अजमेर में अगर सबसे बडा कोई मुद्दा है तो वह है पानी। हाल ही संपन्न विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा सर्वाधिक चर्चा में रहा कि लगातार चार बार जीते वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल ने इस मामले में कुछ नहीं किया या कुछ नहीं कर पाए। चार में से दो बार विपक्ष में रहे, मगर सत्ता में रहते हुए भी प्रभावषाली नहीं होने के कारण चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए। अब जबकि लगातार पांचवी बार जीतने के बाद देवनानी विधानसभा अध्यक्ष पद पर काबिज हो गए हैं तो वे कुछ करने की स्थिति में हैं। कुछ दिनों से वे एक्षन मोड में हैं और पानी के मुद्दे में रूचि दिखा रहे हैं, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अगर वे पूरी षिद्दत के साथ इस सवाल के पीछे हाथ धो कर पड जाएं तो संभव है, उन्हें कामयाबी मिल जाए।
ज्ञातव्य है कि उन्होंने पेयजल आपूर्ति सुधारने के निर्देष दिए हैं। उन्होंने कहा था कि बीसलपुर से अजमेर आ रही सीमेण्टेड पाइप लाइन बदल कर स्टील की लाइन बिछाने का प्रस्ताव सरकार को 15 दिवस में भिजवाएं। अमृत योजना तृतीय के प्रस्ताव को तैयार करें। उन्होंने कहा था कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय बीसलपुर को चंबल नदी से जोड़ने की जो परियोजना प्रस्तावित थी, उस पर कार्य योजना बनाकर सरकार को प्रस्तुत करें। आपको बता दें कि चंबल से पानी लाने का प्रस्ताव स्वर्गीय ललित भाटी ने रखा था। उनके प्रयासों से प्रोजेक्ट की फिजबिलिटी का सर्वे भी हुआ और पाया गया कि चंबल से पानी लाया जाना संभव है। सरकार बदलने के बाद वह मामला फाइलों में दफन हो गया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय इस पर फिर से विचार हुआ, मगर कमजोर राजनीतिक इच्छा षक्ति के कारण केवल गाल बजाने का ही काम हुआ। सबसे बडा सवाल था अपेक्षित बजट कैसे मिले। अब जबकि देवनानी प्रभावषाली भूमिका में है तो वे इसे मूर्त रूप देने की दिषा में गंभीर प्रयास कर सकते हैं। अगर वे चंबल का पानी लाने और चौबीस घंटे में जलापूर्ति करवाने में कामयाब हो गए तो स्वर्गीय मोटवानी की तरह सदा के लिए अमर हो जाएंगे। ज्ञातव्य है कि जब भी बीसलपुर परियोजना का जिक्र आता है तो मोटवानी का नाम खुद ब खुद जेहन में उभर आता है। सर्वविदित है यह परियोजना लाने में उनकी अहम भूमिका थी।