यानि खादिमों के लिए केवल इंद्रेश कुमार ही अछूत हैं

इन दिनों राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और भाजपा से मुसलमानों को जोडऩे की मुहिम के सेनापति इंद्रेश कुमार खादिमों के निशाने पर हैं। विवाद ये है कि उनकी जमात के एक युवक सैयद इफशान चिश्ती ने संघ के पूर्व सर संघ चालक के पी सुदर्शन और इंद्रेश कुमार के साथ फोटो कैसे खिंचवा ली, जबकि इंद्रेश कुमार पर दरगाह में बम विस्फोट की साजिश में शामिल होने का आरोप है। यानि की इंद्रेश कुमार खादिमों के दुश्मन नंबर वन हैं। और इसी वजह से खादिमों की रजिस्र्टड संस्था अंजुमन सैयद जादगान को भी शिकायत के आधार पर इफशान सेे जवाब तलब करना पड़ा।
दरअसल अंजुमन कई बार ऐसे धर्म संकट में इसलिए पड़ जाती है क्योंकि यह एक सामाजिक संस्था है और राजनीति से इसका कोई सीधा संबंध नहीं है। इस कारण संस्था यह तय नहीं कर सकती कि उसके सदस्य किस पार्टी से संबंध रखें और किस के साथ नहीं। और यही वजह है कि कुछेक खादिम हिंदूवादी पार्टी भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं, मगर उस पर कभी ऐतराज नहीं होता। वे पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारी भी हैं। अमूमन वे ही भाजपा नेताओं को जियारत भी करवाते हैं। जायरीन व दुआगो का यह रिश्ता इसलिए कायम है क्योंकि दरगाह का दर हर मजहब को मानने वाले के लिए खुला है। इस मामले में कोई परहेज नहीं किया जाता। खादिमों के लिए हर जायरीन बराबर है। हकीकत तो यह भी मानी जाती है कि ख्वाजा साहब के दर पर सालभर में मुसलमान की तुलना में हिंदू कहीं अधिक आता है।
खैर, बात ताजा विवाद की। चूंकि विवाद में आए खादिम युवक सैयद इफशान चिश्ती भाजपा नेता के पुत्र हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि उनके भाजपा के नेताओं से संबंध हैं। हाल ही जब तीर्थराज पुष्कर में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का तीन दिवसीय शिविर हुआ तो भाजपा नेता और वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सलावत खां के फोन पर बुलावे की वजह से वे पुष्कर पहुंचे। बकौल इफशान उन्हें नहीं मालूम था कि पुष्कर में आयोजित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सम्मेलन में कौन लोग आए थे। वहां कौन लोग मुख्य अतिथि अथवा विशिष्ट अतिथि थे, इसके बारे में भी उसे नहींं मालूम था। हालांकि बात हजम नहीं होती, मगर जब वे लिखित में कह रहे हैं तो उस पर यकीन करना ही होगा कि उन्होंने गफलत में सुदर्शन व इंद्रेश कुमार के साथ फोटो खिंचवा लिया। इस बयान के साथ ही विवाद खुद ब खुद समाप्त हो जाता है। वो इसलिए भी कि इस बयान के साथ ही यह बयान खुद ब खुद बयां हो गया है कि अगर उन्हें यह मालूम होता कि वहां दरगाह बम ब्लास्ट की साजिश के कथित आरोपी इंद्रेश कुमार भी आए हैं तो वे वहां नहीं जाते। कम से कम उनके साथ फोटो तो कत्तई नहीं खिंचवाते, जिसकी वजह से जमात में गलत संदेश चला गया। एक अर्थ में उन्होंने आम खादिम की इस भावना का सम्मान किया है कि इंद्रेश कुमार जैसों से जमात के लोगों को परहेज करना चाहिए। अलबत्ता उसी हिंदू मानसिकता वाली भाजपा से भले ही जुड़े रहें। यानि कि गुड़ भले ही खा लें, मगर गुलगुले से परहेज रखें। वजह साफ है। अंजुमन किसी भी खादिम को यह निर्देश नहीं दे सकती कि अमुक पार्टी से नाता रखें और अमुक से परहेज। उसके लिए सभी समान हैं। मगर चूंकि इंद्रेश कुमार का नाम सीधे तौर पर बम ब्लास्ट से जुड़ा हुआ माना जा रहा है तो आम खादिम की यही सोच है कि कम से कम उनसे तो परहेज रखें ही। इसी सोच को धार देने वाले पूर्व अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती के दबाव में अंजुमन को इशफान की सुनवाई करनी पड़ी। बात सही भी है। बम विस्फोट की साजिश के कथित आरोपी के साथ कोई खादिम फोटो खिंचवाएगा तो क्या संदेश जाएगा? अलबत्ता इंद्रेश कुमार के लिए यह बात उल्लेखनीय है कि सरकार व जांए एजेंसियां उन्हें जबरन फंसाने की कोशिश कर रही हैं, जबकि दरगाह के खादिमों के साथ तो उनके बेहतर रिश्ते हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
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2 thoughts on “यानि खादिमों के लिए केवल इंद्रेश कुमार ही अछूत हैं”

  1. दरगाह के खादिमों द्वारा ये भेदभाव बहुत शर्मनाक है ।

  2. खादिमों के लिए केवल पैसा छूत है बाकि सब अछूत है

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