स्वामी अनादि सरस्वती चिति संधान योग केन्द्र की प्रमुख

स्वामी अनादि सरस्वती को चिति संधान योग केंद्र के संस्थापक रहे स्वामी धर्म प्रेमानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उत्तराधिकारी घोषित किया गया है। स्वामी अनादि अब चिति संधान योग केंद्र का प्रमुख हो गई हैं। अजमेर के लोहागल रोड स्थित अनादि आश्रम में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में स्वामी अनादि को पगड़ी पहनाने की रस्म हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद महाराज ने अदा की। उन्होंने चादर ओढ़ाई और ब्रह्मा मंदिर के महंत प्रघानपुरी जी ने पगड़ी पहनाई। इस अवसर पर स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि अजमेर में ब्रह्माजी की नगरी पुष्कर होने के कारण ही स्वामी धर्म प्रेमानंद ने चिति संधान योग संस्थान की स्थापना अजमेर में की थी। इस मौके पर संन्यास आश्रम के स्वामी शिव ज्योतिषानंद, श्याम सुंदर शरण देवाचार्य आदि संत मौजूद थे।
स्वामी अनादि सरस्वतीे भावपूर्ण संबोधन में ब्रह्मलीन स्वामी धर्मप्रेमानंद जी के पावन श्रीचरणों में अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये संपूर्ण उत्तरदायित्व का वरण करने का प्रण लिया और चिति संधान योग की परंपरा और ध्येय को सतत आगे बढ़ाने के प्रयत्न में प्रण-प्राण से जुटे रहने का संकल्प लिया।
उनके एक प्रषंसक वीरेन्द्र मिश्र ने फेसबुक पर उनके व्यक्तित्व पर अनूठा षब्द चित्र खींचा है, वह इस प्रकार हैः-स्वामी श्री अनादि सरस्वती ने स्नातकोत्तर तक षिक्षा अर्जित की है। विगत पच्चीस वर्ष से भी अधिक समय में देश-विदेश में अनेक यात्रायें कर जनसभाएं की हैं और भारतीय मूल्यों और भारतीयता की सनातन परम्पराओं की अलख जगाई है।
पौराणिक प्रसंगों, उद्धरणों और कथा वस्तुओं को आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने की उनकी विशिष्ट और अनुपम शैली है, जो आधुनिक शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों विशेषकर युवाओं और तरुण वर्ग के मन-मस्तिष्क पर एक विशेष प्रभाव उत्पन्न करती है। स्वामी अनादि सरस्वती प्रकृति संवर्धन से जुड़े अनेकं प्रकल्पों पर कार्य करती हैं जिनमें वर्षा-जल-संरक्षण प्रमुख है। गौरक्षा प्रकल्प, बालकों-तरुणों के उत्तम पोषण और स्वास्थ्य से जुड़े प्रकल्प, युवाओं में व्याप्त नैराश्य और अवसाद की स्थिति को औषधियों और परामर्श द्वारा संपूर्ण रूप से दूर कर उन्हें कर्म और कर्तव्य का मार्ग दर्शाने की महती प्रयोजनाओं पर उनके कार्य उल्लेखनीय हैं।
अनेकं आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रमों को अबाध गति प्रदान करने के अपने व्यस्ततम जीवन में स्वामी अनादि सरस्वती जी की दो पुस्तकें दैवी संपदा और अमृत संदेश प्रकाशनाधीन हैं।

यहां यह बताना प्रासंगिक ही होगा कि कि एक प्रखर साध्वी के रूप में कम उम्र में ही खासी लोकप्रिय हो जाने के कारण ही भाजपा उन्हें पिछले विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर सीट से चुनाव लडाने पर विचार कर रही थी। कदाचित उन्होंने ही पर्याप्त रुचि नहीं ली।

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