एडीए अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर रहस्य गहराया

अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड में पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती और डॉ. राजकुमार जयपाल को स्वंतत्र डायरेक्टर बनाए जाने के साथ ही अजमेर विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर को लेकर रहस्य गहरा गया है। सिक्के का एक पहलु तो ये है कि इन दोनों के अलावा अन्य सभी दावेदारों में उम्मीद जगी है। ऐसा माना जा रहा है कि मौजूदा राजनीतिक समीकरणों में इन दोनों की राजनीतिक नियुक्ति के साथ ही अन्य दावेदारों के लिए एडीए में जाने का रास्ता खुल गया है। ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं को चूंकि समायोजित किया जा चुका है, लिहाजा इन में से कोई भी एडीए अध्यक्ष नहीं बन पाएगा। हालांकि यह बहुत जरूरी नहीं है कि ऐसा ही हो, मगर मोटे तौर पर यही माना जा रहा है। सिक्के का दूसरा पहलु ये है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अब एडीए अध्यक्ष बनाया ही न जाए।
बहरहाल सवाल ये खड़ा होता है कि क्या ये दोनों नेता इन नियुक्तियों से खुश हैं। कहते हैं न कि अंधे मामा से काणा मामा अच्छा, इस कहावत के लिहाज से देखें तो दोनों ने संतोष कर लिया होगा कि चलो कुछ तो मिला। लेकिन इतना पक्का है कि ये नियुक्तियां उनके बहुत सुखद नहीं हैं। विषेश रूप से डॉ. बाहेती के लिए। वो इसलिए कि अब तक के सारे मीडिया आकलन में माना जा रहा था कि एडीए के लिए वे ही नंबर वन दावेदार हैं। उसकी वजह भी साफ है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सर्वाधिक करीब हैं। हालांकि बीच में कुछ लोगों ने कहना आरंभ कर दिया था कि अब पहले जैसी करीबी नहीं रही। उसका क्या आधार था, पता नहीं फिर भी वे नंबर वन पर ही माने जा रहे थे। मौजूदा नियुक्ति को देखते हुए तो लगता है कि कुछ लोगों का जो अनुमान था, कहीं वह सही तो नहीं था। बाहेती को एडीए अध्यक्ष बनाने की बजाय स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जोडने से तो यही अर्थ निकलता है। आपको याद होगा कि किसी समय बाहेती को मिनी सीएम माना जाता था। उसी वजह से उनका रुतबा आज तक बना हुआ है। अगर यह सही है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जोडने के बाद उनकी एडीए सदर बनने की संभावना समाप्त हो गई है तो यह उनके लिए अच्छा नहीं हुआ। एक अर्थ में इसे अन्याय की संज्ञा भी दी जा सकती है कि जीवन भर गहलोत की वफादारी का अपेक्षित इनाम नहीं मिल पाया। कहां एडीए अध्यक्ष और कहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का डायरेक्टर। वहां वे कुछ नहीं कर सकते क्योंकि अधिसंख्य योजनाओं को अंतिम रूप दिया जा चुका है और एमओयू भी हो चुके हैं। वे भले ही निजी कारणों से प्रोजेक्ट मीटिंग में नहीं जा पाए हों, मगर कुछ का मानना है कि वे नाराजगी के चलते नहीं गए। कुछ लोग केवल इसी कारण माला व गुलदस्ते के साथ बधाई देने से बचे कि कहीं वे बुरा न मान जाएं कि किस बात की बधाई देने आए हो।
कुछ लोगों का अनुमान है कि बाहेती व जयपाल को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में जोडऩे के बाद एडीए अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना समाप्त हो गई है। हो सकता है सरकार अब बिना नियुक्ति के ही काम चला ले। यूं भी इस पद के लिए कम से कम गहलोत खेमे में कोई दमदार दावेदार नहीं है। जो हैं वे सचिन पायलट खेमे के हैं। उनका नंबर आएगा या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता।
मुख्यमंत्री की मंशा क्या है किसी को पता नहीं फिर भी मीडिया में अन्य दावेदारों के नाम उछल रहे हैं। उनमें कुछ वास्तविक दावेदार हैं तो कुछ हवाई। नियुक्ति कब होगी होगी भी या नहीं मगर मीडिया में जिन दावेदारों के नाम उछल रहे हैं वे खुशफहमी में जीने लगे हैं।

तेजवानी गिरधर
7742067000

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