सतीश पूनिया बनाम विकास चौधरी?

हालांकि अजमेर संसदीय सीट के लिए न भाजपा ने और न ही कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किए हैं, बावजूद इसके प्रमुख संभावित दावेदारों पर जुगाली चालू है। भाजपा में सतीश
पूनिया, भागीरथ चौधरी, दीपक भाकर, बी पी सारस्वत, पुखराज पहाडिया व ओम प्रकाश भडाणा के नाम प्रमुख रूप से चर्चा में हैं तो कांग्रेस में कयास है कि सचिन पायलट, डॉ रघु शर्मा, विकास चौधरी व रामचंद्र चौधरी में किसी एक को टिकट मिलेगा। माथापच्ची इस पर भी है कि किन किन के बीच कैसी टक्कर होगी। भाजपा में सतीश पूनिया का नाम टॉप पर है तो कांग्रेस में सुई घूम फिर कर विकास चौधरी पर टिकने की संभावना जताई जा रही है। बेषक कांग्रेस ने जाट बहुल इस सीट पर एक बार ब्राह्मण पर हाथ रख कर डॉ रघु षर्मा पर दाव खेला और वे जीत भी गए, मगर उसकी वजह ये बताई गई कि उनके सामने रामस्वरूप लांबा तुलनात्मक रूप से कमजोर थे। सतीष पूनिया के सामने टिकना उनके लिए कठिन हो सकता है। सचिन पायलट हैं तो दमदार प्रत्याषी और उनको टक्कर देना पूनिया के लिए थोडा मुष्किल होगा। यही वजह है कि पायलट के सामने पूनिया दाव नहीं खेलेंगे, ऐसी मान्यता है। मगर बहुत विकास कार्य करवाने के बावजूद एक बार अजमेर से हार चुके पायलट दुबारा भाग्य आजमाने को लेकर झिझक रहे हैं। ऐसे में जाट नेता विकास चौधरी व रामचंद्र चौधरी ही बचते हैं, जो बाहरी बनाम स्थानीय के नाम पर पूनिया के सामने टिक सकते हैं। डेयरी नेटवर्क के कारण पूरे जिले पर पकड रखने वाले रामचंद्र चौधरी के नाम पर क्लीयरकट सहमति में थोडा संषय है, तो नए नवेले विधायक विकास चौधरी पर जुआ खेला जाए या नहीं, इस पर विचार चल रहा है। सतीष पूनिया बेशक बिग गन हैं, मगर विकास के पक्ष में जाता है उनका आकर्षक व्यक्तित्व और युवा वर्ग में लोकप्रियता। समझा जाता है कि अगर पूनिया व विकास के बीच मुकाबला हुआ तो स्थानीय व बाहरी का मुद्दा पक्के तौर पर उभर कर आ सकता है। पूनिया जीतते हैं तो उनको ढूंढने के लिए जयपुर जाना होगा, जबकि विकास यहीं किशनगढ में मिल जाएंगे, यह सोच उभर सकती है। एक यह तथ्य भी गौर तलब है। जाट मतदाताओं के बारे में यह मान्यता है कि उंट किस करवट बैठेगा, यह आखिरी दो दिन में तय होता है। जो भी जाट प्रत्याशी जीतने की स्थिति में होता है, बहुसंख्यक जाट मतदाता उस ओर जाने का निर्णय कर लेते हैं।

error: Content is protected !!