रामचंद्र चौधरी की दावेदारी मजबूत

कांग्रेस में टिकट केलिए कवायद आरंभ
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में कवायद षुरू हो गई है। अजमेर संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस समन्वयक सुदर्षन सिंह रावत ने कार्यकर्ताओं ने बैठक लेकर यह भांपने की कोषिष की कि उनका मूड क्या है। इस मौके पर 12 नेताओं ने टिकट की दावेदारी पेष की। देखिए यह रिपोर्टः-
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कमर कसना षुरू कर दिया है। इस सिलसिले में अजमेर संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस समन्वयक सुदर्षन सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में आम राय थी कि किसी स्थानीय को ही टिकट दिया जाए। इसके अतिरिक्त अजमेर षहर वे देहात जिले के अध्यक्षों की नियुक्ति जल्द से जल्द किए जाने की भी मांग उठी। जहां तक दावेदारी का सवाल है, अजमेर डेयरी के अध्यक्ष व देहात जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी दावेदारी प्रमुख रूप से उभर कर आई। वे चंद दिन पूर्व जयपुर में भी दावेदारी के लिए षक्ति प्रदर्षन कर चुके हैं।
उनके अतिरिक्त अजमेर षहर जिला कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर, नाथूराम सिनोदिया, डॉ राजकुमार जयपाल व महेन्द्र सिह गुर्जर, किषनगढ के राकेष षर्मा व विश्राम चौधरी, युवा कांग्रेस अध्यक्ष मोहित मल्होत्रा, अजमेर नगर निगम में कांग्रेस पार्शद दल की नेता द्रोपदी कोली, पूर्व विधायक षंकर सिंह रावत के पुत्र रणजीत सिंह रावत, ओमप्रकाष गुर्जर व धर्मेन्द्र षर्मा ने भी औपचारिक दोवदारी पेष की। चौधरी की दावेदारी का महत्वपूर्ण कारक है, उनका जाट जाति होना। ज्ञातव्य है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र में ढाई लाख से भी अधिक जाट मतदाता हैं। इसके अतिरिक्त डेयरी नेटवर्क पर उनकी पच्चीस साल से कायम पकड भी काउंटेबल है। वे जब भी प्रदर्षन करते हैं तो उसमें बडी संख्या में उनके समर्थक जमा होते हैं। यह सर्वविदित है कि पिछली बार जाट समाज के भाजपा प्रत्याषी भागीरथ चौधरी ने कांग्रेस के रिजू झुंझुनवाला को चार लाख से भी अधिक वोटों से हराया था। इससे पिछले उपचुनाव में भाजपा ने भूतपूर्व काबिना मंत्री प्रो, सांवर लाल जाट के पुत्र व नसीराबाद के मौजूदा विधायक रामस्वरूप लांबा को मौका दिया, चूंकि वे जाट समुदाय से तो थे ही, सहानुभूति का भी लाभ ले सकते थे, मगर उनके सामने कांग्रेस ने दिग्गज डॉ रघु षर्मा को उतारा था। वे कामयाब हो गए। उसकी वजह यह रही कि ब्राह्मण समाज लामबंद हो गया था, और भाजपा के वोट बैंक में सेंध पड गई। इसके अतिरिक्त पूर्व प्रदेष अध्यक्ष सचिन पायलट व पूर्व काबिना मंत्री प्रमोद जैन भाया ने पूरी ताकत झोंक दी थी। हालांकि इस बार डॉ रघु षर्मा ने अब तक खुल कर दावेदारी नहीं की है, मगर मीडिया में उनका नाम चर्चा में है। उनके अतिरिक्त एक कयास यह भी है कि पायलट को यहां से चुनाव लडवाया जा सकता है। वे एक बार यहां से जीत भी चुके हैं। समझा जाता है कि हाल ही अजमेर उत्तर से हारे महेन्द्र सिंह रलावता भी दावेदारी करेंगे, मगर उससे पहले वे पायलट की हरी झंडी का इंतजार करेंगे। एक किंतु ये है कि क्या पायलट चौधरी के नाम पर सहमति दे देंगे। उल्लेखनीय है कि चौधरी की पायलट से खुली नाइत्तफाकी रही है। क्या समीकरण बदलेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन इतना तय है कि यदि सचिन का उन्हें साथ मिल गया तो वे एक सषक्त उम्मीदार हो जाएंगे। जाट, अनुसूचित जाति, मुस्लिम व गुर्जर वोटों के दम पर वे भाजपा प्रत्याषी को टक्कर दे सकते हैं। यदि भाजपा ने किसी सेलिब्रिटी को मैदान में उतारा तो संभव है, उनके स्थान ना पायलट या डॉ षर्मा पर दाव खेला जा सकता है। जहां विजय जैन का सवाल है तो वे पायलट खेमे के ही माने जाते हैं। पायलट की गारंटी पर ही उनको मौका मिल सकता है। प्रसंगवष पूर्व विधायक डॉ श्रीगोपाल बाहेती का नाम भी स्मरण हो आता है। एक समय था, जब षहर व देहात कांग्रेस ने एक मत हो कर उन्हें टिकट देने की मांग की थी, मगर तब सचिन पायलट को चुनाव मैदान में उतारा गया था। ज्ञातव्य है कि हाल ही कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने पुश्कर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड लिया था। इस कारण उनकी दावेदारी बनती ही नहीं हैं। खैर, कुल मिला कर प्रत्याषी तय होने तक कई उतार चढाव आएंगे। संभावना यही जताई जा रही है कि चुनाव जीतने के लिए किसी सेलिर्बिटी को लाया जा सकता है।

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