वर्चस्व का मैदान बना केकड़ी विधानसभा क्षेत्र

जातिगत समीकरण के बूते कई नेता भर रहे हूंकार

पीयूष राठी
पीयूष राठी

-पीयूष राठी- राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों के लिये आगामी 1 दिसंबर को चुनावी महाकुंभ के तहत जनता का फैसला जाना जायेगा। जनता किसे अपने वोटों का ताज पहना कर बादशाह बनाती हैं और किसे धूल चटाती हैं यह भी 8 दिसंबर को तय हो जायेगा और साथ ही तय होगा राजस्थान के अगले 5 सालों का भविष्य भी कि आखिर कौन राजस्थान का सरदार बनकर सत्ता की कुर्सी पर काबिज हो पाता हैं और अपनी सरकार बना पाता हैं। इन्ही 200 विधानसभा सीटों में से एक केकड़ी भी हैं जहां का इतिहास काफी रौचक रहा हैं। केकड़ी विधानसभा क्षेत्र लंबे समय से सुर्खियों में रहा हैं यह वही विधानसभा क्षेत्र हैं जहां सूबे के सरदार रहे व्यक्ति को केकड़ी के एक स्थानीय नेता ने चुनावों में पठकनी देकर बता दिया था कि नेता बड़ा होने से कुछ नहीं होता क्षेत्र की जनता के दिलों दिमाग में अपनत्व की तस्वीर होना भी जरूरी हैं, तब कहीं जाकर चुनावी रणभूमि में विजय प्राप्त होती हैं। केकड़ी विधानसभा क्षेत्र यूं तो अनेकों मुद्दों को लेकर जाना पहचाना जाता हैं मगर इस बार होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते यह क्षेत्र वर्चस्व का मैदान बना दिखाई दे रहा हैं। इस मैदान में कई ऐसे नेता भी कूद पड़े हैं जिनका केकड़ी की जनता से कभी कोई सरोकार नहीं रहा हैं मगर चुनावी दस्तक होते ही इन नेताओं की ऐसी दस्तक क्षेत्र में हुई हैं कि क्षेत्र में काफी समय से सक्रिय नेता भी टेंशन में आ गये हैं। ये नेता जातिगत समीकरण व अपने रूतबे के बूते क्षेत्र में अपनी सक्रियता दिखाने का प्रयास कर रहे हैं हालांकि केकड़ी की जनता ना इन्हे शक्ल से जानती हैं और ना ही पहचानती हैं बस नाम हैं जो कभी टीवी पर तो कभी अखबारों में देखने को मिला हैं। वहीं ऐसे नेताओं के साथ ही उनके प्रतिद्वंद्वी भी क्षेत्र में इनके पीछे पीछे इन्हे नुकसान पहुंचाने के मकसद से आ पहुंचे हैं। उनका इरादा साफ हैं कि भले कोई जीत जाये मगर इन्हे तो नहीं जीतने देंगें और यह इसलिये कि इन दोनों ही नेताओं के बीच पुराना हिसाब किताब हैं जो एक बड़े आंदोलन के बाद से चला आ रहा हैं। तब से ही ये अपने-अपने वर्चस्व की लड़ाई को जारी रखे हुए हैं। ऐसे ही एक नेता को एक बड़ी पार्टी से टिकट मिलने की खबर ने इन दिनों राजनैतिक गलियारों में गजब की उथल पुथल मचा रखी हैं हालांकि ये नेताजी अभी तक उस पार्टी के सदस्य तक नहीं हैं फिर भी टिकट का दावा खुलेआम कर रहे हैं। यह तो आने वाला वक्त ही बता पायेगा कि आखिर इन दावों में कुछ सच्चाई भी हैं या कोरे हवाईफायर के सिवाय कुछ भी नहीं…वहीं अब देखने वाली बात होगी कि आखिर केकड़ी विधानसभा क्षेत्र की जनता किसे अपना असली हिरो बना कर ताजपोशी करती हैं और इस वर्चस्व की लड़ाई में कौन अपना परचम फहरा पाता हैं।

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