गलत व्यावसायिक नक्षे किसने मंजूर किए?

अजमेर। सूचना केंद्र के सामने स्थित चार दुकानों के व्यावसायिक नक्षों को निरस्त करने के साथ यह यक्ष प्रष्न उठा खडा हुआ है कि उन्हें स्वीकृति मिली ही कैसे? इसके लिए कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं? क्या इसके लिए राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया गया? क्या दोशी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही होगी? नगर निगम की अब तक की कार्यविधि से तो लगता नहीं है कि वास्तविक दोशियों को सजा मिल पाएगी।
ज्ञातव्य है कि चार दुकानों के व्यावसायिक नक्शे निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए स्वायत्त षासन विभाग के निदेषक ने आगामी सुनवाई तक नगर निगम के आदेश पर रोक लगा दी है। उनके सामक्ष वीरूमल, हरेश रामचंदानी व रमेश रामचंदानी ने याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि जयपुर रोड पर सूचना केंद्र के सामने जयपुर रोड पर व्यवसायिक भूखंड पंजीकृत विक्रय पत्र द्वारा क्रय किये गए थे। इन पर नगर निगम से 2010 में व्यावसायिक निर्माण स्वीकृति प्राप्त कर चार दुकानों का निर्माण कराया गया। निगम ने 17 सितंबर 2021 को नोटिस भेज कर कहा कि भूखंडों की खरीद फरोख्त गलत तरीके से की गई है क्योंकि उक्त भूमि हस्बैंड मेमोरियल स्कूल को आवंटित थी और अवैध बेचान करत हुए दुकानों का निर्माण किया गया है। दुकान मालिकों ने इस नोटिस का जवाब दिया कि उन्होंने रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से जमीन खरीदी है। इस पर नगर निगम ने गत 15 फरवरी को एक आदेश जारी कर उन्हें सूचित किया कि चारों भूखंड नगर निगम की संपत्ति हैं, इसलिए व्यावसायिक नक्शे निरस्त किए जाते हैं। दुकान मालिकों ने निगम की इस कार्रवाई को याचिका के जरिये चुनौती दी। निदेषक ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश में कहा कि नगर निगम ने दस वर्ष पूर्व दी गई निर्माण स्वीकृति को मात्र एक नोटिस जारी कर निरस्त कर दिया। वस्तुतः समस्त तथ्यों की जांच करने के अतिरिक्त प्रभावित पक्षकारों को नियमानुसार सुन कर सक्षम स्तर पर निर्णय किया जाना चाहिए था।
अब आगे क्या होगा, यह तो विभागीय प्रक्रिया से तय होगा। हो सकता है कि निगम का वर्तमान निर्णय विधि सम्मत साबित हो जाए और इसे रूप में लिया जाए कि निगम को पूर्व में हुई गलती को सुधारने का अधिकार है, लेकिन सवाल उठता है कि गलती की किसने? क्या उसके लिए व्यापारी जिम्मेदार हैं? वास्तव में जिम्मेदार तो निगम के अधिकारी ही रहे होंगे, जिन्होंने गलत नक्षे स्वीकृत किए। स्वाभाविक सी बात है कि व्यावसायिक नक्शे स्वीकृत किए गए, तब उनके मालिकाना हक संबंधी दस्तावेजों की जांच की ही होगी। संबंधित अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर ही तो नक्शे स्वीकृत किए गए होंगे। क्या उन्होंने इसकी तहकीकात नहीं की कि वे जिस जगह व्यावसायिक नक्शों की अनुमति दे रहे हैं, वह जमीन निगम की है। सर्वविदित है कि नगर निगम व इसी क्षेत्र के अन्य दुकानदारों के बीच इस जगह को लेकर बीस साल से अदालती विवाद चल रहा है। क्या उन्हें इसका ख्याल नहीं था? हो सकता है कि निगम अब जो कार्यवाही कर रहा है, वह ठीक हो, भले ही उसकी प्रक्रिया में कुछ दोश हो, मगर उसका दंड केवल दुकानदारों को क्यों मिलना चाहिए? क्या जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? सवाल ये भी है कि निदेषक ने उचित प्रक्रिया अपनाने के लिए निगम के आदेष पर अंतरिम रोक लगाई है, मगर क्या वह इसके लिए निगम के जिम्मेदार अधिकारियों का पता लगा कर उन्हें दंड देने की पहल करके निश्पक्षता का परिचय देगा।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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