टंडन ने क्यों नहीं किया जतोई दरबार में रोजा इफ्तार?

दोस्तों, वरिश्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष जाने माने एडवोकेट राजेष टंडन की ओर से मंगलवार को विजयलक्ष्मी पार्क में रोजा इफ्तार कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसकी चर्चा इसलिए करना प्रासंगिक है कि यह षहर का एक बडा आयोजन होता है, जिसमें षहर के सारे वीआईपी और प्रदेष स्तर के कुछ बडे लोग षिरकत करते रहे हैं। मीडिया कवरेज भी अच्छा खासा होता है। जो लोग पिछले कुछ सालों से नियमित रूप से उनकी ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में षिरकत करते रहे हैं, उनमें कौतुहल हो सकता है कि इस बार विजय लक्ष्मी पार्क का चयन क्यों किया गया है, अन्यथा हर साल नगीना बाग स्थित जतोई दरबार में आयोजन होता था।
असल में स्थान परिवर्तन के पीछे एक बडा घटनाक्रम कारक है।
हुआ यूं कि बीते 19 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण निर्णय हुआ, जिसके तहत महामंडलेष्वर स्वामी हंसराम जी महाराज ने घोशणा की कि सनातन आश्रमों में नियमित पूजा अर्चना, सामाजिक धार्मिक कार्यक्रमों के अलावा रोजा इफ्तार जैसे आयोजनों को स्वीकार नहीं किया जायेगा। उल्लेखनीय बात ये है कि यह घोशणा उन्होंने अजमेर के नगीना बाग स्थित जतोई दरबार में ही की। सीधा सीधा अर्थ है कि स्वामी जी की घोशणा का मूलतः संबंध जतोई दरबार से ही था। ज्ञातव्य है कि दरबार के सामने ही टंडन का निवास स्थान है। नई घोशणा के बाद अब वे यहां रोजा इफ्तार नहीं कर सकते थे। हालांकि इससे उनको कुछ खास फर्क नहीं पडा। उनके व्यक्तित्व की यह खासियत है कि जहां वे चाहते हैं, मजमा इकट्ठा कर सकते हैं। हां, फर्क यह जरूर पडेगा कि अब मीडिया में यह सुर्खी नहीं हुआ करेगी कि जतोई दरबार में नजर आया सांप्रदायिक सौहार्द्र का मंजर, जिसका इसका श्रेय दरबार और टंडन को जाया करता था।
जानकारी के अनुसार जतोई दरबार में हर साल हो रहे रोजा इफ्तार को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति दर्ज करवाई थी। इस पर स्वामी हंसराम जी महाराज की मौजूदगी में एक वृहद बैठक आयोजित की गई, जिसमें अनेक संतों, विहिप व संघ के पदाधिकारी व सिंधी समाज के प्रमुख व्यक्तियों ने षिकरत की। इसी में उन्होंने घोशणा की कि सनातन आश्रमों में नियमित पूजा अर्चना, सामाजिक धार्मिक कार्यक्रमों के अलावा रोजा इफ्तार जैसे आयोजनों को स्वीकार नहीं किया जायेगा। जहां तक अब तक जतोई दरबार में रोजा इफ्तार होते रहने का सवाल है, टंडन का निवास स्थान दरबार के सामने ही होने के कारण स्वाभाविक रूप से पडोसी होने के नाते भाई फतनदास से उनके मधुर संबंध रहे। टंडन को यह सुविधा थी कि रोजा इफ्तार घर के सामने ही होने के कारण व्यवस्था करना आसान हुआ करता था। स्वभाव से बहुत ही हंसमुख व मिलनसार भाई फतनदास को भी इसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं लगता था, किसी ने कभी ऐतराज किया भी नहीं था। पहली बार जब कुछ लोगों ने आपत्ति की तो सनातन धर्म के संतों ने उस पर गौर किया और आदेष जारी करवाने के लिए स्वामी हंसराम जी महाराज को बुलवाया। आपको बता दें कि इस घोशणा के बाद कुछ मीडिया कर्मियों ने इस आषय की खबरें प्रकाषित की कि कांग्रेस नेता दरबार में जबरन रोजा इफ्तार किया करते थे, जब कि सच्चाई यह थी कि ऐसा टंडन व भाई फतनदार की दोस्ती व सदाचार की वजह से होता था। तकलीफ थी तो कुछ हिंदूवादी नेताओं को। अंदर की खबर है कि उनका ऐतराज तब तीखा हुआ, जब राजस्थान विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड ने पिछली बार इफ्तार का मंजर देखा तो यकायक उनके मुंह से निकल गया कि वाह सर्वधर्म समभाव का अद्भुत संगम है यह दरबार। जहां हिंदू भगवानों की मूर्तियां है तो गुरूग्रंथ साहब भी है और साथ ही रोजा इफ्तार भी होता है। बस बात किसी को चुभ गई और उसने अंदर ही अंदर मुहिम छेड दी, जिसके अंजाम में स्वामी हंसराम जी महाराज की घोशणा हुई।

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