ब्यावर से वाया अजमेर एसीबी टीम क्या किशनगढ़ भी आएगी…?

विकास छाबड़ा
मदनगंज-किशनगढ़। इन दिनों ब्यावर से चली भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ट्रैपिंग टीम वाया अजमेर नगर निगम होते हुए क्या अब किशनगढ़ की ओर भी रूख करेगी ? क्योंकि मार्बल सिटी किशनगढ़ में भी एसीबी की कार्यवाही की बहुत दरकार है। पता नहीं क्यों एसीबी की नजरें जनता के हितार्थ किशनगढ़ की ओर इनायत नहीं हो रही है। जबकि यहां के विभिन्न विभागों में जमे अधिकारी व कर्मचारी ब्यावर-अजमेर से कोई कम है क्या ? क्या किशनगढ़ के सरकारी अधिकारियों को हल्के में लिया जा रहा है ? अरे साहब हम ब्यावर व अजमेर की तरह छोटी मोटी रकम में थोड़े ट्रेप होने वाले है। हम एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मण्डी में जो है। हमारा केडर हल्के में ना ले। और फिर क्या हमें ऐसे ही बेवकूफ समझ रखा है क्या जो हमें पकड़ लोगे । तुम डाल डाल तो हम पात पात। हम डायरेक्ट लेते ही नहीं है और लेते है तो भी बड़ी सावधानी के साथ। क्या ऐसे ही हमें पकड़ लोगे क्या साब ? क्या आपको हमारे बंगले, अकूत सम्पति, जमीन जायदाद, सरकारी जमीनों पर कब्जे देखकर हमारी कमाई व ताकत का अंदाजा भी है या नहीं ? और फिर हमारी शिकायत करने वाला भी कहां से लाओगे। यहां के लोगों में इतनी हिम्मत भी कहां है ?
कोई ऐसे ही यहां पोस्टिंग कराई है क्या? सेटिंग भी रखते है सब ऊपर से नीचे तक। कितने ही आए और लेकर चले गए किसी ने क्या कर लिया ? ज्यादा से ज्यादा शिकायत हो भी जाएगी तो ऊपर का चढ़ावा ज्यादा हो जाएगा। इससे ज्यादा और क्या होना है। और यदि किसी मगरमच्छ/मछली को एसीबी ने अपने जाल में फांद लिया तो तय मानिए उस भ्रष्टाचार रूपी किशनगढ़ी मगरमच्छ/मछली के कारनामे किशनगढ़-अजमेर से होकर न केवल जयपुर सत्ता के गलियारों तक गूंज उठेंगे बल्कि पूरे प्रदेश भर में चटकारे ले लेकर सुनाए जाते रहेंगे और ऐसी विशिष्ट उपलब्धि एसीबी व किशनगढ़ की जनता दोनों के लिए ही कुछ खास रहेगी।
किशनगढ़ में सीधे तौर पर जनता से जुड़ा ऐसा शायद ही कोई महकमा होगा जहां ईमानदारी से काम किया जाता हो। सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की बिना पैसे दिए किसी विभाग में काम कराना तो जैसे संभव ही नहीं है। ब्यावर व अजमेर जैसी एसीबी की जो कार्रवाही हुई उसके पीछे जागरूकता रही है। जनता को जागरूक होना पड़ेगा। जिस भी विभाग में कोई वाजिब काम के पैसे मांगता है तो उनकी कॉल रिर्कोडिंग, विडियो बतौर सबूत एकत्रित करें। इस शासन में तो सरकारी सिस्टम पब्लिक और सरकार से भी बहुत ही ज्यादा भारी हो गया है। जबकि अधिकारी, कर्मचारी यहां तक की कलेक्टर-मंत्री तक जनता के नौकर होते है लेकिन लोकतंत्र में राजतंत्र की घुसपैठ ने जनता को नौकर और मंत्री-कलेक्टर को राजा-महाराजा बना दिया है। जनता मालिक है इसका प्रशिक्षण 1947 के बाद से दिया जाना चाहिए था। लेकिन वोट के माध्यम से सत्ता हासिल करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने ऐसा नहीं होने दिया। बल्कि कुछ नेता तो राजनीति में आकर भगवान बन गए। अब कैसा लोकतंत्र है जिसमें जनता की इतनी दुर्गति हो रही है। जनता के जहन में कुछ ऐसे ही सवाल उठना लाजमी भी है कि मंत्री के आगमन पर पुलिस क्यों तैनात होती है, कलेक्टर के कमरे के बाहर जनता मिलने का इंतजार क्यों करती है, थाने पर बैठा पुलिस वाला क्यों पीडि़त की सुनवाई नहीं करता। भगवान रूपि डॉक्टर अब मरीजों को ग्राहक क्यों समझने लगा है ? अब एक आम आदमी की तो जैसे कोई वेल्यु ही नही शेष रह गईं है।
ज्ञात रहे कि अभी हाल ही में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अजमेर की टीम ने 8 अगस्त को भू-रूपांतरण करने की एवज में 2.25 लाख रूपए की रिश्वत लेते ब्यावर की नगर परिषद् सभापति बबीता चौहान को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया साथ ही मामले में लिप्त सभापति के जीजा व पति को भी गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं इसी दिन शाम को ब्यूरो की स्पेशल टीम ने नगर निगम अजमेर के एक जेईएन को 25 हजार रूपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि निगम का एक भाजपा पार्षद भी इस मामले में 50 हजार रूपए की रिश्वत की मांग कर रहा था, जो एसीबी के चंगुल से ऐनवक्त पर इसलिए बच गया कि उसने परिवादी से पूरे पैसे एकसाथ लेकर आने को कहा। पूर्व में भी इस बोर्ड के तीन कार्मिको को अब तक एसीबी रंगे हाथों ट्रेप कर चुकी है।

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