टिकट मिलने और जीत के समीकरण जेब में लेकर घूमते MLA के दावेदार

-विकास छाबड़ा-
मदनगंज-किशनगढ़। नाम, शोहरत, पैसा, रूतबा जैसा बहुत कुछ पाने की चाह में किशनगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव में एम.एल.ए. बनने वालों की पूरी फौज तैयार हो गई है। फौज में कमी न तो भाजपा की ओर से है ना ही कांग्रेस की ओर से है। इस बार दोनों ही पार्टी को लग रहा है कि सरकार हमारी ही बनेगी। कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर के सहारे तैरना चाहती है तो भाजपा नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की ब्रांड इमेज के चलते उम्मीद पाले बैठी है। भाजपा की बात करे तो वर्तमान विधायक भागीरथ चौधरी विधायकी का एक मजा और लेना चाह रहे है वहीं इनके साथ ही किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष व नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेश टाक अपने सभापति कार्यकाल को ऐतिहासिक मानते हुए व मार्बल एरिया में सफलतम अध्यक्ष के बतौर कई विकास कार्यों के सहारे 2013 की अधूरी रही आस को इस बार पूरी करना चाहते है। दूसरी ओर हरचंद छणंग व विकास चौधरी जाट बाहूल्य सीट मानते हुए विधायक की आस पाले बैठे है। इसी क्रम में भाजपा के जिला देहात उपाध्यक्ष शंभू शर्मा भाजपा में खुद को करीब 40 साल खपाए जाने के बाद व दूसरी सबसे ज्यादा जातीय समीकरण में फिट रहने वाले ब्राह्मण समाज की नाव पर बैठकर विधायक की नौका पार करना चाहते है। इन सब के इतर वरिष्ट भाजपाई नेता महेन्द्र पाटनी महाजन वर्ग की लाटरी खुलने की उम्मीद में अपना दम-खम ठोक रहे है। तो युवा भाजपा नेता अभिषेक शर्मा भी कतार में खड़े दिखाई दे रहे है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव अशोक गहलोत से नजदीकी के चलते इस बार फिर से विधायक बनने के लिए बेताब है। वरिष्ट कांग्रेस नेता व व्यवसायी राजू गुप्ता व एडवोकेट राकेश शर्मा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से निकटता के चलते अपने आप को विधायक के टिकट के लिए फिट मान रहे है। जबकि पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चौधरी जिले भर में अपनी पहचान के बूते येन केन प्रकारेण विधायक के टिकट का सपना पूरा कर लेना चाहते है। उधर युवा नेता नरेन्द्र भादू भी कांग्रेस के दिग्गज सी.पी. जोशी से नजदीकी संबंधों के चलते इस बार अपनी मजबूत दावेदारी जताने में पीछे नहीं है।
जनवरी 2018 में लोकसभा उप चुनाव के समय किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में करीब 263331 मतदाताओं के जातीय समीकरण पर नजर डालने पर प्रतीत होता है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों प्रमुख दल यदि किसी तरह की जोखिम मोल नहीं लेना चाहते है तो लगभग 45 से 48 हजार जाट मतदाताओं के भरोसे किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लिए फिर से जाट प्रत्याशी पर दांव खेला जा सकता है। लेकिन इसी वर्ष हुए लोकसभा उप चुनाव परिणाम में जिलेभर के साथ किशनगढ़ में भी भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप लांबा को मिली हजारों वोटो की शिकस्त व कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. रघु शर्मा की जीत से किशनगढ़ उपखण्ड में जातिगत आधार पर दूसरे नं. पर आने वाले ब्राह्मण समुदाय की आशाएं भी कम बलवती नहीं दिखाई देती है तथा राजपूत मतदाताओं की गाहे-बगाए नाराजगी के चलते निकटवर्ती विधानसभा चुनाव में विप्र समुदाय के दोनों दलों के प्रत्याशियों ने किशनगढ़ विधानसभा सीट पर इस बार अपनी गहरी नजरें गड़ा रखी है।
इन सब के इतर यदि भाजपा में प्रत्याशी चयन में जातिगत कार्ड को तरजीह नहीं मिलती हो तो पूर्व सभापति व किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश टाक की दावेदारी भी कहीं कमजोर नहीं दिखाई देती। मुख्यमंत्री से सीधे सम्पर्क के साथ ही पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी टाक को टोंक का जिला संगठन प्रभारी बनाया था और अब नये अध्यक्ष के रूप में मदनलाल सैनी ने भी टाक में अपना विश्वास रखते हुए उन्हें नागौर देहात जिला संगठन प्रभारी बनाकर अपनी टीम में शामिल किया है।
विधानसभा चुनाव होने में भले ही 4-5 महिने बचे हो लेकिन किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों में टिकट के संभावित प्रत्याशी और उनके समर्थक पिछले कई समय से सोशल मीडिया पर छाए रहने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे है और गाए-बगाए हर कोई संभावित प्रत्याशी टिकट मिलने से लेकर अपनी जीत के पूरे समीकरण हर वक्त अपनी जेब में लेकर घूम रहा है। साथ ही जनता जनार्दन का समर्थन पाने के लिए अपने जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन करने से नहीं चूक रहे है। बहरहाल भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों से आगामी विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से किसे टिकट मिलेगा ये भविष्य के गर्भ में है।

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