तकरीबन पचास नए नेता होंगे पैदा

अजमेर नगर निगम में साठ के बजाय अस्सी वार्ड किए जाने से जहां वार्ड छोटे हो जाएंगे और उनकी मॉनिटरिंग आसान हो जाएंगी, वहीं अजमेर शहर को तकरीबन पचास नए नेता भी मिलेंगे। वर्तमान में साठ वार्डों के आधार पर कुल साठ नेता पार्षद के रूप में स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं। इतने ही हारे हुए नेता हैं। अर्थात कुल एक सौ बीस नेता शहर की नेतागिरी करते हैं। अब जब बीस वार्ड बढ़ रहे हैं तो चालीस नए नेता मैदान में आ जाएंगे। पुराने वार्डों में भी तकरीबन दस नए नेता पैदा होने का अनुमान है। अर्थात कुल पचास नेता नए पैदा हो जाएंगे। यदि हर वार्ड में दोनों पार्टियों में दो या तीन दावेदार माने जाएं तो, इस लिहाज से नेताओं की फेहरिश्त और लंबी हो जाएगी।
ज्ञातव्य है कि नगर निगम के नए वार्डों के परिसीमन व वार्डों के पुनर्गठन के लिए गठित टीम ने अपनी विशेष रिपोर्ट दस्तावेजों के साथ निगम आयुक्त को सौंप दी है। स्वायत्त शासन विभाग ने आपत्तियां दर्ज करवाने के लिए पंद्रह दिन का समय दिया है। इसी के साथ राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। मौजूदा पार्षदों व हारे हुए नेताओं ने नए वार्डों का अध्ययन शुरू कर दिया है। वे अपने लिए वार्ड का चयन करने के लिए अपनी सुविधानुसार आपत्तियां दर्ज करवाएंगे। जानकारी के अनुसार कई वर्तमान पार्षद व हारे हुए नेताओं की जमीन खिसक गई है। उन्हें आसपास के वार्डों में दावेदारी करनी होगी।
जहां तक भाजपा का सवाल है, वहां बाकायदा समितियां बना कर परिसीमन की मॉनिटरिंग का काम किया जा रहा है। हालांकि प्रत्याशियों के चयन में संगठन की भूमिका रहेगी और अगर चुनाव होने तक शिवशंकर हेडा ही शहर अध्यक्ष रहे तो वे अपनी जाजम बिछाने का प्रयास करेंगे, मगर समझा जाता है कि मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल की ही ज्यादा चलेगी। पूर्व का अनुभव तो यही बताता है। पिछली बार तो हालत ये थी कि हेडा के पूर्ववर्ती अध्यक्षीय कार्यकाल में उनकी एक नहीं चली और सभी टिकट देवनानी व भदेल ने ही दिए।
उधर कांग्रेस में शहर अध्यक्ष विजय जैन के अतिरिक्त मुख्य रूप से अजमेर दक्षिण में हेमंत भाटी व अजमेर उत्तर में महेन्द्र सिंह रलावता की अहम भूमिका रहने वाली है। ललित भाटी, डॉ. राजकुमार जयपाल, कमल बाकोलिया, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती भी टांग अड़ाएंगे ही। पूर्व सांसद व केकड़ी विधायक डॉ. रघु शर्मा, जो कि स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, उनकी सिफारिश से भी कुछ टिकट फाइनल होंगे। हो सकता हाल ही लोकसभा चुनाव हारे रिजु झुंझुनवाला भी कुछ दावेदारों की पैरवी करें। हारने के बाद भी अपनी संस्था पूर्वांचल जन चेतना समिति के जरिए सामाजिक सरोकारों के काम करवा कर अजमेर को अपनी कर्मभूमि बनाए रखना चाहते हैं। खैर, फिलवक्त सभी संभावित दावेदारों ने अपने-अपने आकाओं की पगचंपी शुरू कर दी है। सब की नजर प्रदेश स्तर पर संभावित परिवर्तन पर भी टिकी हुई है।
रहा सवाल मेयर का तो उसकी सरगरमी आरक्षण की लॉटरी खुलने के बाद ही आरंभ होगी।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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