दर्जन से अधिक मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड खराब?

परिवर्तन,छुट्टी,विस्तार के साथ पार्टी की छबि पर शाह की नजर
संघ,संगठन तथा पार्टी के सर्वे से आये नतीजों से सब सकते में

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव[/caption]भोपाल/ संघ,संगठन एवं पार्टी के द्वारा कराये गये सर्वे से जो नतीजे सामने आये हैं उनसे सत्तारूढ दल हलचल होने के संकेत होने की जानकारी है। सूत्र बतलाते हैं कि तीन अलग-अलग कराये गये सर्वे के दौरान मंत्रियों के कार्यो पर प्रश्र चिंन्ह लगने के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है। इसी क्रम में सरकार द्वारा भी अपने गुप्तचर विभागों इंटेलीजेन्स से भी जानकारी प्राप्त की है। प्रदेश में एैसे मंत्रियों की संख्या एक दर्जन से अधिक यानि अठारह,उन्नीस के करीब बतलायी जाती है। इसको लेकर राष्ट्रीय संगठन की लगातार नजर और कार्यवाही करने के संकेत भी बतलाये जा रहे हैं। वह जहां एक ओर पार्टी की छबि को जनता के मध्य लगातार मजबूत बनाये रखना चाहता है तो वहीं दूसरी ओर नाकारा तथा पार्टी,सरकार की छबि पर बट्टा लगाने वालों को बाहर का रास्ता दिखा अन्य कार्य में लगाने का मन बनाने में लगा हुआ है। ज्ञात हो कि भारतीय जनता पार्टी देश में जहां लगातार भाजपा की सरकार कार्य कर रही है पर विशेष रूप से नजर रख रही है तो वहीं उसका प्रयास है कि वह देश के अधिकांश राज्यों में सरकारें बनाने सके। सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश में एक बडा परिवर्तन के स्पष्ट्र संकेत मिल रहे हैं जिसमें सर्वे में खराब रिपोर्ट वाले मंत्रियों की छुट्टी तय मानी जा रही है। वहीं दूसरी ओर एैसों की भी छुट्टी हो सकती है जिनकी उम्र 65 से अधिक हो चुकी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा महासंपर्क की प्रगति रिपोर्ट के आधार पर एैसे मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड को भी अपने पास मंगवा लिया है । सूत्रों की माने तो अब नाकारा एवं लापरवाहों की नींदे उड चुकी हैं तथा रक्तचाप भी बढने लगा है। इसी क्रम में अनेक स्वप्रों की दुनिया में खोकर लालबत्ती-लालबत्ती खेलने में लगे हुये हैं। ज्ञात हो कि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का त्यागपत्र तो पहले ही मंजूर किया जा चुका है वह इस समय पार्टी में एक राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा रहे हैं।
संघ-संगठन दोनो की नजर 2018 के लक्ष्य पर-
आगामी बर्षों में होने वाली लोकसभा एवं विधान सभा चुनावों को लेकर अभी से कमर कसना प्रारंभ हो चुका है। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ भारतीय जनता पार्टी इस लक्ष्य को लेकर योजना ही नहीं बना रहे हैं अपितु इस पर कार्य प्रारंभ हो चुका है। सूत्र बतलाते हैं कि संघ एवं भाजपा संगठन ने केंद्र एवं भाजपा शासित प्रदेश सरकारों को एकदम स्पष्ट निर्देश दे रखे है। इनका निर्देश है कि अपनी-अपनी सरकार तथा मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर नजर ही नहीं रखें उनको कसते भी रहें ताकि कोई भी एैसा कार्य न हो जिससे जनता में नकारात्मक छबि पार्टी की बने । वैसे आपको बतला दें कि संघ एवं पार्टी संगठन ने लगभग तीन सर्वे इसको लेकर अभी तक कराये हैं। सर्वे के लिये वाकायदा कुछ बिन्दुओं का निर्धारण किया गया था जिसको लेकर अपने-अपने स्तर पर किये गये सर्वेक्षण में रिपोर्ट आ चुकी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जनता के मध्य मंत्रियों की क्या छबि है,कार्यकर्ताओं के साथ कैसा व्यवहार है वह उनके कितने संपर्क में रहते हैं। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का कितना क्रियान्वयन करवा पा रहे हैं,संबधित विभाग में अधिकारियों,कर्मचारियों पर कितनी पकड है? इन मंत्रियों के स्टाफ,निज सचिव की कार्यप्रणाली,आरोप-प्रत्यारोप उनकी जनता ,प्रशासन एवं पार्टी में छबि कैसी है?मंत्रियों ने पदभार ग्रहण करने के बाद क्षेत्र,प्रदेश में कितने दौरे किये?शासन की योजनाओं के बारे कितना प्रचार-प्रसार एवं पात्रों को लाभ दिलाने में कितनी मदद की?
क्या हैं शाह के 5 सूत्र
भारतीय जनता पार्टी को लगातार मजबूती प्रदान करने तथा देश के अधिकांश प्रांतों में भाजपा को सत्तारूढ करने की दिशा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का कार्य चल रहा है। लगातार संगठन में कसावट लाते हुये वह एक लक्ष्य को लेकर आगे बढ रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन्होने विरोधियों की एकजुटता तथा आक्रामकता का पूरी ताकत से जवाब देने के लिए कुछ बिन्दुओं को लेकर योजना बनायी है। बतलाया जाता है कि इसमें इन बिन्दुओं की संख्या पांच रखी गयी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें नरेंद्र मोदी का चेहरा, सहयोगी संगठनों के नेटवर्क, आर्थिक संसाधन, अत्याधुनिक प्रचार तंत्र और विकास के सपने सम्मिलित हैं। अगर पार्टी के रणनीतिकारों की माने तो कि देश एवं प्रदेश में भाजपा को अजेय बनाए रखने के लिए पार्टी पदाधिकारी इन पांच सूत्रों के आधार पर लक्ष्य को साधा जायेगा।

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