेड के पास अपने आवश्यक रोजमर्रा के संसाधनो तक का अभाव नजर आया । इसकी वजह से राहत कार्यो में देरी हुई । जिसकी वजह से मौत का आंकड़ा बढ़ता गया ।
मोत के आँकड़े को कम करने में शहर के नागरिकों ने भी अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई, जिसमे दुर्घटना के समय मोके के आस पास के युवाओं और लोगो ने तुरंत राहत सहायता उपलव्ध करा कर उन्हें अस्पताल भिजवाया । जिस कारण मृतकों की संख्या को कम करने में मदद मिली । शहर के युवाओं ने जिस दिलेरी से कार्य को अंजाम दिया वह प्रशंशा के योग्य है ।
यह तो भला हो शहर का की हमारे पास श्री सीमेंट की यूनिट लगी है जिसकी भारी भरकम मशीने, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, ओर टेक्नीशियनों की लगभग 50 से अधिक लोगो की टीम ने अपने पुरे लवाजमे ओर संसाधनों के साथ लगातार जुटी रही । जिसकी वजह से ऐसा लग रहा था कि राहत कार्य NDRF की टीम ओर श्री सीमेंट की टीम ही संभाल रही थी । शहर वासियों ने यह सब अपनी आंखों से देखा और श्री प्रबंधको के प्रति अपना आभार प्रकट किया । इसमे मुख्य रूप से अरविंद खिंचा, संजय मेहता, श्याम शर्मा, ने पूरी स्थिति पर लगातार नजर रखी और पूरे राहत कार्यो की मॉनिटरिंग की ओर आवश्यकता के अनुसार सभी संसाधन उपलब्ध कराए ।
इसके साथ ही मृतको के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए प्रत्येक मृतक को एक एक लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी दिखाई, जिसके लिए शहर के नागरिक ओर प्रभावित परिवार श्री का आभार मानते है ।
श्री प्रबंधको ने इस दुर्घटना के बाबत बात करते हुए बताया कि शहर के लिए यह ना भूलने वाली त्रासदी है, मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए बात चीत के दौरान उन्होंने बताया कि यह हमारा शहर के प्रति कर्तव्य था जो हमने पूरी लगन से निभाया ।
जैसा कि हम सब जानते है कि मुख्यमंत्री राजे ने भी श्री के हेलीपेड पर ही अपना हेलीकाप्टर लेंड किया था ।
प्रशासन की लापरवाही ओर अविवेक पूर्ण निर्णय ने भी जिंदगी की साँसों पर ब्रेक लगाने में अपना योगदान दिया । शहर के बिल्डिंग लेबर कार्य से जुड़े लोगों की सलाह पर भी गौर नही किया गया । यदि किया गया होता तो राहत कार्य जल्द निपट सकते थे । मुख्य मंत्री के दौरे के बाद सेना ने मोर्चा सम्भाला उसके वाद राहत कार्यो में तेजी आई और ज्यो ज्यो मलबा हटाने में देरी हो रही थी तभी शहर के लोगो ने समझ लिया कि अब केवल लाशें गिनना शेष है, क्योकि मलबे में दबे लोगो में जिंदगी की आस धूमिल हो चुकी थी ।
इससे हम समझ सकते है कि सरकारी तंत्र की कार्य शैली क्या है, एक लगभग 200 -300 गज के प्लाट का मलबा हटाने में प्रशासन को 3 दिन लग गए और नही हटा तो सेना बुलानी पड़ी, यदि यही निर्णय समय रहते ले लिया होता तो आज नजारा कुछ अलग होता । कई परिवारों के चेहरे पर मुस्कराहट होती ।
सोचनीय विषय :- यदि ब्यावर में कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आ जाये तो ऐसा लगता है, जितने साधन प्रशासन के पास उपलव्ध है उससे लगता है कि 1 साल में भी उससे नही निपट सकती???
हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर

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