प्रशासन गांवों की ओर पर संकट के बादल

अजमेर जिला प्रशासन भले ही आगामी 10 जनवरी से जिले भर में शुरू किए जा रहे प्रशासन गांवों की ओर केलिए कमर कस चुका हो, मगर पटवारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के कारण उस पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
समझा जा सकता है पटवारियों ने अपनी मांगें पूरी करवाने का दबाव बनाने के लिए यह मौका तलाशा है। उन्हें अभियान की तारीखों के बारे में पहले से जानकारी थी, इस कारण उससे कुछ पहले ही मांग पर जोर देना शुरू कर दिया। उधर सरकार केलिए आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह अभियान कामयाब करना जरूरी है, मगर जाहिर सी बात है कि पटवारियों के सहयोग के बिना अभियान किसी भी सूरत में कामयाब नहीं हो पाएगा। ग्रामीणों की लगभग हर समस्या से कहीं न कहीं पटवारियों का सीधा संबंध है। सच तो ये है कि पूरा अभियान धरातल पर पटवारियों पर ही टिका है। अगर पटवारी हड़ताल पर रहते हैं तो अभियान के तहत जो काम होने, उनकी कागजी कार्यवाही कौन करेगा? बड़ी समस्या ये है कि पटवारियों ने इस बार अडिय़ल रुख अख्तियार करते हुए घोषणा कर दी है कि जब तक उनकी 11 सूत्रीय मांगें पूरी नहीं की जातीं, वे किसी भी सूरत में काम पर नहीं लौटेंगे। पटवारियों की मुख्य मांगों में वेतन विसंगति को दूर करना है। सरकार भी समझती है कि चुनावी वर्ष में पटवारियों को नाराज करना महंगा साबित हो सकता है, इस कारण वह अपनी ओर से पूरी तौर पर इस गतिरोध को दूर करने की कोशिश करेगी। अब देखना ये है कि सरकार आगामी तीन दिन में क्या रुख अख्तियार करती है।

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