*क्या अब नियमों से हो पाएगी सफाई कर्मचारियों की भर्ती?*

*▶️पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया निरस्त*
*▶️सफाई कर्मचारियों की हड़ताल खत्म, पटरी पर आएगी सफाई व्यवस्था*

*✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।*
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प्रेम आनंदकर
*प्रदेश की भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा 24 हजार 797 पदों पर निकाली गई सफाई कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया रद्द कर दी है। इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से नियम बनाने और केवल वाल्मीकि समाज के ही युवाओं को इसमें प्राथमिकता देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर पूरे राजस्थान में सफाई कर्मचारियों की करीब बारह दिन तक हड़ताल चली। हड़ताल के कारण सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी और शहर व कस्बे सड़ांध मारने लग गए थे। चूंकि सफाई कर्मचारी संगठनों की मांग वाजिब थी, इसलिए सरकार ने कर्मचारी नेताओं से वार्ता की। उनकी मांगों पर सहमति हो गई और स्वायत्त शासन मंत्री झाबरसिंह खर्रा से बातचीत के बाद सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पांच अगस्त की रात खत्म हो गई। नतीजतन, सफाई कर्मचारी छह अगस्त से काम पर लौट आए। अब पूरे प्रदेश में सफाई व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर आ जाएगी। समझौता वार्ता में हुए निर्णय पर सरकार ने तत्काल अमल करते हुए हाथों-हाथ भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह निरस्त कर दिया। अब नियमों में संशोधन करने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। आपको यह भी बता दें, राजस्थान में सफाई कर्मचारियों की पहले भी भर्ती हो चुकी है, लेकिन उसमें भर्ती होने वालों में वाल्मीकि समाज के अलावा अन्य समाजों के युवा भी शामिल हो गए। यानी वाल्मीकि समाज के अनेक युवा इस भर्ती से वंचित हो गए। अन्य समाजों के युवक-युवती सफाई कर्मचारी भर्ती में सरकारी नौकरी पाने में सफल तो हो गए, लेकिन वे झाडू लगाने, नाले-नालियों की सफाई करने, सार्वजनिक शौचालय-मूत्रालय साफ करने से पीछे हट गए। यानी वाल्मीकि समाज के इतर अन्य समाजों के जो भी युवक-युवती सफाई कर्मचारी बनने के नाम पर सरकारी नौकरी पा गए, उन्होंने नियुक्ति की तारीख से लेकर आज तक कभी भी सफाई का काम नहीं किया। उन्हें झाडू लगाने और कचरा उठाने में शर्म महसूस हो रही थी। उनका मकसद केवल और केवल येन-केन-प्रकारेण सरकारी नौकरी पाना था, जिसमें वे कामयाब भी हो गए थे। ऐसे लोगों ने नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम में अधिकारियों के सामने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए उन्हें लिपिकीय कार्य यानी बाबूगिरी का काम देने की गुहार लगाई। अब अधिकारियों ने भी नियमों की अनदेखी करते हुए उन्हें सफाई की बीटों से हटाकर कार्यालयों में लगा दिया। संभवतः इसी स्थिति को देखते हुए सरकार से सफाई कर्मचारी भर्ती में केवल वाल्मीकि समाज के युवक-युवतियों को ही प्राथमिकता देने की मांग की। आपको यह भी बता दें, 24 हजार 797 पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती के लिए प्रदेशभर में 9 लाख 20 हजार से ज्यादा आवेदन आए थे। उम्मीद की जानी चाहिए, राज्य की भाजपा सरकार द्वारा अब जो भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाएगी, उसमें केवल उन्हीं अभ्यर्थियों की भर्ती की जाएगी, जो केवल और केवल सफाई कार्य कर सकेंगे। इसके साथ ही नियमों का भी पूरी तरह ध्यान रखा जाएगाl*

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