केकड़ी में करीब एक दर्जन ट्यूशनखोर शिक्षक चिन्हित
सरकारी स्कूलों के शिक्षक बच्चों को ट्यूशन के लिए कर रहे हैं बाध्य, प्रेक्टिकल में कम नम्बर देने की देते हैं धमकी तिलक माथुरशिक्षा को ट्यूशन खोर शिक्षकों ने व्यापार बना दिया है। माना कि प्रतिस्पर्धा का युग है मगर यह तो नहीं कि बच्चों को ट्यूशन के लिए मजबूर किया जाए वो भी केवल कागज के चंद टुकड़ों के लिए। सरकार द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं किये जाने की वजह से सरकारी स्कूलों के शिक्षक सरेआम बच्चों को ट्यूशन के लिए मजबूर कर रहे हैं और फीस के नाम से मोटी राशि वसूल कर रहे हैं। अभिभावकों में इन ट्यूशन खोर शिक्षकों का इतना ख़ौफ़ है कि वे चाहकर भी इसका विरोध नहीं कर पाते। अगर ये शिक्षक घर पर ट्यूशन लेने के बजाए स्कूलों में इतनी मेहनत और लगन के साथ बच्चों को अध्यन कराते तो शायद आज शिक्षा का महत्व कुछ और ही होता। टयूशन की यह बीमारी केकड़ी शहर में भी प्रशासन के मुंह पर तमाचा है। शहर के सरकारी स्कूलों में कक्षा 10 से 12 तक के विद्यार्थियों का ट्यूशन के नाम पर हरेशमेंट किया जा रहा है। शिक्षकों द्वारा बच्चों को ट्यूशन के लिए बाध्य किया जा रहा है। उन्हें ट्यूशन नहीं आने पर प्रेक्टिकल में नम्बर कम देने की धमकी दी जाती है। बच्चों पर ट्यूशन का दबाव इस कदर हावी रहता है कि कई बच्चे तो डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार गत वर्ष एक छात्रा ने तो इस दबाव व डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या तक का प्रयास कर डाला। मेरा तो यह मानना है कि अगर कोई शिक्षक ट्यूशन के लिए दबाव बनाता है या प्रेक्टिकल में कम नम्बर देने की धमकी देता है तो उसके खिलाफ अभिभावकों को पुलिस में FIR दर्ज करानी चाहिए। कुछ ट्यूशन खोर शिक्षकों ने शिक्षा के इस पवित्र मंदिर को बदनाम कर दिया है। एक वो भी समय था जब ईश्वर से पहले शिक्षक का सम्मान किया जाता था। उस समय शिक्षक गुरु के नाम से जाना जाता था। लेकिन कुछ स्वार्थी शिक्षकों की वजह से गुरुजनों का सम्मान घट गया है लोग इन्हें अब मास्टर के नाम से सम्बोधित करते हैं। हालांकि राज्य सरकार ने ट्यूशन प्रवृति की रोकथाम के लिए सरकारी शिक्षक द्वारा ट्यूशन पढ़ाने पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन यहां सब कुछ विपरित हो रहा है। सरकारी शिक्षक बेधड़क विद्यालय छात्रों को ट्यूशन पर पढ़ा रहे है। ज्ञात रहे राजकीय सेवा में कार्यरत विषय विशेष के शिक्षकों के लिए ट्यूशन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर सभी शिक्षकों से कोचिंग नहीं करने का शपथ पत्र भी सरकार ने लेे रखा है। मगर कई शिक्षक स्कूल समय से पूर्व व बाद में ट्यूशन का कार्य उनके निवास स्थान व किराए के भवन में संचालित कर रहे है। कई शिक्षकों घर के बाहर तो ट्यूशन के लिए छात्र-छात्राएं अल सुबह 5 बजे से ही आने का क्रम प्रारम्भ हो जाता है जो सुबह 9 बजे तक जारी रहता है वहीं शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक यह सिलसिला चलता है। सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाते शिक्षकों पर कोई कार्यवाई नहीं होने से इनके हौसले बुलंद हो गए है। कई शिक्षक जान बूझकर स्कूल में पढ़ाते ही नहीं है। सूत्रों के अनुसार नगर के एक दर्जन से अधिक शिक्षकों को ट्यूशन करने के मामले में विभाग द्वारा चिन्हित किया जा चुका है। ये पिछले कई वर्षों से बेखौफ होकर सुबह और शाम कई पारियों में ट्यूशन क्लास संचालित कर रहे है। विद्यार्थियों का कहना है कि स्कूल में ठीक से पढ़ाई नहीं कराई जाती है। जिसका खामियाजा गरीब व निम्न तबके के बच्चों का उठाना पड़ता है। स्कूल के छात्रों का कहना है कि ऐसे शिक्षाकर्मियो के ऊपर जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। छात्रों ने बताया कि सरकारी विद्यालय में प्रवेश के बाद ही शिक्षकों द्वारा क्लास में पूरी तरह से अध्ययन नहीं कराते है तथा कक्षा 10 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को विषय अनुसार भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित, अंग्रेजी की कोचिंग यहां अजमेर रोड़, पीर बाबा के पास, पुराना आरटीओ ऑफिस, कोटा रोड़, जूनिया गेट, पुराना अस्पताल रोड़, शास्त्री नगर सहित कई स्थानों पर शिक्षकों के घर व किराए के भवन में ट्यूशन करवाई जा रही है। छात्रों ने बताया कि सरकारी विद्यालय के शिक्षकों द्वारा उनसे कोर्स के अनुसार 5 से 8 हजार रुपये ट्यूशन फीस के नाम से वसूले जा रहे हैं। इस बारे में शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इस बारे में शिकायत मिले तो कार्यवाही करें। तो क्या यह सही है कि वाकई में इन ट्यूशन खोरों की शिकायत नहीं होती या पूरे कुए में भांग घुली हुई है। अगर अधिकारियों में इन ट्यूशन खोरों के खिलाफ कार्यवाही करने की मंशा हो तो वो इस खबर को भी आधार या शिकायत मानकर सख्त कार्यवाही कर सकते हैं।
बच्चों को इस ट्यूशन प्रथा से मुक्ति दिलाने के लिए किसी को तो आगे आना ही होगा।