गजब का जूनून बना उनकी पहचान

बंद घड़ी और पुरानी किताब कोई अपने घर पर नहीं रखना चाहते हैं। कहते है ,अशुभ होता है,परंतु ऐसे इंसान को आप क्या कहेंगे ,जो एक -दो नहीं,दस -बीस नहीं, सैकड़ों बंदपड़ी घड़ियों और पुरानी किताबों को पिछले पचास साल से संभाल कर सहेज रहे हैं ,अपने घर में । पिछली शताब्दी में 19वीं और 20वीं सदी के पूर्वार्ध में जिन घड़ियों की रफ्तार थम चुकी और जो पिछली शताब्दी की अनेक प्रमुख घटनाओं मसलन प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध , आजादी की लड़ाई ,स्वाधीनता संग्राम और अनगिनत कुर्बानियों के बाद मिली आजादी के जश्न एवं स्वतंत्र भारत की विकास यात्रा की अनेक कहानियों की साक्षी और चश्मदीद गवाह रही है , उनको हमारे शहर के एक शख्स ने कई दशक से सहेज कर संभाल रखा है, जो सदियों से हमारी सियासत और रियासतों की राजदार रही । इतना ही नहीं बीते दौर और गुजरे जमाने के गवाह रहे सैकड़ों दस्तावेजों ,स्टैंपपेपर ,पांडुलिपियों ,जन्म कुंडली , पुराने पंचांग कालदर्शक कैलेंडर डायरियां ,परफ्यूम बॉटल्स ,बधाई पत्र और जन्म कुंडलीयों का संग्रह कर विरासत के वारिस बन गये और हमारे सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक सद्भाव की कहानी बयांन करने वाले धार्मिक ग्रंथों का विपुल संग्रह करने वाले यह शख्स गजब जुनून के धनी और बेमिसाल अनूठे जज्बे और साहस पुरुषार्थ की जीवंत मूर्ति हैं जो सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं । उनके पौरुष और साहस को सलाम करने का जी चाहता है ।
कहावत है कि समय कभी रुकता नहीं है ,वह तो निरंतर गतिशील है पर सोचिए अगर समय का पहिया ठहर जाए तो क्या हो ।
पिछली शताब्दी की सैकड़ों घटनाओं की साक्षी रही सैकड़ों घड़ियाँ,पुरानी किताबें,गीता,
रामायण ,महाभारत आदि ग्रंथ जिनसे हमारे बुजुर्ग पूर्वजों ने धार्मिक साधना और स्वाध्याय किया । सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक ऐसे धार्मिक ग्रंथ और सैकड़ों धार्मिक पुस्तकें जिनमें सनातन धर्म की सभी शाखाओं वैष्णव , शैव , जैन , बौध, सिख ,निरंकारी, राधा स्वामी स्वामीनारायण, इत्यादि संप्रदाय के साथ इस्लाम ,ईसाई और पारसी धर्मावलंबियों के धार्मिक ग्रंथ जिनमें गीता रामायण महाभारत वेद पुराण उपनिषद आगम शास्त्र गुरु ग्रंथ साहिब
बाइबिल, कुरान शरीफ तथा पारसी समुदाय के धार्मिक ग्रंथ सहित सभी प्रमुख धर्म की पुस्तकें जो संस्कृत, प्राकृत,अरबीफारसी, हिंदी, गुजराती ,तमिल ,तेलुगू ,
मलयालम ,कन्नड़, गुरुमुखी , उडियन और बंगाली, मराठी राजस्थानी और ब्रज भाषा की अनेक पुस्तकें सम्मिलित है ।
श्री सामरा के इस संग्रह में सम्मिलित धार्मिक पुस्तकों की एक प्रदर्शनी का आयोजन गीता जयंती के अवसर पर दिनांक 25 दिसंबर क्रिसमस डे को ब्रह्माकुमारी केंद्र पर आयोजित की गई एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन भी किया गया जो हमारे सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक सौहार्द की की कहानी बयान करते हैं । यह विपुल संग्रह है एक व्यक्ति के जुनून जज्बे और पुरुषार्थ की कहानी है , उनके साहस को सलाम करते हुए जुनून के धनी और गजब के जज्बे वाले सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी बी एल सामरा जो स्वयं एक चलते फिरते संग्रहालय है और हमारी विरासत की जीवंत तस्वीर से रूबरू करवाने का सामर्थ्य और साहस की प्रतिमूर्ति है ।अद्भुत मिसाल सदियों की दासतां कहते दस्तावेज़ और गुजरे जमाने की जीवंत तस्वीर का बेमिसाल झरोखा जिसमें शुमार है बेशुमार बंदघड़ियां,पुरानेताले,नक्शे,मैडल, ट्राफी, पोस्ट कार्ड, ग्रिटींग कार्ड ,केमरे और उनसे खींची गई तस्वीरें एवं स्टाम्प पेपर का संग्रह विपुल संग्रह जुटाने वाले शख्स का नाम है- बी एल सामरा नीलम , गज़ब का जूनून और अनूठी अभिरुचि वाले सामरा जी नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है । इनका यह जज़्बा और इच्छाशक्ति काबिले तारीफ है ।इक्कीसवीं सदी का एक और वर्ष गुजर गया। मगर गुजरे जमाने की निशानियां आज नये जमाने के दौर में अपने बुजुर्गों पूर्वजों के स्मृति चिन्ह बंद कमरों में आज कौन सजा कर रखता है । यह तो सामरा जी का ही सामर्थ्य है जो पुराने जमाने की हमारे बुजुर्गो की निशानियां अपने दिल से लगाये हुए हैं। हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी एवं हमारे अनेक राष्ट्रीय नेताओं के सैकड़ों फोटो ग्राफ्स भी इनके संग्रह की शोभा बढ़ा रहे हैं ।
बंद घड़ी और पुरानी किताब कोई अपने घर पर नहीं रखना चाहते हैं। कहते है ,अशुभ होता है,परंतु ऐसे इंसान को आप क्या कहेंगे ,जो एक -दो नहीं,दस -बीस नहीं, सैकड़ों बंदपड़ी घड़ियों और पुरानी किताबों को पिछले पचास साल से संभाल कर सहेज रहे हैं ,अपने घर में । पिछली शताब्दी में 19वीं और 20वीं सदी के पूर्वार्ध में जिन घड़ियों की रफ्तार थम चुकी और जो पिछली शताब्दी की अनेक प्रमुख घटनाओं मसलन प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध , आजादी की लड़ाई ,स्वाधीनता संग्राम और अनगिनत कुर्बानियों के बाद मिली आजादी के जश्न एवं स्वतंत्र भारत की विकास यात्रा की अनेक कहानियों की साक्षी और चश्मदीद गवाह रही है , उनको हमारे शहर के एक शख्स ने कई दशक से सहेज कर संभाल रखा है, जो सदियों से हमारी सियासत और रियासतों की राजदार रही । इतना ही नहीं बीते दौर और गुजरे जमाने के गवाह रहे सैकड़ों दस्तावेजों , स्टैंप पेपर , पांडुलिपियों ,जन्म कुंडली , पुराने पंचांग कालदर्शक कैलेंडर डायरियां ,परफ्यूम बॉटल्स ,बधाई पत्र और जन्म कुंडलीयों का संग्रह कर विरासत के वारिस बन गये और हमारे सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक सद्भाव की कहानी बयांन करने वाले धार्मिक ग्रंथों का विपुल संग्रह करने वाले यह शख्स गजब जुनून के धनी और बेमिसाल अनूठे जज्बे और साहस पुरुषार्थ की जीवंत मूर्ति हैं जो सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं । उनके पौरुष और साहस को सलाम करने का जी चाहता है ।
कहावत है कि समय कभी रुकता नहीं है ,वह तो निरंतर गतिशील है पर सोचिए अगर समय का पहिया ठहर जाए तो क्या हो ।
पिछली शताब्दी की सैकड़ों घटनाओं की साक्षी रही सैकड़ों घड़ियाँ,पुरानी किताबें,गीता,
रामायण ,महाभारत आदि ग्रंथ जिनसे हमारे बुजुर्ग पूर्वजों ने धार्मिक साधना और स्वाध्याय किया । सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक ऐसे धार्मिक ग्रंथ और सैकड़ों धार्मिक पुस्तकें जिनमें सनातन धर्म की सभी शाखाओं वैष्णव , शैव , जैन , बौध, सिख ,निरंकारी, राधा स्वामी स्वामीनारायण, इत्यादि संप्रदाय के साथ इस्लाम ,ईसाई और पारसी धर्मावलंबियों के धार्मिक ग्रंथ जिनमें गीता रामायण महाभारत वेद पुराण उपनिषद आगम शास्त्र गुरु ग्रंथ साहिब
बाइबिल, कुरान शरीफ तथा पारसी समुदाय के धार्मिक ग्रंथ सहित सभी प्रमुख धर्म की पुस्तकें जो संस्कृत, प्राकृत,अरबीफारसी, हिंदी, गुजराती ,तमिल ,तेलुगू ,
मलयालम ,कन्नड़, गुरुमुखी , उडियन और बंगाली, मराठी राजस्थानी और ब्रज भाषा की अनेक पुस्तकें सम्मिलित है ।
श्री सामरा के इस संग्रह में सम्मिलित धार्मिक पुस्तकों की एक प्रदर्शनी का आयोजन गीता जयंती के अवसर पर दिनांक 25 दिसंबर क्रिसमस डे को ब्रह्माकुमारी केंद्र पर आयोजित की गई एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन भी किया गया जो हमारे सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक सौहार्द की की कहानी बयान करते हैं । यह विपुल संग्रह है एक व्यक्ति के जुनून जज्बे और पुरुषार्थ की कहानी है , उनके साहस को सलाम करते हुए जुनून के धनी और गजब के जज्बे वाले सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी बी एल सामरा जो स्वयं एक चलते फिरते संग्रहालय है और हमारी विरासत की जीवंत तस्वीर से रूबरू करवाने का सामर्थ्य और साहस की प्रतिमूर्ति है ।अद्भुत मिसाल सदियों की दासतां कहते दस्तावेज़ और गुजरे जमाने की जीवंत तस्वीर का बेमिसाल झरोखा जिसमें शुमार है बेशुमार बंदघड़ियां,पुरानेताले,नक्शे,मैडल, ट्राफी, पोस्ट कार्ड, ग्रिटींग कार्ड ,केमरे और उनसे खींची गई तस्वीरें एवं स्टाम्प पेपर का संग्रह विपुल संग्रह जुटाने वाले शख्स का नाम है- बी एल सामरा नीलम , गज़ब का जूनून और अनूठी अभिरुचि वाले सामरा जी नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है ।इनका यह जज़्बा और इच्छा शक्ति काबिले तारीफ है ।इक्कीसवीं सदी का एक और वर्ष गुजर गया। मगर गुजरे जमाने की निशानियां आज नये जमाने के दौर में अपने बुजुर्गों पूर्वजों के स्मृति चिन्ह बंद कमरों में आज कौन सजा कर रखता है । यह तो सामरा जी का ही सामर्थ्य है जो पुराने जमाने की हमारे बुजुर्गो की निशानियां अपने दिल से लगाये हुए हैं। हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी और स्वाधीनता संग्राम के नेताओं के सैकड़ों फोटो ग्राफ्स भी इनके संग्रह की शोभा बढ़ा रहे हैं ।पिछले 50 वर्षों से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने वाले बी एल सामरा एक चलते फिरते संग्रहालय से कम नहीं है । बचपन की एक घटना का उन पर इतना असर हुआ कि उन्होंने किसी भी वस्तु को फिर कभी बेकार नहीं समझा और अब यही वजह है कि अब सामरा के संग्रह मे पुराने सिक्के, बांट, डाक टिकिट, ताले घडिय़ां आदि रखे हैं। इतना ही नहीं काशी नरेश ने जो पत्र कोटा महाराज को लिखा था, वह दुर्लभ पत्र भी सामरा के पास सुरक्षित रखा हुआ है। सैकड़ों पांडुलिपियां स्टाम्प पेपर, पोस्ट कार्ड आदि सामग्री को भी सुरक्षित रखा गया है। 18 भाषाओं में लिखे स्टाम्प पेपर तो ऐतिहासिक धरोहर बन गए हैं। मेवाड़ राज घराने के अनेक पत्र सुरक्षित रखे गए हैं । कई 20-25 फीट लम्बी जन्म कुंडलियों को देखने से ही पता चलता है कि सामरा को कितनी रुचि है । कलम, दवात, लेखन सामग्री, लैम्प स्टेंड, इत्र की खूबसूरत बोतलें, इत्र दान, फूल दान ऐसी अनेक वस्तुए हैं जो सामरा के खजाने को बेशकीमती बनाती है । ऐतिहासिक वस्तुओं को संरक्षित करने में सामरा अभी भी सक्रिय हैं । भारतीय जीवन बीमा निगम से प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए सामरा आज भी अपनी धुन के पक्के इंसान हैं। सामरा ने कई अवसर पर अपने इस संग्रह की प्रदर्शनी भी लगाई तथा कई जिला मुख्यालय पर उन्हें विरासत बचाने के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया ।

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