जयपुर ग्रामीण से वर्तमान में सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह भाजपा से सांसद रहे हैं और इस सीट पर उन्होंने पुनः चुनाव लड़ने के लिए अपने सारे जुगाड़ बिठाने शुरू कर दिए हैं तथा प्रधानमंत्री मोदी जी की नज़दीकियों का भी लाभ उन्हें मिलेगा और सूचना प्रसारण राज्य मंत्री होने के कारण इलैक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया पर भी उनका खासा प्रभाव है और उन्होंने उन्हें समय समय पर निहाल भी किया है इसलिए वो भी गजेंद्र जी शान में गाहेबगाहे कसीदे पढ़ते रहते हैं और उन्होंने छत्रपति शिवाजी के रूप में पेश करते रहते हैं परन्तु अभी वर्तमान में उनके लिए यहां से चुनाव लड़ने में अब उन्हीं की चेली राजकुमारी दिव्या सिंह ने भी खम्भ ठोक दिया है वो अपने आप आपको वहीं की पैदाइश बता रहीं हैं और उन्होंने वहां पर काम करना भी शुरू कर दिया है हर सम्मेलन में जाना और पैसे बांटना शुरू कर दिया है, प्रतिद्वन्धी के रूप में राज्यवर्धन के सामने वे बहुत ही भारी पड़ रहीं हैं।*
*जयपुर शहर की सीट तो सदा से ही बनिये ब्राहम्णों की सीट है ऐसे में इन दोनों में से कोई भी जयपुर शहर से तो लड़ ही नहीं सकता है, लड़ना तो इन्हें जयपुर ग्रामीण से ही पड़ेगा और दोनों के अंतरंग संबंध भी किसी से छुपे नहीं हैं इसलिए सब लोग आश्चर्य कर रहे हैं कि राज्यवर्धन सिंह के सामने राजकुमारी दिव्या सिंह कैसे टिकिट मांग रहीं हैं ? इस प्रकरण का संघनिष्ठ पूरा लाभ उठाना चाह रहे हैं और उन्होंने अपने ‘‘नीली आंखों वाले बालक‘‘ (ब्लू आइड बाॅय) सतीश पूनिया को जयपुर ग्रामीण में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है, इन तीनों की टिकिट मांगने से जयपुर ग्रामीण की सीट बहुत ही हाॅट केक और हाॅट सीट बन गई है।*
*राजकुमारी दिव्या सिंह ने कई जगह अपना पक्ष रखते हुए यह कहा है कि मैं तो यहां की बेटी हूं और मेरा क्लेम जयपुर ग्रामीण सीट पर सबसे ज्यादा है, अगर राज्यवर्धन सिंह जी को चुनाव लड़ना है तो वो अपने गाजियाबाद जाकर लड़ें, बीकानेर लड़े, जैसलमेर लड़ें जयपुर में वो क्या मांगते हैं ? ऐसे में दो बिल्लियों की लड़ाई में लगता है संघनिष्ठ सतीश पूनिया जी बाजी मार जाएंगे और ये दोनों राजकुमार व राजकुमारी मुंह ताकते रह जाएंगे।*
*आने वाला समय बताएगा कि जयपुर ग्रामीण सीट कितनी हाॅट-हाॅट सीट है और कितने हाॅट-हाॅट प्रत्याक्षी हैं अब इनके सारे पिछले-अगले किस्से कहानियां शीघ्र ही राजनीतिक गलियारों में आने वाले हैं, इंतज़ार कीजिए।*
राजेश टंडन, वकील, अजमेर।*