25 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा का गोरखधंधा

◆ *विक्रय वृद्धि विस्तार योजना के नाम पर पुष्कर में चल रहा है 25 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा का गोरखधंधा •••*

◆ *पुष्कर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में अवैध रूप से चल रही 15 से 20 स्कीमो में हजारो लोगो ने लगा रखा है पैसा , आम नागरिक कभी भी हो सकते है ठगी का शिकार ••••*

राकेश भट्ट
विक्रय वृद्वि विस्तार योजना – यह वो लाईन है जिसकी आड़ लेकर आप कोई भी अपनी मर्जी की कंपनी खोलकर आम नागरिकों की मेहनत की गाढ़ी कमाई को अपनी जेब मे डालने की स्कीम शुरू कर सकते है । इसके जरिये पहले मेहनत मजदूरी करने वाले और छोटे मोटे काम धंधे करने वाले व्यापारियों को महंगी मोटर साईकिल , स्कूटी , सोने के गहने या फिर कार और इनोवा जैसी लग्जरी गाड़ी जीतने के सपने दिखाकर हजारो लोगो को स्कीम में जोड़ा जाता है और बाद में हर महीने उनसे हजारो रुपयों की वसूली की जाती है । स्कीम के प्रति लोगों का जुड़ाव बनाये रखने के लिए हर महीने किन्ही 1 या 2 व्यक्तियों के लॉटरी टोकन के द्वारा छोटा मोटा गिफ्ट या एलईडी टी वी निकालकर लोगो का विश्वास भी हासिल किया जाता रहता है । ताकि उनमे निराशा ना जागे ।

आपको जानकर हैरानी होगी कि पुष्कर कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में { बालाजी एंटरप्राइजेज , हरि ॐ एंटरप्राइजेज , सांवरियां एंटरप्राइजेज , कर्मा एंटरप्राइजेज , पुष्कर इंटरप्राईजेज } सहित ऐसी लगभग 15 से 20 अवैध स्कीमें चल रही है । जिनमे किसी मे 500 से 700 लोग जुड़े है तो किसी मे 1000 से लेकर 2000 लोग । इनमें केवल कुछ प्रतिशत लोगो को ही ड्रा के इनाम में महंगे सामान मिलते है बाकी बचे ज्यादातर लोगों को जमा किये गए पैसो की आधी रकम का भी सामान नही मिलता । अनुमान के मुताबिक यदि सभी की संख्या को जोड़ा जाए तो अब तक लगभग 20 हजार से ज्यादा लोग हर महीने चल रही योजनाओं के इस गोरखधंधे के जाल में फंस चुके है । यह हजारो लोग ना सिर्फ हर महीने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई के हजारो रुपये इसमे जमा करवा रहे है बल्कि दूसरे लोगों को भी इसमे शामिल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है । खास बात यह है कि स्किम में ज्यादा से ज्यादा सदस्य जोड़ने वाले व्यक्ति को कमीशन के रूप में मोटी रकम या कोई महंगा गिफ्ट भी दिया जाता है ।

यदि मोटे तौर पर अंदाजा लगाया जाए तो इन स्कीमो के जरिये पुष्कर सहित आसपास के गांवों में ही 25 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा की रकम वसूल की जा रही है । लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि इन पर लगाम लगाने या इनकी छानबीन करने के लिए आज दिन तक ना तो पुलिस प्रशासन और ना ही जिला प्रशासन द्वारा कोई पहल की गई है । जब कि हर कोई जानता है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी चिटफंड कंपनियां द्वारा लोगो के साथ ठगी की वारदात को अंजाम देने के चलते ऐसी कंपनियों को बनाने या चलाने पर पाबंदी लगा रखी है । परंतु सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बावजूद विक्रय वृद्वि विस्तार योजना की आड़ में बीते कुछ समय से यह सब गोरखधंधा यहां पर खुलेआम किया जा रहा है जिन्हें रोकने वाला कोई नही है । हद तो यह है कि इनके संचालकों द्वारा हर महीने इन योजनाओं में किसी ना किसी जनप्रतिनिधि , अधिकारी , व्यवसायी या पत्रकार को मुख्य अतिथि बनाकर ड्रा निकाले जा रहे है जिसके चलते यह लोगो का विश्वास भी जीतने में कामयाब हो रहे है ।

सवाल यह है कि आखिर किसकी परमिशन से , किन नियमो के तहत और किस अधिकार से यहां पर ऐसी योजनाओं को खुलेआम चलाया जा रहा है । आज तक किसी भी पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी को इस गोरखधंधे की जानकारी क्यों नही हुई और अगर इसके बारे में पहले से पता है तो इनके संचालकों और इन कंपनियों के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नही हुई , इनके दस्तावेजो की गहनता से जांच पड़ताल क्यों नही की गई । क्या यहां पर भी किसी कंपनी के दिवालिया घोषित हो जाने या गरीब मजदूरों के लाखो रुपये लेकर फरार हो जाने के बाद जिम्मेदार अधिकारीयो की नींद जागेगी । गौरतलब है कि इससे पूर्व नागौर जिले के सैकड़ों कस्बो सहित अजमेर जिले के ग्रामीण इलाकों में चलने वाली ऐसी सैकड़ों कंपनियां रातो रात लाखो करोड़ों रुपये लेकर फरार हो चुकी है जिनका आज तक कोई अता पता नही है । कही ऐसा ना हो कि यहां भी ऐसी घटना घट जाए और बाद में सिवाय जांच करने की औपचारिकता के अलावा कुछ नही बचे ••••

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171060*

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