विदेशी बालाओं का नंगा नाच पुष्कर तीर्थ की धार्मिक आस्था पर चोट

तीर्थ पुरोहितों में भारी आक्रोश

अरुण पाराशर
इस बड़े शीर्षक से आज के लगभग 20 साल पहले की घटना होगी पुष्कर के पुरोहितों, नागरिकों को शायद इस घटना की स्मृति और स्मरण भी होगा ,पुष्कर मेले का अवसर था और जैसा कि मेले में होता आया है कि पूर्णिमा की पूर्व संध्या के मौके पर देसी विदेशियों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है। ऐसा ही एक कार्यक्रम पुष्कर के लगभग 6 किलोमीटर दूर जहां तक मुझे याद है आरटीडीसी द्वारा या किसी प्राइवेट रिसोर्ट में कल्चरल प्रोग्राम का आयोजन रखा गया था उसमें इजराइली विदेशी बालाओं ने जाने अनजाने या गैर इरादतन या समझे बिना अपनी पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति से ओतप्रोत हमारे भारतीय सभ्यता और संस्कृति और धार्मिक तीर्थ स्थल की मर्यादाओं से अनजान कम वस्त्रों में अर्धनग्न जैसा सामूहिक नृत्य देखा देखी में प्रस्तुत कर दिया, घटना यूं घटती है इस कार्यक्रम में तत्कालीन जिले के जिलाधीश श्रीमान अश्वनी भगत, पुष्कर मेला मजिस्ट्रेट उपखंड अधिकारी श्री मनीष गोयल एवं पर्यटन विभाग की उपनिदेशक श्रीमती पुनीता सिंह भी इस रंगारंग कार्यक्रम का आनंद उठा रहे थे, और अचानक तीसरी आंख में इन सब की उपस्थिति को और विदेशी बालाओं के अर्धनग्न नृत्य को अपने कैमरे में कैद कर लिया और यह रातों-रात वायरल होकर उस समय के इलेक्ट्रॉनिक चैनल में प्रसारण और अगली सुबह के दैनिक समाचार पत्रों में बड़े हेडिंग के साथ छपा की आला जिला प्रशासन की उपस्थिति में पुष्कर तीर्थ की धार्मिक आस्था व मर्यादा की खुले आम धज्जियां उड़ाई गई। इतना जानकर पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों में भारी उबाल और आक्रोश ने राज सरकार को हिला कर रख दिया। जहां तक मेरी जानकारी है उस समय भी राजस्थान के मुख्यमंत्री माननीय श्री अशोक गहलोत ही थे। उन्होंने इस घटना का तुरंत संज्ञान लेकर तीनों ही अधिकारियों को एपीओ किए जाने के आदेश थमा दिये।
ऐसा ही एक घटना वह भी लगभग 25 साल पुराना हो गया होगा पुष्कर तीर्थ की पवित्रता से जुड़ा हुआ था आपको याद होगा कि पुरानी पुलिया के पीछे जहां सिल्टडेम है यहां पुष्कर के ही एक नागरिक ने इसके बीचों बीच पुष्कर सरोवर में आने वाले पानी के बहाव में बड़ा सा चबूतरा बनाकर और उस पर टीन शेड लगाकर रेस्टोरेंट का स्वरूप दे दिया इसका तीर्थ पुरोहितों द्वारा भारी विरोध हुआ और जिला प्रशासन को इसे वहां से नेस्तनाबूद करना पड़ा ऐसा ही एक और मामला हाई लेवल ब्रिज के पास 2009 में सावित्री फीडर का निर्माण चल रहा था वहां एक निजी भू मालिक ने जिसका आज स्थानीय जन प्रतिनिधियों व अधिकारियों की मिली भगति से वहां बेखौफ होटल का अवैध निर्माण चल रहा है ने सावित्री फीडर का रास्ता रोक दिया तत्कालीन जिला कलेक्टर श्रीमान राजेश यादव ने जानकारी होते ही खुद लवाजमें के साथ आकर संपूर्ण अवरोध और अतिक्रमण को हटा कर सावित्री फीडर का मार्ग खोल दिया। इन घटनाओं का स्मरण कराने का उद्देश्य एकमात्र पुष्कर तीर्थ के अस्तित्व इसकी पवित्रता एवं आस्था को किसी प्रकार की किसी भी रूप में यदि क्षति पहुंचती है तो हम पुष्कर के सभी तीर्थ के पुरोहितों और नागरिकों की महती जिम्मेवारी हो जाती है कि हम सभी पूर्वाग्रहों और अपने निजी राजनीतिक हितों को परे रखकर अपने तीर्थ के प्रति नैतिक जिम्मेवारी एवं कर्तव्य को इमानदारी से निभाने का परिचय देते आएं है।आज जब पुष्कर तीर्थ के अस्तित्व और पवित्रता से खिलवाड़ कर, नियम कानून कायदों को एवम माननीय न्यायालय के आदेशों को भी ताक में रखकर पुष्कर सरोवर में निर्मल जल लाने के लिए बने प्राकृतिक स्रोतों वह नदी नालों के मध्य जिला एवं स्थानीय प्रशासन अपने ही आदेशों को नहीं मानकर तीन तरफ फिडरो के मध्य घिरीअनुपयुक्त जमीन पर नवीन चिकित्सालय के लिए आवंटन करने पर आमादा है।जिसका पुष्कर तीर्थ की पवित्रता और बरसाती पानी की आवक बाधा के साथ अपशिष्ट बायो मेडिकल वेस्ट, गंदगी बहकर पुष्कर सरोवर आएगी। तो क्या यह सब हमारे तीर्थ के पंडित ज्ञानी विद्वान प्रज्ञा वान तीर्थ पुरोहितों की जानकारी में नही है । तीर्थ की मर्यादा के लिए छह किलोमीटर बाहर हुई घटना पर आक्रोश जताने वाले,आस्था के साथ खिलवाड़ कराने वालों को जिला बदर करवा देने वाला तीर्थ पुरोहित समाजआज चुप्पी मारकर क्यों बैठा है।ऐसा तो कभी नही हुआ कि जो छोटी मोटी बातों ओर घटनाओं पर आंदोलित होकर कभी ब्रह्मा मंदिर तो कभी ट्रस्ट कार्यालय बंद करा न्याय मांग कर अपनी जायज बातें मनवाते थे क्या उन्हें आज इस ज्वलंत प्रकरण में तीर्थ की पवित्रता के साथ रची जा रही साजिश को लेकर कोई पीड़ा या दर्द अपने अन्नदाता के प्रति द्रवित नहीं करता होगा ,निश्चय ही कर रहा होगा, मगर इस ब्रह्म नगरी की अजब गजब कहानी है यहां हर कोई ज्ञानी, शिक्षित बड़े से बड़ा पंडित और प्रज्ञावन ही क्यों न हो वह किसी न किसी रूप में अपने अपने आका की खुटी का बंधुआ सा महसूस करता है। जो उसे चाहकर भी अपने मन की करने की तो छोड़ो सोचने भी नही देता।
💐 क्या लेके आया जग में क्या लेके जायेगा ,दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला।
यह तीर्थ आपका अपना है इसकी पवित्रता, मर्यादा ,गरिमा की रक्षा करना हम सब का सामूहिक कर्तव्य है।आज हो रही गलती का दूरगामी परिणाम क्या होगा इसे समझ कर अपनी आवाज अपने अन्नदाता की सेवा में बुलंद करने के लिए आगे बढ़ो।
सच्चाई का मार्ग बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाल सकता है।
इसी एक भूमि का मोह छोड़ो पुष्कर नगरी मेंऔर बीसियों भूमियां व्यापक जनहित ही विद्यमान है।सियासत दानों की साजिश व गुमराह किए जाने के जाल से बाहर आकर आवाज उठाओ सफलता आपका इंतजार कर रही है। क्षमा प्रार्थना के साथ। निवेदक
अरुण पाराशर, तीर्थ पुरोहित, सामाजिक कार्यकर्ता,पुष्कर तीर्थ।

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