कभी भी हो सकती है पालिकाध्यक्ष व अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही

तिलक माथुर
राज्य में चुनाव आचार संहिता हटने के साथ ही केकड़ी नगर पालिका के अधिकारियों व पालिकाध्यक्ष की धड़कनें बढ़ गई है। माना जा रहा है कि आचार संहिता हटने के बाद पालिकाध्यक्ष अनिल मित्तल सहित पालिका के अधिकारियों पर अब कभी भी गाज गिर सकती है। राज्य सरकार ने पालिका अध्यक्ष मित्तल की विभिन्न वित्तीय अनियमितताओं, गड़बड़ियों, अतिक्रमणों, पालिका की भूमियों के अवैध बेचान, फिजूल खर्ची व अन्य आरोपों की शिकायत पर जांच कराई थी जिसमें पालिकाध्यक्ष को प्रथम दृष्टया दोषी करार दिया गया। करीब 25 दिनों पहले राज्य के स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक पवन अरोड़ा ने पालिकाध्यक्ष को नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 के तहत एक नोटिस थमाकर आरोपों में दोषी मानते हुए 15 दिन में जवाब मांगकर अपना पक्ष देने को कहा था। जानकारों के अनुसार धारा 39 के तहत नोटिस देना निलंबन की कार्यवाही के संकेत हैं। हालांकि पालिकाध्यक्ष नोटिस का जवाब दे चुके बताये। सूत्रों ने बताया कि पालिकाध्यक्ष के जवाब से स्वायत्त शासन विभाग संतुष्ट नहीं है। ऐसे में पालिकाध्यक्ष पर निलंबन की कार्यवाही होना तय माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नगरपालिका में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं, गड़बड़ियों, अतिक्रमण जैसे कई गम्भीर आरोप लगाते हुए केकड़ी नगर विकास समिति के अध्यक्ष मोडसिंह राणावत, महामंत्री पवनसिंह भाटी, उप महामंत्री विष्णु कुमार साहू ने गत वर्षों स्वायत्त शासन विभाग व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत की थी जिस पर अब जाकर कोई कार्यवाही की सम्भावना बनी है। नगर विकास समिति पालिका की अनियमितताओं की शिकायत 2016-17 से निरंतर करते आ रहे हैं लेकिन केकड़ी में भाजपा का बोर्ड होने की वजह से तत्कालीन भाजपा सरकार ने शिकायतों पर कोई गौर नहीं किया। तत्कालीन भाजपा विधायक भी पालिका में चल रही मनमानी को नहीं रोक सके न जाने उनकी क्या मजबूरी थी। खैर जो भी हो अब तो शहर में एक ही चर्चा है कि पालिकाध्यक्ष पर निलंबन की जो तलवार लटकी है वो कभी भी वार कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो नियमानुसार पालिका उपाध्यक्ष मनोज चौधरी कार्यवाहक पालिकाध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगी। वहीं सुनने में यह भी आ रहा है कि पालिकाध्यक्ष मित्तल के निलंबन के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार कांग्रेस के ही किसी पार्षद को कार्यवाहक पालिकाध्यक्ष नियुक्त कर सकती है। वहीं चर्चा तो यह भी है कि अगर निलंबन की कार्यवाही होती है तो पालिकाध्यक्ष मित्तल न्यायालय की शरण ले सकते हैं। इन सभी अटकलों के बीच कई पार्षदों की निगाह पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर लग गई है, कइयों ने तो भागदौड़ भी शुरू कर दी है। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि पालिकाध्यक्ष पर एक कार्यवाही के तुरंत बाद दूसरा व तीसरा आरोप पत्र थमाया जा सकता है वहीं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा उनके यहां विचाराधीन मामलों में मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है। देखना यह है कि शहर में चल रही विभिन्न चर्चाओं पर कब विराम लगेगा !

तिलक माथुर
*9251022331*

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