किशनगढ का दुर्भाग्य

*कढी बिगाड कर छोंक लगाने पर उतारु हैं सभी……..*
*किशनगढ।* छोटे बडे जनसेवक हों या प्रशासनिक अधिकारी सभी इस शहर की कढी बिगाड कर छोंक लगाने पर उतारु हैं।मिट्टी पलीत करके रख दी है शहर की।किशनगढ की धरती की काया चिथडे-चिथडे होकर बिखर रही है।जिसे समेटने कोई आगे नहीं आ रहा।यह इस शहर में *हो रहे विकास की वह दर्दनाक दास्तां है जिसे कालान्तर में इतिहास के पन्नों पर पढा जायेगा* ।अभी शहर में हर उम्र के व्यक्तियों के बीच यह चर्चा है कि उन्होने अपने अब तक के जीवन काल में इस शहर की ऐसी दुर्दशा नहीं देखी जो बीते कुछ सालों से देखते आ रहे हैं। पूरे शहर की धरती उधडी पडी है जहां बजाय उसे सुधारने के दिन प्रतिदिन और अधिक *परत -दर-परत छिला जा रहा है* ।शायद जन सेवकों और प्रशासनिक अधिकारियों को *धरती की उस आखरी परत का इंतजार है जहां लहू छलक आये*।
उक्त हालात क्यों और कैसे घटित हो रहे हैं,यह कोई नहीं जानता।शहर के वाशिन्दे सिवा अपना भाग्य कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। *उनके किसी सवाल का जवाब किसी भी जनसेवक अथवा प्रशासनिक अमले के पास नहीं है।बडे जनसेवक ‘मुझे विरासत में मिला है खुदा हुआ शहर’कह कर अपना पल्ला झाड चुके हैं।वहीं प्रशासन के आला कप्तान बडे ओहदे के हकदार हैं जो इस छोटे शहर में अपना प्रशिक्षण काल पूरा कर रहे हैं,लिहाजा छोटी किताब के पन्ने उनके लिए कोई मायने नहीं रखते।अब बात करे गली-मौहल्ले के छुटभैय्या जनसेवकों की…तो वे टूटे नलों को जुडवाने की रेलमपेल में लगे हैं।वैसे भी अब उनके माथै चुनाव के बादल मंडराने लगे हैं।इसलिए अब उनका जिया बेकरार है।*
अब तक गली-मौहल्लों की टूटी-फूटी व उधडी सडकों पर *लडखडाता* शहरवासी मुख्य चौराहे पर आकर राहत पाता तो अब वह भी नहीं रही। *पिछले कोई दस दिनों से चौराहे का भी हुलिया बदल गया है।यातायात का भारी दबाव सहन करती आई इस मुख्य सडक को भी बिना किसी पुख्ता कार्य योजना के खोदा जा रहा है।सडक के दोनों ओर एक साथ खुदाई कार्य चल रहा है,जिससे संकरा ग ई सडक पर पैदल व वाहनधारी शहरवासियों का चलना दुश्वार हो रहा है।बहरहाल क्या किया जाय कमबख्त समय ही ऐसा है क्योंकि शहर अब स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है।*
*__सर्वेश्वर शर्मा*
*संपादक..* ‘कुछ अलग’
*अध्यक्ष..* मार्बल सिटी प्रेस क्लब,किशनगढ
*मो.* 9352489097

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