नवलराय बच्चाणी 93 वर्ष की उम्र में भी सेवा कार्य कर रहे थें

भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 93 वर्र्षीय नवलराय बच्चाणी का 24 मई को प्रातःकाल असामयिक निधन हो गया।
अजमेर के पूर्व भाजपा विधायक श्री नवलराय का जन्म 25 जुलाई 1927 को सिन्ध के माडी तालुका सकरंड नवाबशाह में हुआ। आपके पिता अध्यापक थे। आपने 1947 में मुंबई विश्वविद्यालय से मैट्रिक और बाद में अखिल भारतीय आयुर्वेद विद्यापीठ, दिल्ली से वैद्याचार्य का छह वर्षीय कोर्स किया। वे राजस्थान इंडियन मेडिकल बोर्ड, जयपुर से ए श्रेणी के पंजीकृत चिकित्सक हैं। आपने भारत विभाजन जवानी की 21-22 वर्ष की उम्र में देखा। वह दर्द आज भी आपकी बातचीत में साफ झलकता था ।
आपका परिवार हैदराबाद, सिन्ध के शिविर से ट्रेन द्वारा मीरापुरखास, खोखरापार होकर जोधपुर में पहुंचा था। दिसम्बर 1947 में जोधपुर पहुंचे। वहां कठिन हालात में रह कर घर चलाया। आपने पढ़ाई कर पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक करके रेलवे में दोहद में 1948से 53 तक क्लर्क की नौकरी की। उसके बाद अजमेर तबादला हुआ और यहां 1961 तक नौकरी की। आपने 6 वर्ष का आयुर्वेद कोर्स पूरा कर चिकित्सा का काम भी किया।
आप 1941 से ही सिंध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। भारत में संघ की ओटीसी की ट्रेनिंग 1961, 1967, 1986में की। 1977 में जनसंघ के नगर मंत्री रहे। 1975 से 1977 तक 18माह मीसा में बन्द रहे। 1977 से 1980 तक विधायक रहे। सन् 1971 के युद्ध के दौरान सिंध से आए अस्सी हजार शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। आप तीन बार शहर भाजपा के अध्यक्ष रहे। 1971 में शहर से 12 मील दूर खरखेड़ी गांव में वैद्य के रूप में सेवा की। भारतीय सिंधु सभा में कई पदों पर रहते हुए वर्तमान में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। 1979 में राजस्थान सिंधी अकादमी की प्रथम सामान्य सभा के सदस्य रहे। सन् 1994 से 97 तक अकादमी के अध्यक्ष रहे। अकादमी ने उन्हें सन् 2005 में टी. एल. वासवाणी पुरस्कार से नवाजा। आपने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें झूलेलाल संक्षिप्त जीवन परिचय, सिंधुपति महाराजा दाहरसेन का जीवन चरित्र, डॉ. हेडगेवार का जीवन परिचय, वृहद सिंधु ज्ञान सागर ग्रंथ, गुरुजी गोलवलकर, सिंध, वृहद झूलेलाल पुस्तक आदि प्रमुख हैं। आपने भारतीय सिंधु महासभा की अनेक स्मारिकाओं का संपादन किया है। अनगिनत साहित्यिक गोष्ठियों में शिरकत की है और आकाशवाणी से उनकी अनेक वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं। आपका विवाह नवम्बर 1947 में सिन्ध में हुआ हुआ था। आपके तीन पुत्र और दो पुत्रियां हैं। आप 93 वर्ष की उम्र में भी पूरी तरह से स्वस्थ थे और संघ, भारतीय सिन्धु सभा विश्व हिन्दू परिषद और अनेक संस्थाओं से जुड़ कर सेवा कार्य कर रहे थें। विशेष रूप से सिंधी भाषी बच्चों को सिंधी लिपी की शिक्षा देने के लिए विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से कक्षाएं आयोजित करते रहे।

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