राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की पुष्कर यात्रा को भी विवादित बनाया जा रहा है

*राष्ट्रपति के साथ ब्रम्हा मंदिर में छुआछूत होने की अफवाह फैलाकर हिन्दू और दलितों के बीच फैलाया जा रहा है जहर , सोशल मीडिया पर देशभर में हो रहे है विवादित मेसेज वायरल •••*

राकेश भट्ट
बीते सप्ताह ही 14 मई को देश के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद अपनी एक दिन की धार्मिक यात्रा पर तीर्थ नगरी पुष्कर और अजमेर दरगाह शरीफ में पधारे । इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने अपनी पत्नी सविता और बेटी स्वेता के साथ ना सिर्फ पवित्र सरोवर के घाट पर वैदिक विधिविधान से पूजा अर्चना की बल्कि जगतपिता भगवान ब्रम्हा जी के मंदिर भी गए । चूंकि राष्ट्रपति महोदय की पत्नी के पैरों में तकलीफ थी और वे मंदिर में मौजूद 40 से ज्यादा सीढियां चढ़ने में दिक्कत महसूस कर रही थी । इसीलिए राष्ट्रपति भवन के आला अधिकारीयो और जिला कलेक्टर आरती डोगरा ने मंदिर की सीढ़ियों पर ही विशेष व्यवस्था करवाकर भगवान ब्रम्हा जी की पूजा का इंतजाम करवाया । जहां पहुंचने के बाद राष्ट्रपति जी ने खुशी खुशी परिवार सहित मंदिर के पुजारी लक्ष्मी निवास वशिष्ठ से ब्रम्हा जी के चित्र की पूजा अर्चना की । और बहुत ही खुशनुमा माहौल में पुजारी सहित मीडियाकर्मियों से भी हंसी मजाक करते हुए अजमेर स्थित दरगाह की जियारत के लिए रवाना हुए ।

परंतु राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंदिर की सीढ़ियों में ही बैठकर पूजा अर्चना करने के इस मामले को अब देश को कमजोर करने वाली ताकते उनके साथ छुआछूत होने की बात कहकर प्रचारित कर रही है । हमारे देश के आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना को तहस नहस कर लोगो के दिलो में जहर भरने वाली ताकतों ने इस सामान्य सी घटना को भी हिन्दू पुजारियों द्वारा देश के दलित राष्ट्रपति का अपमान करने का मामला बताकर लोगो के दिलो में नफरत पैदा करने के काम मे लगी है । बीते एक सप्ताह से महाराष्ट्र , उत्तरप्रदेश , राजस्थान , कर्नाटक , तेलंगाना , सहित देश के कई राज्यो में रहने वाले लाखों करोड़ों दलित समाज के लोगो मे सोशल मीडिया के द्वारा ऐसा मेसेज वायरल किया जा रहा है जिसमे दावा किया जा रहा है कि बीजेपी की वसुंधरा सरकार ने आर एस एस के इशारे पर पुष्कर यात्रा के दौरान मंदिर के ब्राम्हण पुजारियों द्वारा दलित होने के चलते राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च व्यक्ति के साथ भी छुआछूत का व्यवहार किया और इसी के चलते उन्हें मंदिर में दर्शन नही करने दिए गए । ऐसे व्यवहार के चलते मजबूरी में राष्ट्रपति जी ने परिवार सहित ब्रम्हा मंदिर की सीढ़ियों में बैठकर पूजा अर्चना की ।

आपको बता दूं कि दलित समाज के भाइयो के दिलो में हिन्दू समाज के खिलाफ आक्रोश फैलाकर देश का शांतिप्रिय माहौल खराब करने और दोनों समुदायों के बीच दुश्मनी की गहरी खाई पैदा करने के उद्देश्य से ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है । देश को तोड़ने वाली ताकते इस हद तक गिर गई है कि राष्ट्रपति जी जैसे सर्वोच्च पद पर विराजमान व्यक्ति को भी दलित और पीड़ित बताते हुए लोगो के मन मे जहर भर रही है ताकि हिन्दू वोट बैंक बंट जाए और एक दूसरे के दुश्मन बन जाये । में उन ताकतों को तो नही जानता जो ऐसा घटिया काम करके देश को बांटने में लगी है परंतु इतना जनता हूँ कि जगतपिता ब्रम्हा का मंदिर संसार मे इकलौता ऐसा मंदिर है जहां बीते 2500 सालों में एक भी ऐसी घटना का प्रमाण नही है जब किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति के आधार पर दर्शन करने से रोका गया हो ।

इस मामले में मंदिर के पुजारी लक्ष्मी निवास वशिष्ठ ने भी गहरी नाराजगी प्रकट करते हुए पत्र लिखकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक अपनी पीड़ा पहुंचाई है साथ ही राष्ट्रपति भवन द्वारा एक बयान जारी करके इस मामले की सच्चाई उजागर करने और मंदिर को बदनाम करने वाले लोगो के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है । वैसे भी वर्तमान में ब्रम्हा मंदिर की समस्त व्यवस्थाओं का जिम्मा राज्य सरकार द्वारा गठित प्रबंध समिति के जिम्मे है जिसकी देखरेख खुद जिला कलेक्टर करता है । देश के लोगो को ऐसे झूठे मामले फैलाकर आपस मे झगड़ा कराने वालों से सावधान रहने की जरूरत है क्यों कि सोशल मीडिया में आने वाली सभी बातें सच नही होती है ।

*आपकी जानकारी के लिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मेसेज भी हूबहू पोस्ट कर रहा हूँ , जिसे आप पढ़े और इसकी हकीकत से दुसरो को भी सावधान करे •••*

क्या स्थिति है देश की…..
महामहिम राष्ट्रपति गए थे राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर में दर्शन और पूजा करने। लेकिन ब्राह्मण पुजारियों ने उन्हें मंदिर प्रवेश करने नहीं दिया क्योंकि वो दलित हैं।
बहुत अनुरोध करने पर पुजारी इस बात पर तैयार हुए कि चलिए आप देश के महामहिम राष्ट्रपति हैं तो यहीं सीढ़ियों पे बैठकर आपको पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जा सकती है।
और हमारे देश के महामहिम राष्ट्रपति यह समझौता कर लेते हैं। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं (जल, थल, नभ्) का supreme commander होता है। सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति (Chancellor) होता है। The President of India is the Executive Head of the Central Government of Indian State. जब राष्ट्रपति के साथ ऐसा छुआछूत वाला दुर्व्यवहार किया जा रहा हो तो इस RSS-BJP राज में आम दलितों की क्या स्थिति होगी?
राजस्थान में भी BJP की सरकार है। लेकिन वसुंधरा राजे सरकार ने इस मामलें में हस्तपक्षेप क्यों नहीं किया?भारत के राष्ट्रपति का अपमान क्यों होने दिया? तो इसका भी असली कारण राजस्थान के होने वाले विधान सभा के आसन्न चुनाव हैं। ऐसा करके वसुंधरा सरकार अपने सामन्ती उच्च जातीय वोट बैंक को खोने का ख़तरा नहीं उठा सकती।
#शर्म_शर्म_राष्ट्रीय_शर्म

*आपसे गुजारिश है कि इस मैसेज को आगे पोस्ट कर सभी को इस हकीकत से रूबरू करवाये ताकि देश को तोड़ने में जुटी ताकते अपने उद्देश्य में कभी सफल ना हो सके ।*

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171060*

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