मेयर पद के लिए अनुसूचित जाति महिला वर्ग में दावेदारों को लेकर कयासबाजी शुरू

संशोधित एवं परिवद्र्धित
सामान्य व ओबीसी दावेदारों की उम्मीदों पर फिरा पानी
अजमेर। आगामी नगर निकाय चुनाव में अजमेर नगर निगम का मेयर पद अनुसूचित जाति की महिला के आरक्षित होने के साथ एक ओर जहां सामान्य व ओबीसी के दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, वहीं अनुसूचित जाति महिला वर्ग में दावेदारों को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है। जैसा कि हाल ही राज्य सरकार ने नई व्यवस्था लागू करते हुए आम मतदाता के लिए भी मेयर का चुनाव लडऩे का रास्ता खोल दिया है, इस कारण उन संभावित दावेदारों पर नजर है, जो कि पार्षद का चुनाव न लड़ कर सीधे मेयर पद का टिकट हासिल करने की कोशिश करेंगी। उनमें वे प्रमुख रूप से उभर कर आएंगी, जो कि पहले से शहर स्तर पर स्थापित नेताओं की पत्नियां हैं। मेयर पद नजर रखने वाली महिलाओं में से जिनको टिकट मिलने की कोई खास उम्मीद नहीं है, वे पार्षद का चुनाव जरूर लडऩा चाहेंगी। उनके लिए भी मेयर पद की दावेदारी का विकल्प तो खुला हुआ रहेगा ही।
कांग्रेस में अजमेर दक्षिण से विधानसभा चुनाव हारे प्रमुख उद्योगपति व समाजसेवी हेमंत भाटी की पत्नी की दावेदारी सबसे प्रबल हो सकती थी, लेकिन चूंकि वे क्रिश्चियन परिवार से हैं, इस कारण उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा। उनकी भाभी भी सामान्य वर्ग से हैं, इस कारण उनको भी मौका नहीं मिलेगा। पूर्व उप मंत्री ललित भाटी अपनी पत्नी को राजनीति में लाना चाहेंगे या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। राजनीति व नगर निगम में कामकाज के अनुभव के लिहाज से सबसे तगड़ी दावेदारी शहर जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष व पूर्व पार्षद प्रताप यादव की पत्नी श्रीमती तारा देवी यादव, जो कि स्वयं भी पार्षद भी रह चुकी हैं, की बनती दिख रही है। मौजूदा पार्षदों में चंचल बेरवाल, द्रोपदी कोली, उर्मिला नायक व रेखा पिंगोलिया भी दावा ठोकने की पात्रता रखती हैं। पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल की पत्नी श्रीमती रंजू जयपाल, पूर्व मेयर कमल बाकोलिया की पत्नी श्रीमती लीला बाकोलिया, पार्षद सुनील केन की पत्नी श्रीमती नीता केन के भी खुल कर सामने आने की पूरी उम्मीद है। डॉ. जयपाल की बहिन, राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर की सचिव आईएएस अधिकारी रेणु जयपाल ने यूं तो कभी राजनीति में रुचि नहीं दिखाई, मगर चूंकि लंबे समय से अजमेर में ही विभिन्न पदों पर रही हैं, इस कारण सुपरिचित चेहरा हैं। ज्ञातव्य है कि उनके पिता जसराज जयपाल शहर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और माताजी स्वर्गीय श्रीमती भगवती देवी मंत्री रही हैं।
इसी प्रकार पूर्व पार्षद विजय नागौरा अपनी पत्नी का नाम चला सकते हैं। इसी कड़ी में प्रदेश महिला कांग्रेस में सक्रिय मंजू बलाई व रेणु मेघवंशी भी भाग्य आजमाने का आग्रह कर सकती हैं। ज्ञातव्य है कि मंजू बलाई के पिताश्री जोधपुर जिले से विधायक थे। हाल के चुनाव में वे हार गए थे। उन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का हाथ था।
भाजपा में जिला प्रमुख वंदना नोगिया प्रबल दावेदार हो सकती हैं। जिला प्रमुख का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राजनीतिक कैरियर बरबरार रखने के लिए आगे आने की कोशिश करेंगी। वे हाल के विधानसभा चुनाव में भी अजमेर दक्षिण से प्रबल दावेदार थीं। संभावना ये भी है कि मौजूदा विधायक व नगर परिषद के पूर्व सभापति श्रीमती अनिता भदेल के नाम पर भी विचार हो। हालांकि उनका विधायक पद का कार्यकाल चार साल से भी ज्यादा बाकी पड़ा है, मगर विपक्ष में होने के कारण उसका कोई आकर्षण नहीं। दूसरा ये कि कार्यक्षेत्र के लिहाज से मेयर का पद विधायक से कहीं अधिक बड़ा है। कहने की जरूरत नहीं कि अजमेर में स्मार्ट सिटी के तहत अभी बहुत कुछ काम होना बाकी है। हालांकि वे आनाकानी कर रही बताईं, मगर हो सकता है कि यह उनकी एक चाल हो। अभी दावेदारी में नहीं आना, और बाद में ऐन वक्त पर दावा ठोकना। पूर्व राज्य मंत्री श्रीकिशन सोनगरा की बहू यानि विकास सोनगरा की पत्नी श्रीमती इंदु सोनगरा के लिए भी प्रयास हो सकते हैं। श्रीकिशन सोनगरा की पुत्री का नाम भी चर्चा में है। नगर परिषद की पूर्व सभापति श्रीमती सरोज जाटव तो निश्चित रूप से दावेदारी करेंगी, चूंकि वे नगर परिषद का स्वाद चख चुकी हैं। वे वर्तमान पार्षद धर्मपाल जाटव की पत्नी हैं। इसी प्रकार पार्षद वंदना नरवाल, बीना सिंगारिया, भाजपा नेता हीरालाल जीनगर की पत्नी के दावे सामने आने की उम्मीद है। अजमेर नगर सुधार न्यास की पूर्व ट्रस्टी भगवती रूपाणी भी प्रयास कर सकती हैं।
मेयर के चुनाव की उल्लेखनीय बात ये है कि साधन संपन्न व्यक्ति ही दमदार दावेदारी कर सकेगा, क्योंकि पार्षद प्रत्याशियों को उससे सहयोग की उम्मीद होगी। वही मैदान में डट सकेगा, जिसने पार्षद प्रत्याशियों को चुनाव लडऩे में मदद की होगी। इस चुनाव की अहम बात यही है। इक्का-दुक्का को छोड़ कर अधिसंख्य उतनी साधन संपन्न नहीं, जितने की जरूरत है। ऐसे में हो सकता है कि वे अपना-अपना आका तलाशें, जो कि उन पर इन्वेस्ट कर सके। चंचल बेरवाल, द्रोपदी कोली व रेखा पिंगोलिया प्रमुख उद्योगपति व अजमेर दक्षिण से हारे हेमंत भाटी का वरदहस्त पाना चाहेंगी। यह तो भाटी पर निर्भर करता है कि वे इसमें रुचि ले या नहीं और लें भी तो किस में। लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी समाजसेवा में सक्रिय रिजु झुंझुंनवाला सक्रिय हो सकते हैं और किसी पर हाथ रख कर जितवाने की गारंटी ले सकते हैं।
ज्ञातव्य है कि सामान्य व ओबीसी वर्ग के अनेक दावेदार चांस मिलने की सोच रहे थे, उनके मंसूबों पर पूरी तरह से पानी फिर गया है। इनमें कांग्रेसी दावेदारों में गत विधानसभा चुनाव में उत्तर क्षेत्र के प्रत्याशी रहे महेन्द्र सिंह रलावता व दक्षिण क्षेत्र के प्रत्याशी रहे हेमंत भाटी, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ललित भाटी, पूर्व विधायक और नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रह चुके डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, नौरत गुर्जर, प्रताप यादव, समीर शर्मा, श्रवण टोनी, सुरेश गर्ग के नाम थे। इसी प्रकार भाजपा में मौजूदा मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, शहर भाजपा अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा, नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे धर्मेश जैन, पूर्व शहर जिलाध्यक्ष अरविंद यादव, मेयर का चुनाव हार चुके डॉ. प्रियशील हाड़ा, आनंद सिंह रजावत, सुभाष काबरा, एडवोकेट गजवीर सिंह चूंडावत, सुरेन्द्र सिंह शेखावत, सोमरत्न आर्य, पार्षद जे के शर्मा, रमेश सोनी, नीरज जैन आदि की चर्चा थी।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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