किसके खाते में दर्ज होगी वर्चस्व की ये जंग…?

-सुरेन्द्र जोशी- केकड़ी । छात्रसंघ चुनाव की तस्वीर साफ होते ही छात्र संगठनो ने अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने की कवायद शुरू कर दी है। इस कवायद को इस बार इसलिये भी काफी अहम माना जा रहा है कि इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस के अग्रिम संगठन माने जाने वाले एबीवीपी और एनएसयूआई में इस बार होने वाली जंग को वर्चस्व की लडाई के रूप में भी देखा जा रहा है।
चेतन डसाणिया
चेतन डसाणिया

मालूम हो कि पिछले चुनाव को छोड कर एबीवीपी लगातार यहां अपनी जीत का परचम फहराती रही है। पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रामराज चौधरी छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गये थे ,जबकि इससे पहले हुये दो चुनावो में जीत एबीवीपी के खाते मे ही दर्ज हुई थी। ऐसे में इस बार चुनावी वर्ष में मची इस जंग को जीतने के लिये जहां एबीवीपी को एडी चोटी का जोर लगाना पड रहा है वही दूसरी ओर एनएसयूआई के लिये इस बार भी यह चुनाव किसी बडी चुनौती से कम नही है। कांग्रेस का अग्रिम संगठन होने के नाते एनएसयूआई के लिये यह चुनौती इस मायने में भी काफी बडी मानी जा रही है कि मौजूदा विधायक व सरकारी मुख्य सचेतक डा रघु शर्मा के पिछले साढे चार साल के कार्यकाल के दौरान यहां तीन बार हुये चुनाव में भी वो कोई मुकाम हासिल नही कर पाई है।

राजेश मेघवंशी
राजेश मेघवंशी

जब कि बात चाहे इस महाविधालय को स्नात्कोतर महाविधालय में क्रमोन्नत कराने की हो चाहे सीटो के लिये संघर्ष कर रहे छात्रो की पीडा को दूर करने की, इलाके के विधायक डा शर्मा ने दलगत राजनीति से उपर उठ कर गत वर्ष महाविधालय के छात्रसंघ चुनाव में निर्दलीय तौर पर जीत हासिल कर अध्यक्ष बने रामराज चौधरी के कार्यकाल में भी अपनी ओर से कोई कोर कसर बाकि नही रखी मगर संगठन से जुडे छात्र नेता विधायक की इस कवायद को समय पर नही भुना सके। यही वजह है कि करीब सात आठ साल के लम्बे अंतराल के बाद सन 2010 से एक बार फिर से शुरू हुये छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआई लगातार पिछडती ही रही।

सुरेन्द्र सिंह
सुरेन्द्र सिंह

मालूम हो कि इस महाविधालय में सन 2010-11 में हुये छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी के महावीर चौधरी ने, 2011-12 में हुये छात्रसंघ चुनाव में फिर एबीवीपी के महेश चौधरी ने जीत का परचम फहराया था , मगर 2012-13 के चुनाव में एक दमदार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रामराज चौधरी के मैदान में आ जाने से दोनो ही छात्र संगठन चारो खाने चित्त हो गये थे और इनमें भी एनएसयूआई की स्थिति तीसरे स्थान पर रही थी। इसके बावजूद लगातार हार का सामना कर रही एनएसयूआई कालान्तर में छात्रहितो को लेकर किये गये प्रदर्शनो की तुलना में भी एबीवीपी के सामने कही नही टिक पाई। हांलाकि इस बार भी छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिये एबीवीपी के चेतन डसाणिया, एनएसयूआई के राजेश मेघवंशी के अलावा एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुरेन्द्र सिंह भीचर भी चुनाव मैदान में है जिससे यहां त्रिकोणात्मक संघर्ष के हालात पैदा हो गये है। ऐसे में एक बार फिर ये देखना काफी दिलचस्प हो गया है कि आखिर जीत किसके खाते में दर्ज हो पायेगी। क्या इस बार एनएसयूआई महाविधालय विकास के लिये स्थानीय विधायक द्वारा किये गये प्रयासो को भुनाने में कामयाब हो पायेगी या फिर एक बार फिर एबीवीपी कालेज में अपनी जीत का परचम फहरायेगी….?

error: Content is protected !!