जाट माहसभा ने राजस्थान में जाट मुख्यमंत्री की मांग

आज अजमेर मे अखिल भारती जाट माहसभा के युवा विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय पाल चौधरी ने प्रेसवार्ता कर के काहा कि कोंग्रेस पार्टि किसी किसान के बेट जाट को मुख्यमंत्री बनाये अन्यथा जाट समाज लोकसभा चुनाव 2019 मे कोंग्रेस पार्टि कि खिलाफत करगे

राजस्थान में जनसंख्या के हिसाब से जाट मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक करीबन बिस प्रतिशत है। राजस्थान में वर्तमान में कोग्रेस से 25 जाट विधायक हैं। सबसे ज्यादा वोट व विधायक होने के उपरान्त भी प्रदेश में आज तक जाट जाति का मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन पाया है। राजस्थान में दो बार कांग्रेस विधायक दल के नेता के चुनाव में 1972 में रामनिवास मिर्धा व 2008 में शीशराम ओला ने सीधा मुकाबला किया मगर दोनों ही बार उनको हरा दिया गया। 1972 में ब्राम्हण समाज के हरिदेव जोशी व 2008 में माली (सैनी) समाज के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गये। दोनो ही बार जाट मुख्यमंत्री बनने से रह गये। राजस्थान में 7 अप्रैल 1949 से लेकर अब तक 24 मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

जिनमे ब्राम्हण आठ बार, बनिया पांच बार, मुस्लिम एक बार, राजपूत पांच बार, खटीक एक बार, कायस्थ दो बार, माली समाज से मुख्यमंत्री बने हैं। मगर इस सूची में जाट समाज के एक भी व्यक्ति का नाम नहीं हैं। आबादी के हिसाब से जाट समाज राजस्थान में सबसे अधिक है, इसके उपरान्त भी जाट समाज का अब तक राजस्थान मुख्यमंत्री नहीं बन पाना जाटों की उपेक्षा को ही दर्शाता है। राजस्थान में जाट मतदाता शुरू से ही कांग्रेस समर्थक रहे हैं।

जाट वर्ग के लोग कृषि से जुड़े हुए किसान है। आजादी के बाद से जाट समाज कांग्रेस के पक्ष में एकजुटता से मतदान करता रहा है। जाटों के वोटों से कांग्रेस ने राजस्थान में करीबन 48 वर्षों तक राज किया। राजस्थान में जाटों में कोई प्रभावशाली नेता नहीं थे जो मुख्यमंत्री नहीं बन सके ऐसी बात नहीं थी।

राजस्थान में प्रभावशाली जाट नेताओं की कमी नहीं थी। आजादी के बाद से ही सरदार हरलाल सिंह, कुम्भाराम आर्य, नाथूराम मिर्धा, रामनिवास मिर्धा, कमला, दौलतरात सारण, परसराम मदेरणा, सुमित्रा सिंह, रामनारायण चौधरी, शीशराम ओला, नारायण सिंह, बलराम जाखड़, ज्ञानसिंह चौधरी, कुंवर नटवर सिंह, रामदेव सिंह महरिया, डा.हरिसिंह, मनफूल सिंह भादू अपने जमाने के प्रभावशाली जाट नेता हुए जिनके प्रभाव के सामने मुख्यमंत्री भी घबरात थे। इनमें से कई नेताओं ने मुख्यमंत्री बनने का प्रयास भी किया मगर कांग्रेस में जाट विरोधी लाबी ने जाट का मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। वर्तमान में हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, महादेव सिंह खण्डेला और हरिश चौधरी,गोविंद टोडासरा जैसे जाट नेता है जो आज भी प्रभाव रखते हैं मगर उन्हे नेतृत्व करने का मौका नहीं दिया जा रहा है

इसके बावजूद भी राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार माली समाज के अशोक गहलोत व गुर्जर समाज के सचिन पायलट को ही माना जा रहा है। मुख्यमंत्री के दावेदारों में किसी जाट नेता का नाम नहीं होना जाट समाज की उपेक्षा को ही दर्शाता है। राजस्थान में 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सबसे बड़ा कारण राजस्थान की प्रभावशाली जाट जाति का कांग्रेस से दूर होना माना जाता है। राजस्थान के 20 जिलों की करीबन 70-80 ऐसी सीट है जिन पर हार जीत का फैसला जाट मतदाता ही करते हैं।

इन सीटों पर जाट मतदाताओं का खासा प्रभाव माना जाता रहा है। 2013 से पहले जाट समाज के प्रदेश में 35 से 40 विधायक जीत कर आते थे, उनमें से अधिकांश कांग्रेस पार्टी से जीतते रहे थे, क्योंकि जाट मतदाताओं को राजस्थान में कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता रहा था। मगर 2013 में स्थिति बदली और जाट मतदाताओं कांग्रेस से मोह भंग हुआ। जाटों के कांग्रेस से दूर जाने से प्रदेश में कांग्रेस को सबसे बुरी हार देखनी पड़ी थी।

कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर ही सिमट गयी थी। आजादी के बाद से ही जाट कांग्रेस को वोट देते आये थे। इस कारण कांग्रेस ने जाटो को अपने वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल किया। जाटों के सर्वाधिक विधायक जीतने के बाद भी कांग्रेस ने कभी जाट समाज के किसी नेता को प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनाया।

राजस्थान कांग्रेस में 1988 से अशोक गहलोत प्रभावी रहें हैं। प्रदेश की पूरी कांग्रेस पार्टी उनके इर्द-गिर्द ही परिक्रमा करती रही है। इस दौरान गहलोत कई बार प्रदेशाध्यक्ष व दस वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। गहलोत ने गत तीस वर्षों में एक-एक कर प्रभावशाली जाट नेताओं को किनारे किया

आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में प्रदेश में कांग्रेस को यदि वर्तमान स्थिति से बचाना है तो पार्टी को अपने नाराज जाट मतदाताओं को अपने पाले में लाना होगा। इसके लिये राजस्थान मे किसी जाट नेता को मुख्यमंत्री बनाना होगा अन्यथा जाट समाज राजस्थान के साथ साथ हरियाणा, उतर प्रदेश, मध्यप्रदेश व दिल्ली के जाट मतदाता कोंग्रेस पार्टि कि खिलाफत करगे।

विजय पाल चौधरी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिल भारतीय जाट युवा विंग

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