किशनगढ़ में सुरेश टांक को टिकट न देकर भाजपा ने बहुत बड़ी गलती की जिसका खामियाजा भी उठाना पड़ा , वोटों का आंकलन किया जावे तो यदि भाजपा सुरेश टांक को टिकट देती तो सुरेश टांक किशनगढ़ से 1 लाख मतों से विजयी होते यहाँ दोनों ही पार्टियो ने गलत टिकट वितरण किया , मतों का हिसाब लगाया जाए तो सुरेश टांक को 85000 विकास चौधरी को 65000 मत मिले ये दोनों ही मत भाजपा के है यदि सुरेश टांक को प्रत्याशी बनाया जाता तो इस हिसाब से उन्हें ओर विकास को मिले मत मिला दिए जाएं तो करीब 1 लाख चालीस हजार मत हुए अब बात कांग्रेस के उम्मीदवार की तो उन्हें मिले मात्र 15000 मत उनसे ज्यादा तो निर्दलीय नाथूराम सिनोदिया ने प्राप्त किये जिन्हें करीब 25000 मत प्राप्त हुए अब इन दोनों को काँग्रेस के मत मान लिया जाए तो भी इन दोनों के मिलकर होते है 40000 मत यानी कि यदि मुकाबला काँग्रेस के नाथूराम सिनोदिया ओर भाजपा के सुरेश टांक में होता तो सुरेश टांक की जीत करीब 1 लाख मतों से होती जो कि इस माहौल में ऐतिहासिक होती,जिस चुनाव में कोई भी विजयी उम्मीदवार 50000 मतों से भी जीत दर्ज नही कर पाया वही इनको 1 लाख मतों से विजय प्राप्त होती, इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि टिकट वितरण दोनों ही दलों ने किस प्रकार किया है , जिसका खामियाजा दोनों ही दलों को उठाना पड़ा है
बहुत ही दिलचस्प बात है कि इतना जमीनी जनमत लेने, राय लेने के बाबजूद भी दोनों पार्टियां इतनी बड़ी गलती कर जाती है शायद जमीन से असली जुड़ाव न होना भी इसका एक वजह हो सकता है, चाटुकारों की ही सुनना ओर फिर उसी आधार पर टिकट वितरण करना दोनों ही पार्टियो को भारी पड़ा है , इस चुनाव में न भाजपा हारी है न कांग्रेस जीती है , इस चुनाव में सिर्फ जनता जीती है जिसको सबक सिखाना था उसे सबक सिखा दिया और जिसे जिताना था उसे कगार तक पहुँचा कर बता दिया कि सावधान
विनीत जैन
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