जिला कलेक्टर गौरव गोयल के जाने का अजमेर को रहेगा मलाल

गौरव गोयल
अजमेर के ऊर्जावान जिला कलेक्टर गौरव गोयल का तबादला हो गया है। उनके स्थान पर आरती डोगरा भेजी गई हैं। यूं तो इस प्रकार का प्रशासनिक बदलाव आम बात है, मगर अजमेर के संदर्भ में काफी गंभीर।
असल में इन दिनों अजमेर की महत्वाकांक्षी योजना है स्मार्ट सिटी। सब जानते हैं कि गोयल के अजमेर आने से पहले इस योजना का क्या हाल था। कवायद तो खूब होती रही, मगर उसकी चाल इतनी धीमी थी कि ये आशंका होने लगी थी कि अजमेर स्मार्ट सिटी बन भी पाएगा या नहीं। जब से गोयल ने अजमेर में कार्यभार संभाला तो आरंभ में उन्होंने जता दिया कि वे सिर्फ नौकरी नहीं करने आए, बल्कि अजमेर को विकास की ओर ले जाएंगे। कई मामलों में उन्होंने जिस प्रकार त्वरित निर्णय लिये, उससे सब का विश्वास कायम हुआ कि वर्षों से प्रगति को तरस रहा अजमेर अब विकास की ओर उन्मुख होगा। संयोग से अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत के उनके मधुर संबंध बने तो सोने में सुहागा हुआ। दोनों ने मिल कर अनेक ऐसे निर्णय लिए, जिनके होने की उम्मीद कत्तई नहीं थी। जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के सामने वाली सड़क पर वर्षों से हो रखे अतिक्रमण को गोयल व गहलोत की एकजुटता की वजह से हटाया जा सका। इसी प्रकार ऋषि घाटी से जाने वाले पुष्कर रोड पर भी बड़ी चतुराई से अतिक्रमण हटाए गए।
इसके अतिरिक्त उनकी सबसे बड़ी खासियत ये थी कि आम आदमी से उनका संपर्क सहज था। उनसे मिलना बिलकुल आसान था। छोटे से छोटे निजी कार्यक्रमों तक में उन्होंने शिरकत की और ऐसा अहसास कराया मानो वे अजमेर के वासी हैं और यहां की बहबूदी के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।
बात अगर स्मार्ट सिटी की करें तो यह सच्चाई है कि देशभर की फेहरिश्त में अजमेर को ऊपर लाने में उनका अहम योगदान रहा। आते ही उन्हें लगा कि स्मार्ट सिटी के लिए जो नॉम्र्स हैं, उनके अनुकूल धरातल पर कागजी कार्यवाही हुई ही नहीं है। इस कारण उन्होंने निजी रुचि ले कर स्मार्ट सिटी का रोड मेप बनाया और उन्हें सफलता भी मिली। सौभाग्य से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी उन पर वरदहस्त रहा, इस कारण स्थानीय नेताओं के मतभेदों के बावजूद उन्होंने काम की गति को अपने स्तर ही बढ़ाया। उनके त्वरित निर्णयों के आगे कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि भी बौने नजर आए। यह एक सुखद स्थिति थी। स्मार्ट सिटी का काम उन्होंने जिस प्रकार अपने हाथ में लिया, उससे यही लगने लगा कि अजमेर का सपना जरूर पूरा होगा। यह आम चर्चा थी कि कम से कम आगामी विधानसभा चुनाव तक उन्हें अजमेर में रखा जाएगा। तब तक स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट गति पकड़ चुका होगा। फिर अगर उनका तबादला हो भी गया तो काम की गति पर असर नहीं पड़ेगा। दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाया। सोमवार को जारी आईएएस की तबादला सूची में उनका भी नाम देखा तो अजमेर वासियों को बड़ी निराशा हुई है। उन्हें अजमेर से जाना ही होगा, मगर अजमेर वासी उनके कार्यकाल को वर्षों तक उसी प्रकार याद रखेंगे, जिस तरह से पूर्व कलैक्टर श्रीमती अदिति मेहता को करते हैं।
गोयल के जाने के बाद आरती डोगरा अजमेर में कितनी रुचि लेती हैं और स्मार्ट सिटी के प्रति कितनी गंभीरता दिखाती हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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