सारस्वत को मिली भाजपा में अहम जिम्मेदारी

भाजपा के शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रो.बीपी सारस्वत को पार्टी के सदस्यता अभियान का अजमेर जिला संयोजक बना कर पहली बार अजमेर भाजपा की मुख्य धारा से जोड़ा गया है। संगठन की दृष्टि से इस जिम्मेदारी को काफी अहम माना जाता है। हालांकि वे लंबे अरसे से संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे हैं और उसमें रहते खूब नाम कमाया, मगर इस प्रकार सीधे भाजपा में सक्रिय जिम्मेदारी का मौका पहली बार मिला है। वैसे कुछ माह पहले वे शहर भाजपा अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे। बताया जाता है कि उनका नाम घोषित होते-होते रह गया। वे भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, लेकिन पहली बार शहर जिला भाजपा सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी मिलने से अब से सीधे तौर पर अजमेर की राजनीति से जुड़ गए हैं। इससे अजमेर भाजपा में उनका कद तो कायम होगा ही, भविष्य में चुनावी राजनीति में पदार्पण का रास्ता भी खुल सकता है, जो कि उनकी काफी समय से प्रमुख इच्छा रही है।
जहां भाजपा की अंदरूनी खींचतान का सवाल है, सारस्वत की नियुक्ति  अजमेर उत्तर के विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी के प्रतिकूल पड़ती हैं। हालांकि खुद सारस्वत ने प्रदेश उपाध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, शहर अध्यक्ष रासासिंह रावत, विधायक अनिता भदेल के साथ ही वासुदेव देवनानी का नाम लेते हुए सभी से चर्चा कर अभियान को सफल बनाने की बात कही है, मगर माना उन्हें देवनानी विरोधी खेमे में ही जाता है। खास बात ये है कि वे हैं तो संघ पृष्ठभूमि से लेकिन साथ ही इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के भी करीबी हैं। यह गणित उनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है।
भाजपा में उन्हें मूल्य आधारित विचारधारा का पोषक माना जाता है और इन्हीं मूल्यों की रक्षा के कारण ही उठापटक की राजनीति में अप्रासंगिक से नजर आते हैं। नैतिक मूल्यों की रक्षा की खातिर ही उन्होंने भाजपा के शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष पद को त्याग दिया था, हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। सिद्धांतवादी होने के कारण सदस्यता अभियान में भी उनसे ईमानदारी की अपेक्षा की जाएगी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय रहे हैं और ब्यावर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार रहे हैं। पिछली अशोक गहलोत सरकार के दौरान विहिप नेता प्रवीण भाई तोगडिय़ा के त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम के दौरान उनको सहयोग करने वालों में प्रमुख होने के कारण उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था। उनका जन्म जिले के छोटे से गांव ब्रिक्चियावास में सन् 1960 में हुआ। विद्यार्थी काल से ही वे संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। वे सन् 1981 से 86 तक परिषद के विभाग प्रमुख रहे। वे सन् 1992 से 95 तक संघ के ब्यावर नगर कार्यवाह रहे। वे सन् 1997 से 2004 तक विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री रहे हैं। वे सन् 1986 से 97 तक राजस्थान यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के अनेक पदों पर और 2001 से 2003 तक अजमेर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। काम के प्रति निष्ठा की वजह ही उन्हें विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाती रही हैं।

-तेजवानी गिरधर

1 thought on “सारस्वत को मिली भाजपा में अहम जिम्मेदारी”

  1. some people are born for ruling.. he is one of them. may be his way is quite typical but inspite of cast scenario he is very efficient in organization..

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